Name :-
संस्कृत | मौक्तिकम् |
हिन्दी | मोती |
English | Pearl |
Chemical Formula | Ca CO3 |
- Hardness (काठिन्य)= 3.5
- Relative density (आपेक्षिक घनत्व)= 2.65- 2.89
पर्याय :-
- मुक्ता
- मुक्ताफल
- शुक्तिज
- शशिरत्न
- शशिप्रिय
परिचय :-
- सफेद चमकयुक्त, इन्द्रधनुष के जैसे रंग फैलाने वाला
- गोल और मृदु प्राणिज रत्न है।
- सीप के खोल के अन्दर के भाग में molluscs जाति के जन्तु के स्राव से मोती बनता है।
- जब इस शुक्ति के अंदर का जीव मर जाता है तो इस सीप को फाड़कर उबालकर इसका मांस निकाल कर मोती को ले लेते हैं।
- किसी कठोर या सख्त वस्तु के रगड़ से ये टूट जाता है, अम्ल द्रव्यों के सम्पर्क से भी इनकी चमक और आकृति नष्ट हो जाती है।
- अतः मोती (Mukta) के आभूषणों को रेशम आदि की बनी हुई गद्दी की डिब्बियों में रखा जाता है।
Habitat :-
- Iran
- Japan
- Australia
- Sri lanka
मुक्ता की योनि :-
- शुक्ति
- शंख
- गज
- सूअर
- सर्प
- मत्स्य
- मेंढक
- बाँस
Types :-
१.प्राकृत मुक्ता | शुक्ति में सुक्ष्मकणों के प्रवेश होने से मोती बनता है। |
२.कृत्रिम मुक्ता | शुक्ति को खोलकर उसमें कणों को बाहर से प्रवेश कराकर कुछ कल तक उसे समुद्र में छोड़ दिया जाता है, इसके बाद शुक्ति को निकाल कर मोती (Mukta) ग्रहण किया जाता है। |
ग्राह्य मुक्ता :-
इन 9 गुणों वाला मुक्ता ग्राह्य होता है-
- शवेत
- लघु
- स्निग्ध
- निर्मल
- कान्तिमान
- देखते ही मन को प्रसन्न करने वाला
- बड़ा
- पानीदार एवं
- वृत्त
अग्राह्य मुक्ता :-
इन 8 गुण युक्त मुक्ता ग्रहण नही करना चाहिए-
- रुक्ष स्पर्श
- निर्जल
- श्याव
- ताम्राभ
- लवणसदृश
- अर्धशुभ्र
- टेढ़ा- मेढ़ा
- गांठ युक्त।
मुक्ता – प्रवाल की आयु :-
कुछ समय पश्चात् प्रभाव से मुक्ता (Mukta) और प्रवाल खराब हो जाते हैं।
मुक्ता की मृदुत्व:-
- केवल मुक्ता (Mukta) एवं प्रवाल पर लौह या पत्थर से लिखा जा सकता है।
- किन्तु मुक्ता एवं प्रवाल से लोहों पर नहीं लिखा जा सकता, पर अन्य रत्नों से लिख सकते हैं।
मुक्ता के लिए सावधानी :-
- साधारण अम्ल पदार्थों का शीघ्र प्रभाव होने से मुक्ता की चमक नष्ट हो जाती है।
- किसी वस्तु के साथ रगड़ने से भी मोती टूट जाता है।
मुक्ता के दोष एवं दुष्प्रभाव :-
दोष | दुष्प्रभाव |
१. शुक्ति खण्ड | कष्टदायक |
२. मत्स्याक्ष | पुत्रनाशक |
३. जठर | मृत्युदायक |
४. विद्रुमच्छाया | दारिद्रयकारक |
५. त्रिवृत | सौभाग्यनाशक |
६. चिप्पिट | अकीर्तिकर |
७. कृश | प्रज्ञाविध्वंसकर |
८. त्रास | सौभाग्यक्षयकारक |
९. कृशपार्श्व | निरुद्योगकारक |
१०. आवर्त | सर्वसम्पतिनाशक |
- मोती में छाया –
- मधु सदृश
- मिश्री सदृश एवं
- श्रीखण्ड सदृश (उत्कृष्ट)
मुक्ता शोधन :-
दोला यन्त्र में
⬇
मुक्ता को जयंती स्वरस
⬇
3 घण्टे तक स्वेदन करने पर शुद्ब
⬇
साफ जल से धो कर सुरक्षित रखें।
मारण :-
शुद्ध मुक्ता ➡ सिमाक पत्थर के खल्व में ➡ चूर्ण करके ➡ भावना- गुलाब जल की ➡ टिकिया बनाकर रखें ➡ शराव सम्पुट कर➡ लघु पुट में पाक करे➡ 3 बार करने से श्वेतवर्ण की मुक्ता भस्म तैयार ।
पिष्टी :-
शुद्ध मुक्ता ➡ सिमाक पत्थर खल्व में➡ डाल चूर्ण ➡ गुलाब जल के साथ ➡ 3 दिन तक मर्दन करने पर ➡ उत्तम पिष्टी बन जाती है।
गुण :-
मुक्ता भस्म एवं पिष्टी की मात्रा :-
1/4 – 1 रत्ती
अनुपान :-
मधु।
प्रमुख योग :-
- बसन्तमालती रस
- बसन्ततिलक रस
- मुक्ता प ञ्चामृत रस
- ग्रहणीकपाट रस।
- बृहद कस्तूरीभैरव रस
One reply on “Mukta ( मुक्ता ) : मोती, Pearl – Ratn Vargha”
[…] मुक्ता पिष्टि – 1 भाग […]