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Dravya Guna Syllabus

Madhu vargha ( मधु वर्ग ) According to B.A.M.S syllabus

पर्याय :- मधु, माक्षिक, माधवीक,क्षोद्र सारघ, माध्वीक, वरटी वांत।

गुण :- शीत, लघु, स्वादिष्ट, रुक्ष, ग्राही, नेत्र हितकर, अग्नि वर्धक, स्वर हितकर, व्रण शोधक व रोपक, सुकुमार कारक, सूक्ष्म, स्रोतस शोधक, मधुर कषाय रस युक्त, वर्ण कारक, मेद्य, वृष्य, विश्द, रोचक, योगवाही, वातकारक, कुष्ठ, अर्श, कास, पित्त कफ शामक, प्रमेह, कलांती, कृमि, मेद, तृष्णा, वमन, श्वास, हिचकी, अतिसार, दाह, क्षत, क्षय नाशक

मधु भेद व गुण :-
माक्षिकपिङ्गल वर्ण की बड़ी मधुमक्खियां के द्वारा उत्पन तैल वर्ण का मधुसभी नेत्र रोग नाशक, सबसे श्रेष्ठ, लघु, कमला, अर्श, क्षत,श्वास,कास,क्षय नाशक।
भ्रामर6 पैरो वाले भौरो से छोटे भौरो से सफास्टिक के समान मधुरक्तपित्त नाशक, मूत्र में जाध्ता उत्पन करता है, गुरु,विपाक में मधुर, अभिष्यंदी, पिछल, शीत।
क्षोद्रकपिल वर्ण की क्षुद्र मधुमक्खियों द्वारा कपिल वर्ण का मधुप्रमेह नाशक।
पौत्तिकमच्छरों के समान अत्यंत अत्यंत छोटी छोटी काले रंग की, अत्यंत पीड़ा दायक,वृक्षों में रहने वाली के द्वारा उत्पन घी के समान मधुरुक्ष, उष्ण, पित्त दाह रक्त विकार शामक, वात कारक, विदाहि, प्रमेह, मुत्रकरिच, क्षत, गाठ नाशक।
छात्रहिमालय पर्वत पर पाई जाने वाली कपिल व पीत वर्ण की छते बनाकर रहने वाली पिछल,शीत, गुरु, मधुर विपाक, मधुर विपाक, तृप्तिदायक, कृमि, श्वेत कुष्ठ, रक्तपित्त, प्रमेह, भ्रम, तृषा, मोह, विष नाशक।
आध्घ्यमहुए के वृक्ष से को गोंद निकलता है, भौरे के समान आकर वाली, पीले रंग की तीक्ष्ण मुख्वलीनेत्र के लिए अहितकर, कफ पित्त शामक, कषाय, तिक्त रस युक्त, कटु विपाक, बल कारक।
औद्दालकवलमिक के अंदर रहने वाली, कपिल वर्ण वाली छोटी छोटी कीड़े, थोड़ा सा कपिल वर्ण का मधु।रूचिकारक, स्वर उतम कारक, कक्षाय – अम्ल रस युक्त, कटु विपाक, पित्त कारक।
दालफूलो से तपक कर मधु बनता है।लघु, अग्नीदीपक, कफ नाशक, अधिक मधुर रस युक्त, कषाय रस , रुचि कारक, वमन व प्रमेह नाशक
समय व पाक भेद से गुण :-
  • नया मधु :- पुष्टि कारक, कफ शामक थोड़ा, सारक
  • पुराना मधु :- ग्राही, अत्यंत लेखन, रुक्ष, मेद नाशक
  • शीत मधु :- गुण कारक
  • उष्ण मधु :- विष

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