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Hridya Rog Nidan ( हृदय रोग निदान ) : भेद और उनके लक्षण

In India, According to 2016’s Survey, the estimated prevalence of CVDs was estimated to be 54.5 million. One in 4 deaths in India are now because of CVDs with ischemic heart disease and stroke responsible for >80% of this burden. Today in this post, we will let you know about causes, diagnosis of cardiovascular disease (Hridya rog nidan) According to Ayurveda.

निदान :-

  • निरंतर अत्यन्त उष्ण, गुरु, अम्ल, कषाय, तिक्त भोजन का सेवन
  • अधिक परिश्रम करना
  • चोट लगना
  • बिना पचे ओर भोजन कर लेना
  • चिंता करना
  • वात, मूत्र, पुरीष वेग धारण करना

उपर्युक्त निदानों के सेवन से प्रकूपीत हुए वात आदि दोष रस धातु को विकृत कर हृदय विकार उत्पन्न करते है।

भेद :-

भेदलक्षण
वातजअंगो में खिचाव, सुई चुबने के समान पीड़ा, हृदय में मथने के समान लगता है, या एशा लगता है मानो हृदय को काटा जा रहा हो।
पित्तजतृष्णा, दाह, चूसे जाने के समान कष्ट, हृदय में सुस्ती, मुख से धुआ निकलने के समान लगना, मूर्च्छा, पसीना होना, मुख बार बार सुखना
कफजशरीर व हृदय में भारीपन, मुख से कफ निकालना, अरुचि, जड़ता, अग्नि मंद, मुख में सदा मिठा पन होना
त्रिदोषजतीनों के मिश्रित लक्षण
कृमितीव्र पीड़ा, तोंद, खुजली, उत्कलेश, बार बार थूकना, शूल, जी मचलना, तम प्रवेश, सूजन, आंखों के चारो ओर कालापन दिखना

पुराना हृदय रोग असाध्य अन्यथा साध्य

हृदय रोग के उपद्रव :-

  • क्लम
  • अवसाद
  • भ्रम
  • शोष
  • हल्लास
  • मुख से लार निकालना
  • राज्यक्षमा

9 replies on “Hridya Rog Nidan ( हृदय रोग निदान ) : भेद और उनके लक्षण”

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