रसक (Rasak) के नाम:-
हिंदी | खपरिया |
संस्कृत | रसक |
English | Zinc ore or Calamine |
Chemical formula:- Zn Co3
पर्याय :-
रसक, रीतिकृत, ताम्ररंजक, नेत्ररोगरि, खर्पर।
Types:-
On the basis of रसार्णव:-
- मृतिकाकार
- गुडाभ
- पाषाणाभ
On the basis of रसरत्नसमुच्चय:-
- दर्दुर : दलयुक्त
- करवेल्लक : दल रहित
उपयोग :-
- यशद धातु प्राप्ति क लिए
- औषधि रूप में खाने के लिए।
रसक शोधन आवश्यकता :-
मुख द्वारा सेवन करने पर वमन एवं भ्रम उत्पन्न होने के कारण शोधन करके भस्म का निर्माण करें।
शोधन :–
रसक ( Rasak) को प्रतप्त करके बिजौरा निम्बू स्वरस की 7 बार भावना देने पर शुद्ध हो जाता है
मारण :-
शुध्द पारद (Parad) और शुध्द रसक (Rasak) समभाग में लेकर अच्छी तरह मर्दन करके बालुका यन्त्र विधि से एक दिन पाक करने पर रक्तवर्ण की भस्म बन जाती है।
सत्वपातन :-
अभया, शिलाजतु, केंचुआ, हल्दी, ग्रहधूम्, टंकण। इन सभी को लेकर घोटकर अन्धमुशा में रखकर धमन करने पर रसक (Rasak) का सत्व प्राप्त हो जाता है।
गुण :-
कफपित्तनाशक, नेत्ररोगनाशक, क्षयनाशक, ज्वर विषम ज्वर, कास, श्वास, हिक्का रोगों को नष्ट करता है।
भस्म सेवनजन्य विकार शमनोपाय :–
एक सप्ताह तक गोमूत्र पीना चाइए।
योग :-
- लक्ष्मीविलास रस
- बसन्त मालती रस
- प्रदरान्तक रस
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