द्विभागं श्वेतपाषाणं रसं नेपालम्लेच्छकम्। प्रत्येकमेकभागं तु खल्वमध्ये विनिक्षिपेत्॥
कृष्णभनरतोयेन मर्दितं याममात्रकम्। मुद्गप्रमाणमात्रेण त्वार्द्रकं चानुपानकम्॥
ऐकाहिकं व्याहिकं च त्र्याहिकं नाशयेज्ज्वरम्।
Ingredients :- श्वेत पाषाण ( 2 भाग ), पारद ( 1 भाग ) , मन: शिला ( 1 भाग ), ताम्र ( 1 भाग)
Bhawna Dravya :- कृष्ण धतुर स्वरस
Yantra :- तप्त खलव
Dosage :- 1 गोली ( 1 रती) अदरक स्वरस के साथ
Usage :- एकाहिक, व्याहिक, त्र्याहिक, शीत ज्वर
शीत ज्वर के लक्षण :- शीत देह, कम्पन, मूर्च्छा, भ्रम, रोम हर्ष, तंद्रा ( सबसे पहले शीत/ ठंड लगती है उसके बाद में बुखार / ज्वर आता है।
व्द्याहिक ज्वर के लक्षण :- हाथ – पैर में दाह, मुख का पांडु वर्ण का होना, अंदर दाह होना और बाहर शरीर का ठंडा रहना।
Reference :- बसवराजीयम् ( प्रथम प्रस्नकरण ), सिद्धविद्याभू: