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Lakshadi Guggulu | लाक्षादि गुग्गुलु – Dosage and Uses

लाक्षा व अन्य द्रव्यों के साथ गुग्गुलु के योग निर्माण के कारण इसे लाक्षादि गुग्गुलु ( Lakshadi Guggulu )संज्ञा दी जाती है।

लाक्षाऽस्थिसंहृत्ककुभोऽश्वगन्धा चूर्णीकृता नागबला पुरश्च । सम्भग्नमुक्तास्थिरुजं निहन्यादङ्गानि कुर्यात्कुलिशोपमानि।। ( भाव प्रकाश मध्यम भग्न 48/34 ), ( भैषज्यरत्नावली )

Lakshadi Guggulu
Lakshadi guggulu

◾सामग्री-

  • लाक्षा/ लाख (Laccifer lacca)
  • हड़जोड़/ अस्थिसंहार (Cissus quadrangularis)
  • अर्जुन की छाल (Terminalia arjuna)
  • असगंध (Withania somnifera)
  • नागबलामूल छाल (Grevia hirsuta)
  • शुद्ध गुग्गुलु (Commiphora wightii)

विधि-

  • लाक्षा, हड़जोड़, अर्जुन की छाल, अश्वगन्धा, नागबलामूल की छाल प्रत्येक का कपड़छन चूर्ण समान भाग लें
  • इन सबके बराबर शुद्ध गुग्गुलु लेकर, सबका मिश्रण कर अच्छी तरह कूटें।
  • आवश्यकतानुसार घी डालकर कूटकर 3-3 रत्ती की गोलियां बना लें।

मात्रा व अनुपान- 2-4 गोली प्रातः सायं मधु के साथ लेें।

गुण व उपयोग-

  • यह गुग्गुलु अस्थि विकारों के लिए विशेष लाभकारी है।
  • शरीर के किसी भी भाग की अस्थि (हड्डी) में आघात, या वेदना अथवा हड्डी टूट जाने पर यह उत्तम औषध है।
  • उरःक्षत, हृदय रोग, धातुक्षय व वात विकारों में इसका विशेष रूप से सेवन किया जाता है।

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