नाम:-
संस्कृत | नवसदरः |
हिन्दी | नौसादर |
English | ammonium salt |
Chemical name:- Ammonium chloride (NH4 Cl)
पर्याय:-
नवसार, नवसादर, नृसार, चुल्लिका लवण,नरसादर, चूलिका लवण।
परिचयः–
◆करीर और पीलू वृक्षों के काष्ठों को जलाने पर जो क्षार पाल होता है। अथवा ईंटों को जलाने पर जो पीला सा सफेद और हल्का लवण प्राप्त होता है। उसको नौसादर तथा चुल्लिका लवण कहते है।
प्राप्ति स्थान:-
खनिज रूप में ईटली के सिसली ज्वालामुखी पहाड़ के समीप, मध्य एशिया, मिश्र, यूरोप तथा भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एवं गुजरात में प्राप्त होता है।
नवसादर भेदः-
आयुर्वेद प्रकाश के टीकाकार ने इसके दो भेद बताये हैं:
(1) कृत्रिम
(2) खनिज
बाजार में तीन प्रकार का नवसादर प्राप्त होता है
(1) पपड़ी रूप में मोटा जमा हुआ मटमैला मिलता है।
(2) सफेद डंडे या टिकिया के रूप में मिलता है। इन दोनों को शुद्ध करना आवश्यक है।
(3) यह अमोनियम क्लोराइड के नाम से कैमिस्ट के पास मिलता है। जो ऊर्ध्वपातित श्वेत रवेदार होता है। यह पूर्णतः शुद्ध होता है।
नौसादर शोधन:-
★ एक भाग नौसादर को तीन गुणा जल में घोलकर वस्त्र से छान करके पात्र में रखे।
★ फिर पात्र को चूल्हे पर चढ़ाकर तीव्रान्नि से पाक करने पर जल पूर्णतः शुष्क होकर शुद्ध नौसादर प्राप्त हो जाता है।
नवसादर गुण:-
●यह स्वर्ण शोधक, ●शंखद्राव रस निर्माण,● पारद के जारण कर्म एवं विडद्रव्यों में उपयोगी होता है।
●यह भुक्त मांस को पचाने वाला,● मुखशोषनाशक एवं त्रिदोष घ्न होता है। नौसादर स्निग्ध, सूक्ष्म, लघु, तीक्ष्ण, उष्ण, पाचक, सारक, जाठराग्निप्रदीपक होता है।
◆यह प्लीहा रोग, ◆मांस अजीर्ण निबारक,◆ गुल्म,◆ आध्मान, ◆कफविश्लेषक, ◆वृश्चिक विषनाशक,◆ धातुओं को पिघलाने वाला, नेत्र्य, ◆हद्रोगहर, ◆श्वित्रकुष्ठहर होता है।
नौसादर मात्रा:-
बल एवं काल का विचार करते हुए 2 से 8 रत्ती तक इसका प्रयोग करना चाहिये।
नौसादर के प्रमुख योग:
(1) श्वेत पर्पटी
(2) शंखद्राव
(3) स्वर्णवङ्ग
(4) बृहद् शंखद्रावक रस
(5) वृश्चिक दंशहर लेप
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