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Kumar Bhritya

Revati Graha | रेवती ग्रह : Bal Graha – Symptoms and Management

स्वरूप :-

  • विविध वस्त्र धारण करने वाली
  • चित्र – विचित्र, चंदन माला धारण करने वाली
  • कानों में जिसके कुण्डल हिलते हो
  • श्याम वर्ण
  • जो रेवती की पूजा करेगे उन्हें कभी भी भूत का भय नहीं होगा
  • 6 मुख वाली
  • सदा प्रसन्न
  • वरदान मुद्रा के साथ
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पर्याय :-

  • लंबा
  • कराल
  • विनता
  • बहुपुत्रिका
  • रेवती
  • शुष्क नामा
  • वारूणी
  • ब्रह्मी
  • कुमारी
  • षष्ठी
  • यमिका
  • धरणी
  • मुख मंडिका
  • माता
  • शीतवती
  • कंडू
  • पूतना
  • निरूंचिका
  • भूत माता
  • लोक मातामही
  • शरण्या
  • पुण्य कीर्ति

जो उपर्युक्त रेवती के पर्याय का जाप करेगा उसकी संतान रोग रहित होकर वृद्धि को प्राप्त होंगे

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रेवती को वरदान :-

जब रेवती ने कार्तिकेय की उग्र तपस्या की तो भगवान ने कहा कि नंदीकेश्वर 5 वे भाई और तुम 6 थी बहन होगी, जैसे स्कन्द की पूजा होती है वेसे ही तेरी भी पूजा होगी और प्रभाव शाली होगी। वह तुम्हारी 6 थी तिथि के दिन पूजा होगी।

प्रसव के बाद 6 थी तिथि पर रेवती जी की पूजा करनी चाहिए और इससे सुख व आयु का प्रदान करती है।

लक्षण :-

  • मुख लाल होना
  • हरे रंग का मल
    • पतला मल
  • शरीर का वर्ण पांडु होना
    • श्याम वर्ण होना
    • नीला वर्ण होना
  • ज्वर
  • मुख पाक
  • वेदना
  • कर्ण व नासा मलते रहना
  • कास
  • हिक्का
  • अतिसार
  • व्रण व स्फोटो का भर जाना
  • बकरी जैसी गंध
    • कीचड़ की गंध
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अरिष्ट लक्षण :-

स्वपन में बालक समुद्र आदि किसी जलाशय में डूबे।

चिकित्सा :-

  • अश्व गंध, मेष श्रृंगी, दोनों अनंत मूल, दोनों पुनर्नवा, कटेरी, माष पर्णी, विदारीकन्द से परूषेशन करना चाहिए।
  • कूट, राल, गुगल, लामज्जक, तृण, हल्दिया कदंब से सिद्ध तैल की मालिश
  • कूलथ, शंख, अस गंध का लेप करना चाहिए
  • सफेद फूल, लावा, दूध, लाल शालि की भात, दही को गाय को देना चाहिए
  • समुद्र व नदी के संगम पर बालक व माता को स्नन करना चाहिए व निम्न पाठ पढ़ना चाहिए :-
    • नानाशस्त्रभरा देवी चित्रमाल्यानुलेपना ॥चलत कुण्डलिनी श्यामा रेवती ते प्रसीदतु । उपासते यां सततं देव्यो विविधभूषणाः ॥ लम्बा काला विनता तथैव बहुपुत्रिका। रेवती शुष्कनासा च तुभ्यं देवी प्रसीदतु।।
    • अनेकों प्रकार के शस्त्र धारण करनेवाली, चित्र-विचित्र रङ्ग की माला और लेपन धारण करनेवाली, चञ्चल कुण्डली वाली और श्याम वर्णवाली, रेवती देवी तुम्हारे ऊपर प्रसन्न हो। लम्बी, विकराल, विनता, बहुत पुत्रों वाली, शुष्क नासिकावाली, और अनेकों प्रकार के आभूषणों द्वारा सुशोभित देवियों द्वारा सदा सेवित रेवती देवी तुम्हारे ऊपर प्रसन्न हो।
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शुष्क रेवती ग्रह :-

इस ग्रह / बाल ग्रह का वर्णन केवल अष्टांग हृदय में मिलता है जो कि इस प्रकार है :-

आक्रमण का समय :-

सातवे दिन , सातवे महीने या 7 वे वर्ष में यह बालक को ग्रहण करती है।

लक्षण :-

  • हरा – पीले रंग का मल
  • धीरे धीरे सभी अंगो का क्षय
  • केश का गिरना
  • अरुचि
  • स्वर दीनता
  • उदर पर ग्रन्थि व सिरा जाल दिखाई देना
  • शरीर से गंध आना
  • रोना
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अरिष्ट लक्षण :-

  • बहुत खाने पर भी जब बालक कमजोर हो जाए, तृष्णा से पीड़ित, नेत्र निर्बल
  • स्वपन में सूखे हुए कूप व नदी देखे

चिकित्सा :-

  • गूगल, मेडा का सिंग, सरसो, खस, नेत्र बाला, घृत इसका धूप करे निम्न मंत्र पढ़ते हुए 3 दिन तक फिर ब्रहमनो को भोजन करवाए :-
    • ॐ नमो नारायणाय दीप्ततेजसे हन हन मुञ्च मुञ्च स्वाहा।।
  • लाल व सफेद पुष्प, चंदन, नागर पान, लाल चावल, खिचड़ी, 13 स्वस्तिक, मछली का मांस, मदिरा, 13 ध्वजा, 5 दीपक, पश्चिम दिशा में ग्राम से निकल कर शायम को बलि दे और स्नान करे।
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रेवती ग्रह के क्रोध के कारण होने वाले रोग :-

  • ज्वर
  • अतिसार
  • विसर्प
  • शूल
  • इंद्रियों का दूषित होना
  • अरुचि
  • श्वास
  • कास
  • तृष्णा
  • अनिद्रा
  • मुख पाक
  • क्षीर अलसक
  • विसुचिका
  • अति निद्रा
  • हिक्का
  • मूर्च्छा
  • भ्रम
  • रोदन
  • व्रण
  • एक आंग वात
  • पक्ष घाट
  • नेत्र स्तंभता
  • स्वर भेद
  • वर्ण भेद
  • अग्नि भेद
  • पांडु
  • कमला
  • क्षीर दोष
  • क्षीर नाश
  • अक्षि रोग
  • कर्ण रोग
  • नासा रोग

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