Kumkumadi Tail or Kumkumadi Oil is an amazing Ayurvedic concoction of herbs that acts as a magical remedy for uplifting skin health and treating various skin issues.
It helps in preventing dark spots, wrinkles, greying of hair, Acne, pimples, dark circles, pigmentation of skin and many other skin problems.
अश्विनीकुमार कुमकुमादि तैल:
कुङ्कुमं चन्दनं द्राक्षा पत्तङ्गं मधुयष्टिका। कालीयकमुशीरं च पद्मकं नीलमुत्पलम् ।। न्यग्रोधपादं शुंगां च पुङ्गं नागस्य केसरम्। पद्मकिञ्जल्कसहितं कषायं पलिकै: पृथक् ।। जलद्रोणे क्वाथयित्वा प्रोद्धरेत् पादशेषितम् । कुङ्कुमं चन्दनं लाक्षा पत्तङ्गो मधुयष्टिका।। कर्षप्रमाणैरेभिस्तु तैलस्य कुडवं पचेत् । अजाक्षीरं द्विगुणितं शनैर्मृद्वग्निना पचेत् ।। सम्यक्पक्वं परं चैतन्मुखवर्णप्रसाधनम्। तिलकान् पिटकान् व्यङ्गानभ्यङ्गादेव नाशयेत् ।। मुखं प्रसन्नोपचितं वलीपलितवर्जितम्। सप्तरात्रप्रयोगेण भवेत्कनकसन्निभम् ।। कुङ्कुमाद्यमिदं तैलमश्विभ्यां परिकीर्तितम् ।। अश्विनीकुमारसंहितायां कुङ्कुमाद्यं तैलम्।
घटक द्रव्य/ Ingredients:-
- कुंकुम (Crocus sativus) = 1 पल = 48 gm
- चन्दन (Santalum album) = 1 पल
- मुनक्का (Vitis vinifera) = 1 पल
- पत्तंग (Caesalpinia sappan) = 1 पल
- मधुयष्टिका (Glycyrrhiza glabra) = 1 पल
- कालीयक = 1 पल
- उशीर (Vetiveria zizanioides) = 1 पल
- पद्मक (Prunus cerasoides) = 1 पल
- नीलकमल (Nymphaea nouchali) = 1 पल
- न्यग्रोध के मूल व शुंग (Symplocos racemosa) = 1 पल
- नागकेसर (Mesua ferrea) = 1 पल
- पद्मकेसर / कमलकेसर (Nelumbo Nucifera) = 1 पल
- लाक्षा / Lac (Lacifer lacca-resin) = 1 कर्ष = 12 gm
- जल = एक द्रोण = 12 kg 228 gm
- तैल = एक कुडव = 192 gm
- अजाक्षीर (Goat’s milk) = 2 times
निर्माण विधि/ How to make Kumkumadi Tail:-
- इन सभी 1-12 द्रव्यों को लेकर चतुर्थांश शेष रहने तक एक द्रोण जल में क्वाथ बनाएं।
- कुंकुम, चन्दन, लाक्षा, पत्तंग एवं मधुयष्टिका के कर्ष (12 gm) प्रमाण कल्क के साथ एक कुडव (192 gm) तैल का पाक करते समय, इसमें दो गुना (2 times) अजाक्षीर मिलाकर मन्द आंच पर पकाएं।
प्रयोग विधि/ How to use:-
इस तेल को अभ्यङ्गमात्र, सात दिन तक प्रयोग करने से मुख सुन्दर, पुष्ट, वली-पलित (Wrinkles and greying of hair) रहित एवं सुवर्ण तुल्य कान्तियुक्त हो जाता है।
उपयोग/ Therapeutic Uses:-
- मुख के वर्ण को उज्ज्वल कर देता है। / Increases Glow and Radiance of skin
- तिलक (काले दाने), पिटक (Pimples/ Acne) एवं व्यङ्ग (झांई)/ Pigmentation को नष्ट कर देता है।
- मुख सुन्दर, पुष्ट, वली-पलित (Wrinkles and greying of hair) रहित एवं सुवर्ण तुल्य कान्तियुक्त हो जाता है।
Reference :- अश्विनीकुमारसंहितायां कुङ्कुमाद्यं तैलम्।
कुमकुमादि तैल:
कुङ्कमं चन्दनं लोधं पतङ्गं रक्तचन्दनम्। कालीयकमुशीरं च मञ्जिष्ठा मधुयष्टिका॥ पत्रकं पद्मकं पद्मं कुष्ठं गोरोचनं निशा। लाक्षा दारुहरिद्रा च गैरिकं नागकेसरम्॥ पालाशकुसुमं चापि प्रियङ्गश्च वटाङ्कराः। मालती च मधूच्छिष्टं सर्षपाः सुरभिर्वचा। चतुर्गुणपयः पिष्टैरेतैरक्षमितैः पृथक् । पचेन्मन्दाग्निना वैद्यः तैलं प्रस्थद्वयोन्मितम्। वदनाभ्यञ्जनादेतद्व्यङ्गं नीलिकया सह। तिलकं माषकं न्यच्छं नाशयेन्मुखदूषिकाम्। पद्मिनीकण्टकं वापि हरेजन्तुमणिं तथा। विदध्याद्वदनं पूर्णचन्द्रमण्डलसुन्दरम्॥ – बसवराजीयम् 22 प्रकरणम्
घटक द्रव्य/ Ingredients:-
- कुमकुम (Crocus sativus) = 1 part
- चंदन (Santalum album) = 1 part
- रक्त चंदन (Pterocarpus santalinus) = 1 part
- लोध्र (Symplocos racemosa) = 1 part
- पतङ्ग (Caesalpinia sappan) = 1 part
- कालीयक = 1 part
- उशीर (Vetiveria zizanioides) = 1 part
- मंजिष्ठा (Rubia cordifolia) = 1 part
- मुलेठी (Glycyrrhiza glabra) = 1 part
- पत्रक (Cinnamomum tamala) = 1 part
- पद्मक (Prunus cerasoides) = 1 part
- पद्म / कमल (Nelumbo nucifera) = 1 part
- कुष्ठ (Saussurea lappa) = 1 part
- गोरोचन / Cow stone, Ox gall = 1 part
- निशा / हरिद्रा (Curcuma longa) = 1 part
- लाक्षा / Lac – (Lacifer lacca-resin) = 1 part
- दारू हरिद्रा (Berberis aristata) = 1 part
- गेरिक / Ochre = 1 part
- नागकेसर (Mesua ferrea) = 1 part
- पलाश पुष्प (Butea monosperma) = 1 part
- प्रियङ्गु (Callicarpa macrophylla) = 1 part
- वटाङ्कुर (Ficus bangalensis) = 1 part
- मालती (Combretum indicum) = 1 part
- मोम (मधुच्छिष्ट) / Wax = 1 part
- सर्षप / Rapeseed (Brassica campestris) = 1 part
- सुरभि / रास्ना (Pluchea lanceolata) = 1 part
- वचा (Acorus calamus) = 1 part
- गाय का दूध / Cow’s milk = सम्पूर्ण द्रव्यो से 4 times ज्यादा
- तिल का तैल (Sesamum indicum) = 2 parts
निर्माण विधि/ How to make Kumkumadi Tail:-
- समस्त द्रव्यों को लेकर तैल कल्पना के अनुसार विधिवत् पाक करें, और तैल सिद्ध करते है।
- इसकी निर्माण प्रक्रिया में वैद्य को मंद अग्नि पर इस तैल को उपयुक्त विधि से पाक करे।
प्रयोग विधि/ How to use:-
इस औषधीय तैल का प्रयोग करने व मर्दन (मालिश) करने से विकारों का नाश होता है व निरंतर प्रयोग करने से मुखमंडल चन्द्र मंडल की भांति सुंदर होता है।
उपयोग/ Therapeutic Uses:-
- नीलिका
- तिलक / moles
- तिलकालक (काले दाने)
- माषक
- न्यच्छ (शरीर पर सफेद रंग के दाने हो जाना।)
- मुखदूषिका (Acne)
- पद्मिनी
- जन्तु मणि
- All types of skin problems.
Reference :- बसवराजीयम् 22 प्रकरणम्
अभ्यंगार्थ कुमकुमादि तैल:
कुंकुमं चन्दनं लाक्षा पत्तङ्गं मधुयष्टिका । धान्यकं माचिकं रोध्रं चातुर्जातं सकेसरम्।। उशीरं वटशुङ्गाश्च मञ्जिष्ठा चाक्षसम्मिता । तिलतैलाद् द्विकुडवं गव्यं क्षीरं च तत्समम् ।। एतद्विपक्वं मृद्वग्नौ कर्पूरेण सुगन्धितम् । तिलकव्यङ्गपिटकानभ्यङ्गादेव नाशयेत् । कुंकुमाद्यमिदं तैलं कान्तिसौभाग्यवर्णकृत् ।।
घटक द्रव्य/ Ingredients:-
- कुंकुम (Crocus sativus) = 1 पल = 48 gm
- चन्दन (Santalum album) = 1 पल
- लाक्षा / Lac (Lacifer lacca-resin) = 1 पल
- पत्तङ्ग (Caesalpinia sappan) = 1 पल
- मधुयष्टी (Glycyrrhiza glabra) = 1 पल
- धनिया (Coriandrum sativum) = 1 पल
- जटामांसी (Nardostachys jatamasi) = 1 पल
- श्वेतरोध्र (Symplocos racemosa) = 1 पल
- दालचीनी (Cinnamomum zeylanicum) = 1 पल
- छोटी इलायची (Eletteria cardamomum) = 1 पल
- तेजपात (Cinnamomum tamala) = 1 पल
- नागकेसर (Mesua ferrea) = 1 पल
- उशीर / खस (Vetiveria zizanioides) = 1 पल
- वटांकुर (Ficus bangalensis) = 1 पल
- मञ्जिष्ठा (Rubia cordifolia) = 1 पल
- तिलतैल (Sesamum indicum) = 16 पल = 768 gm
निर्माण विधि/ Preparation:-
- उपयुक्त द्रव्यों के साथ तिलतैल (Sesamum indicum) लेकर विधिवत् सिद्ध करें।
- इसमें कपूर (Cinnamomum camphora) डालकर सुगन्धित भी कर लें।
प्रयोग विधि/ How to use:-
अभ्यङ्ग (मालिश) के रूप में इस तैल का प्रयोग करें।
उपयोग/ Therapeutic Uses:-
- तिल / moles
- व्यङ्ग (झाइयाँ) / Melasma, Pigmentation
- पिटक (फुंसियाँ), Pimples / Acne दूर हो जाती हैं।
- कान्ति एवं सौन्दर्य को बढ़ाता है / Increases glow and radiance.
- रंग को निखारता है / Removes tan from the face.
नस्यार्थ कुमकुमादि तैल:
कुंकुमोशीरकालीय-लाक्षायष्ट्याह्वचन्दनम्। न्यग्रोधपादांस्तरुणान् पद्मकं पद्मकेसरम् ।। सनीलोत्पलमञ्जिष्ठं पालिकं सलिलाढके। पक्त्वा पादावशेषेण तेन पिष्टैश्च कार्षिकैः ।। लाक्षापत्तङ्गमञ्जिष्ठा-यष्टीमधुककुंकुमैः । अजाक्षीरद्विगुणितं तैलस्य कुडवं पचेत् ।। नीलिकापलितव्यङ्ग वलीतिलकदूषिकाः । हन्ति तन्नस्यमभ्यस्तं मुखोपचयवर्णकृत्’ ।। (अoहृo उo 32/ 27-30)
घटक द्रव्य/ Ingredients:-
- कुंकुम / केशर (Crocus sativus) = 1 पल = 48 gm
- खस / उक्षीर (Vetiveria zizanioides) = 1 पल
- काला अगरु (Aquilaria agallocha) = 1 पल
- लाक्षा / Lac (Lacifer lacca-resin) = 1 पल
- मुलेठी (Glycyrrhiza glabra) = 1 पल
- लालचन्दन (Pterocarpus santalinus) = 1 पल
- वटवृक्ष की कोमल जटा (Ficus bangalensis) = 1 पल
- कमलकेसर (Nelumbo Nucifera) = 1 पल
- नीलकमल (Nymphaea nouchali) = 1 पल
- मञ्जिष्ठा (Rubia cordifolia) = 1 पल
- पत्तंग (Caesalpinia sappan) = 1 तोला = 12 gm
- जल = 1 आढक (256 तोला) = 3kg 73gm
- अजादुग्ध (Goat’s milk) = 2 कुडव = 384 gm
- तिलतैल (Sesamum indicum) = 1 कुडव = 192 gm
निर्माण विधि/ How to make Kumkumadi Tail:-
- उपयुक्त 1-10 तक के द्रव्यों को लेकर जल में डालकर पकायें।
- चतुर्थांश शेष रहने पर उसमें लाक्षा, पत्तंग, मंजिष्ठा, मुलेठी, केसर- इन द्रव्यों का 1-1 तोला (12gm) कल्क मिलाएं।
- अजादुग्ध तथा तिलतैल लेकर उक्त सभी द्रव्यों के साथ तैलपाक करें।
प्रयोग विधि/ How to use:-
सिद्ध किये गये इस तैल का नस्य के लिए प्रयोग करना चाहिए।
{To know more about Nasya Treatment and how to do it, Click here.}
उपयोग/ Therapeutic Uses:-
- नीलिका
- अकालपालित (असमय में बालों का सफेद होना)/ Premature greying of hair
- व्यंग (झाइयाँ)/ Pigmentation of skin
- वली (चेहरे पर झुर्रियाँ) / Wrinkles
- तिलकालक/ Black spots
- मुखदूषिका रोग/ Acne
- मुखमण्डल पुष्ट एवं उज्ज्वल वर्ण युक्त हो जाता है।
Reference :- अष्टांग हृदय उत्तरस्थान 32/ 27-30
तन्त्रान्तरात् कुमकुमादि तैल:
कुङ्कुमं चन्दनं पत्रमुशीरं कमलोत्पले। गोरोचना द्वे हरिद्रे मञ्जिष्ठा मधुयष्टिका।। सारिवारोधपत्तंगं कुष्ठं गैरिककेसरम्। स्वर्णक्षीरी प्रियङ्गश्च कालेयं रक्तचन्दनम् ।। एषामक्षसमैर्भागैस्तैलप्रस्थं विपाचयेत् । अभ्यङ्गाद्राजपत्नीनां ये चान्ये धनिनो नराः ।। तिलकान् पिडकान् व्यङ्गान् नीलिकां मुखदूषिकाम्। काश्र्यं चापि शरीरस्य दुच्छायां च विवर्णताम्।। नाशयित्वा च जनयेद्रूपं चातिमनोहरम्। पद्मकेसरवर्णाभं मुखं भवति कान्तिमत् ।। – तन्त्रान्तरात् कुंकुमाद्यं तैलम्।
घटक द्रव्य/ Ingredients:-
- केशर (Crocus sativus) = 1 अक्ष
- चन्दन (Santalum album) = 1 अक्ष
- तालीसपत्र (Cinnamomum tamala) = 1 अक्ष
- खस / उक्षीर (Vetiveria zizanioides) = 1 अक्ष
- श्वेतकमल (Nymphaea lotus) = 1 अक्ष
- नीलकमल (Nymphaea nouchali) = 1 अक्ष
- गोरोचन / Cow stone, Ox gall = 1 अक्ष
- आमाहल्दी (Curcuma amada) = 1 अक्ष
- दारुहल्दी (Berberis aristata) = 1 अक्ष
- मंजीठ (Rubia cordifolia) = 1 अक्ष
- मुलेठी (Glycyrrhiza glabra) = 1 अक्ष
- सारिवा (Hemidermus indicus) = 1 अक्ष
- लोध्र (Symplocos racemosa) = 1 अक्ष
- पत्तंगं / पतंग (Caesalpinia sappan) = 1 अक्ष
- कुष्ठ (Saussurea lappa) = 1 अक्ष
- गैरिक / Ochre = 1 अक्ष
- नागकेशर (Mesua ferrea) = 1 अक्ष
- स्वर्णक्षीरी (Argemone mexicana) = 1 अक्ष
- प्रियंगु (Caesalpinia sappan) = 1 अक्ष
- कालेय = 1 अक्ष
- रक्तचन्दन (Pterocarpus santalinus) = 1 अक्ष
- तैल = 1 प्रस्थ = 768 gm
निर्माण विधि/ How to make Kumkumadi Tail:-
इन द्रव्यों के कल्क के साथ तैल एक प्रस्थ (जल तैल का चौगुना/ 4 times) मिलाकर सिद्ध करें।
उपयोग/ Therapeutic Uses:-
- यह तैल राजपत्नियों के तथा धनी पुरुषों के तिलक/ Moles, पिडका (Pimples/ Acne) , व्यङ्ग/ Pigmentation of skin, नीलिका, मुखदूषिका/ Acne को नष्ट करता है।
- शरीर की कृशता, दुच्छाया तथा वर्णहीनता/ Tanning को नष्ट करता है।
- शीघ्र ही सुन्दर रूप बना देता है।
- कमलपराग/ Lotus pollen की कान्ति की तरह सुन्दर मुख हो जाता है।
Reference :- तन्त्रान्तरात् कुंकुमाद्यं तैलम्।
How to choose which brand of Kumkumadi Tail is the best ?
- First of all, one should check whether all the ingredients are mentioned on its bottle/ box or not.
- Secondly, don’t go by the price as many renowned, costly brands may not be as good as compared to the cheap ones.
2 replies on “Kumkumadi Tail | कुमकुमादि तैल : The Secret of Stunning Beauty”
[…] AFTER READING BHRINGARAJA TAIL, READ KUMKUMADI TAIL. […]
[…] AFTER READING MANJISTHADI TAIL, READ KUMKUMADI TAIL. […]