लघु पंचमूल :-
बाहर खड़ी गो के कण्ठ में पर्णी।
बाहर – बृहती
गो – गोक्षुर
कण्ठ – कण्टकारी
पर्णी – शालपर्णी व पृश्नपर्णी
बृहत पंचमूल :-
पाटलिपुत्र में शयोनाक नामक सर्प के बिल पर अग्नि लगने से गम्भीर हो गया।
पाटलिपुत्र – पाटला
शयोनाक – शयोनाक
बिल – बिल्व
अग्नि – अग्निमंथ
गम्भीर – गंभारी
वल्ली पंचमूल :-
मेष राशि की रजनी ने विदारी की Welcome party में गुड लुकिंग सारी पहनी ।
मेष – मेषश्रृंगी (अज श्रृंगी)
रजनी – रजनी (मंजिष्ठा)
विदारी – विदारी कंद
गुड – गुडूची
सारी – सारिवा
कंटक पंचमूल :-
शत मर्द को देखकर सैर करती गो हिंसक हो गई।
शत – शतावरी
मर्द – करमर्द
सारी – सैरेयक
गो – गोक्षुर
हिंसक – हिंस्त्रा
मध्यम पंचमूल :-
पुनः बल बढ़ान के लिए मुद्गिल ने एरण्ड का मांस खाया ।
पुनः – पुनर्नवा
बल – बला
मुदगिल – मुद्गपर्णी
एरण्ड – एरण्ड
मास – माषपर्णी
जीवनीय पंचमूल :-
अभी वीर ऋषियों का जीवन जिएगा।
अभी – अभिरू
वीर – वीरा
ऋषि – ऋषभक
जीवन – जीवक
जाएगा – जीवन्ती
मधुर त्रिफला :-
दादा खजूर खाकर गम्भीर हुए ।
दादा – द्राक्षा
खजूर – खजूर
गम्भीर – गंभारी
स्वालप त्रिफला :-
फूफा खजूर खाकर गम्भीर हुए।
फूफा – फालसा
खजूर – खजूर
गम्भीर – गंभारी
त्रिमद :-
मद पीकर विडंग के मस्थक पर चित्र बनाया।
विडंग – विडंग
मस्तक – मुस्तक
चित्र – चित्रक
क्षार अष्टक :-
ऊपर जाकर स्नूही ने पलाश से चिंचा की जो सगी बहन है, उसकी अकड़ निकाली।
ऊपर – अपामार्ग
स्नुहि – स्नुही
पलाश – पलाश
चींचा – चिञ्चा
जो (यव) – यवक्षार
सगी – सज्जीक्षार
अकड़ – अर्क
निकाली – तिलनाल
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