पारदामृतलवङ्ग गन्धर्व भागयुग्ममरिचेन मिश्रितम्।
जातिकाफलमथार्द्धभागिकं तिन्तिडीफलरसेन मर्दितम्।।
मायमात्रमनुपानयोगतः सद्य एव जठराग्निदीपनः।
सङ्ग्रह ग्रहण कुम्भकर्ण सामवातखरदूषणं जयेत् ।
वह्निमान्द्यदशवक्त्रनाशनो रामबाण इति विश्रुतो रसः।। (‘भै. र. अग्निमांद्य 10/90-92)
घटक द्रव्य :-
भावना द्रव्य – तिंतिडीक फल रस (इमली) – यथावश्यक
Trick to Learn :-
परन्तु वत्स! काजल लव पर जान से अधिक मरती थी।
- वत्स – शुद्ध वत्सनाभ
- काजल – कज्जली ( पारद + गंधक )
- लव – लावंग
- जान – जयपाल
- मरती – मरीच
उपयोग, मात्रा व निर्माण विधि :-
निर्माण विधि- सर्वप्रथम शुद्ध पारद एवं शुद्ध गन्धक की कज्जली बनाकर उसमें शेष द्रव्यों का सूक्ष्म चूर्ण मिलाकर तांत्रिक फल रस की भावना देकर मर्दन कर सुखाकर सुरक्षित रखें।
मात्रा:- 125-250 मि. ग्राम
अनुपान:- मधु, तिन्तिडीफल रस
मुख्य उपयोग:- ग्रहणी, आमवात, अग्निमांद्य।