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Ras Shastra Syllabus

धातु (Metal)

धातुओं की उत्पत्ति में पौराणिक मान्यता: –

पौराणिक मान्यता के अनुसार घातुओं की उत्पत्ति विभिन्न देवताओं से मानी गयी है। यथा

धातुउत्तपति
1)सुवर्ण अग्नि या अग्निवीर्य से
2) रजतचन्द्रमा या परमेश्वर (शिव)से
(3) ताम्र सूर्य
4)वङ्गइन्द्र के शरीर से।
5) सीसावासुकी नाग से
6) लौहयमराज से हुई है, जो साक्षात् काल मूर्ति है।

धातुओं का ग्रहों से सम्बन्ध :-

धातुग्रह
1.ताम्रसूर्य
2.रजतचन्द्र
3.पित्तलमंगल
4.नागबुध
5.स्वर्णगुरु
6.वंगशुक्र
7.तीक्ष्णलौहशनि
8.कांस्यराहु
9.कांतलौहकेतु

धातुओं के स्वभाविक वर्ण:-

धातुवर्ण
1.स्वर्णपीतवर्ण
2.रजतश्वेतवर्ण
3.ताम्ररक्तवर्ण
4.लौहकृष्णवर्ण
5.वंगश्वेतवर्ण
6.नागकृष्णवर्ण
7.पित्तलपीतवर्ण
8.कांस्यशवेतवर्ण

अग्नि में धातुओं का क्षय:-

  1. स्वर्ण – अक्षीण
  2. रजत- 2%
  3. नाग,वंग -8%
  4. ताम्र -5%
  5. लौह- 10%

अग्नि में धातुओं की ज्वाला परीक्षा:-

ज्वाला को देखकर धातुओं का ज्ञान किया जा सकता है:-

धातु ज्वाला वर्ण
1)स्वर्णपीतवर्ण
2)रजतश्वेतवर्ण
3)ताम्रनीलवर्ण
4)तीक्षणलौहकृष्णवर्ण
5)वंगकपोतवर्ण
6)नागधूम्रवर्ण
7)तुत्थलोहितवर्ण
8)अयस्कान्तधूम्रवर्ण
9)लौह कपिलवर्ण
10)वज्रनानावर्ण
11)अभ्र सत्वपाण्डुवर्ण
12)शिलाजतुधूसरवर्ण

धातुओं का शोधन:-

सामान्य शोधन-

द्रव्य स्थित सामान्य अशुद्धियों को जिस विधि दूर किया जाय, उसे सामान्य शोधन कहते हैं।

जिस विधि से स्वर्णादि सभी धातुएं सर्वरत्न या वर्ग विशेष की शुद्धि हो जाती है, उसे सामान्य शोधन कहते है। यथा:

तैले तक्रे गवां मूत्रे ह्यारनाले कुलत्थजे। क्रमान्निषेचयेत्तप्तं द्रावे द्रावे तु सप्तधा।। ” (र. र. स. 5/29)

(i) धातुओं के पतले पत्रों को तपाकर क्रमशः तैल, गोमूत्र, काञ्जी एवं कुलत्थ क्वाथ में पृथक्-पृथक् सात बार बुझाने से स्वर्ण आदि सभी लौह शुद्ध हो जाते हैं।

विशेष शोधन :-

वह विशिष्ट विधि जो किसी एक द्रव्य विशेष के लिए निर्दिष्ट हो, उसे विशेष शोधन कहा जाता है। यथा :

  1. गोदुग्ध से अभ्रक शोधन
  2. पंचमृत्तिका से स्वर्ण शोधन

धातुओं का सामानय मारण:-

तालेन वङ्गं दरदेन तीक्ष्णं नागिन हेमं शिलया च नागम्। गन्धाश्मना चैव निहन्ति शुल्वं तारञ्च माक्षिक सेन हन्यात्।।” (रसे. मं. 2/53

धातु मारक
1)वंग ↪हरताल से
2)लौह↪ हिंगुल से
3)स्वर्ण↪नाग से
4)नाग↪मनःशिला से
5)ताम्र .↪गन्धक से
6)रजत↪सुवर्णमाक्षिक से

धातु भस्मों के प्रकार:-

  1. उत्तम
  2. मध्यम
  3. कनिष्ठ
  4. निकृष्ट भेद।

धातुओं की भस्मो का वर्ण:-

धातु भस्मभस्म वर्ण
1.स्वर्ण भस्मगैरिक या चम्पक पुष्प सदृश वर्ण
2.रजत और ताम्र भस्मकृष्णवर्ण
3. कांस्य भस्मधूसरवर्ण
4.नागभस्मकपोतवर्ण
5.वंग भस्मशवेत वर्ण
6.तीक्ष्ण लौहपक्वजम्बू फल सदृश वर्ण
7.अभ्र्क भस्मइष्टिकाचूर्ण सदृश रक्त वर्ण

धातु भस्मों की सामान्य सेवन मात्रा:-

  1. पारद भस्म- 1 रत्ती
  2. सुवर्णभस्म- 1रत्ती
  3. ताम्रभस्म- 2 रत्ती
  4. लौहभस्म – 2 रत्ती
  5. नागभस्म- 2 रत्ती
  6. वंग भस्म- 2रत्ती
  7. यशदभस्म- 2 रत्ती
  8. कांस्यभस्म- 2 रत्ती
  9. पित्तल भस्म- 2 रत्ती
  10. अभ्र्क भस्म- 2 रत्ती
  11. रजतभस्म- 3 रत्ती
  12. हरताल भस्म – 7 यव
  13. वज्रभस्म – 2 यव

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