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Dravya Guna Syllabus

Mass Vargha (मांस वर्ग) According to B.A.M.S. Syllabus

मांस वर्ग (Mass Vargha)

मांस एक पौष्टिक खाद्य पदार्थ है। इसका अधिकांश भाग शरीर में शोषित हो जाता है। अत बलदायक व वीर्यवर्द्धक होता है। कुछ ऐसे प्राणी भी होते है ,जिनके किसी विशेष स्थान का मांस मक्षण के लिये उत्तम माना जाता है, जैसे जांगलवर्ग में जघाल पशु। दूध के अतिरिक्त पौष्टिक खाद्य द्रव्यों में दूसरा स्थान अण्डे का है। इसमें प्रोटीन वसा, कैल्शियम फास्फोरस लौह पोटाशियम इत्यादि बहुत से शरीरोपयोगी पदार्थ होते हैं। बहुत से देशों में मछलियों को अधिक उपयोगी समझा जाता है। वास्तव में यह भी एक पौष्टिक खाद्य है। इसमें प्रोटीन का भाग अधिक व वसा का कम होता है। प्राचीन द्रव्यगुण शास्त्रकारों ने हर प्रकार के जीवों के मास के गुण व दोषों का उल्लेख किया है चरक ने
मत्स्य के सेवन से कुष्ठ, चिलमिच के खाने ये इन्फलूएजा का होना लिखा है। प्कृति देश काल एवं रोगारोग्य की दृष्टि से प्राणियों को दो भागों में विभाजित किया जाता है। मांसाहारी और शाकाहारी। इनमें मांसाहारी ये है

गुण – हर प्रकार का मांस वायुनाशक धातुवर्द्धक बलवर्द्धक तृप्तिदायक ।नारी हृदय तथा रस व पाक में मधुर एव त्रिदोषशामक बताया गया है।

भेदवर्णन
जमालतेज दौड़नेवाले होने से दृढ़ जघा वाले प्राणियों का मांस उत्कृष्ट होता है।
बिलस्थबिल में रहने वाले प्राणी बिलस्थ कहे जाते हैं।
गुहाशयगुफा में रहने वाले प्राणी शेर आदि का मास।
पर्णमृग वनस्पति के पत्रदि से जीवन यापन करने वाले प्राणी वानर आदि का मांस।
विष्किरपांवों से कुरेद कर चुगनेवाले प्राणी तितर मुर्गा आदि
प्रतुदशौच से कुरेद कर चुगने वाले प्राणी कबूतर तोता आदि का प्रसव अपना भक्ष्य दूसरों से छीनकर खानेवाले प्राणी कत्ल को आ आदि मांस ग्राम्य गाय में रखकर पाले हुये प्राणी बकरी भेड़ आदि का ार

(ख) आनूप मांस वर्ग-उसके भेेेद :

भेद
फ्लोरजो प्राणी जलीय स्थानों के पास मिलते हैं जैसे-हाथी,नैसा, गेंडा सूअर आदि।
प्लवजो प्राणी उछल-उछल कर चलते हैं जैसे – हंस बगुला।
कोशस्थ जो अपने शरीर को कोश में रखकर है जैसे शुक्ति आदि।
पादीजल में रहने वाले पैरयुक्त प्राणी कुम्भार नक् आदि।
मत्स्य जल में जीवन यापन करने वाली महिला।

उपरोक्त भावप्रकाश में वर्णित १३ भेद सुश्रुत के १३ वेदों से मिलते है।
चरक में जंगल मग विधिकर प्रतुद भूमिशय प्रदह आनूप मृगा जलधरा एव वारिश भेद किये गये है। मास भक्षण किये जानेवाले पशु-पक्षियों में मृग वर्ग में राशक का मांस विष्किर वर्ग में तितर लाव का मास प्रसह में गिद्ध बब्बर शेर का गास प्रतुद,में मोर व सारिका महामृगों में न्यूक का मास श्रेष्ठ है। जलधारी में हस मतस्य में रोहित कच्छप का मास श्रेष्ठ बताया गया है। इनके अतिरिक्त इन वर्गो मे आने वाले अन्य प्राणियों का मास उत्तम नहीं होता।

◆ जंगल देशीय प्राणियों की अपेक्षा सूअर का मांस स्वभाव से गुरु होता हैक्रिया अधिक दौड़नेवाले प्राणी की अपेक्षा कम दौड़ने वाला प्राणी का भतरु होता है।
प्रमाण एक ही जाति के छोटे शरीर वाले प्राणियों के मास की अपेक्ष उत्तम नहीं होता।

◆ घर – जंगल देशीय प्राणियों की अपेक्षा सूअर का मांस स्वभाव से गुरु होता है।

◆क्रिया अधिक दौड़नेवाले प्राणी की अपेक्षा कम तोडनेवाले प्राणी का मास गुरु होता है।प्रमाण – एक ही जाति के छोटे शरीर वाले प्राणियों के मांस की अपेक्षा बड़े शरीर वालों का मांस गुरु होता है।
◆संस्कार संस्कार (तैयार करने) के भेदों से गुरु मास लघु और लघु भीगुरु हो जाता है।
◆मात्रा – एक ही मांस थोड़ी मात्रा की अपेक्षा अधिक मात्रा में प्रयुक्त गुरु होता है।

◆आहार – लघु आहारी प्राणियों की अपेक्षा गुरु आहार करने वाले प्राणियों का गाना गुरु होता है।
◆जातिवाद से मांस – पक्षियों में पुरुप
गुणजाति का और पशुओं में स्त्री जाति का मांस उत्तम माना गया है।

◆पुरुषों के ऊपर के हिस्से का मास हल्का होता है और स्त्रियों में नीचे के हिस्सों का मांस उत्तम होता है तथा पक्षियों में मध्य में पंख होने के कारण हल्का होता है दाना चुगने वाले पक्षियों का मांस हल्का व वातकारक होता है।

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