• SADHARAN RAS SANKHYA M 8 HOTE HAI.
कंपिलाक ने गौरी व नवसादर का अग्नि में सिंदूर बनाकर कपड़े से छानकर ही मुख से संख बजाया।
कंपिलक – कंपिलक
गौरी – गौरीपाषाण
नवसादर – नवसादर
अग्नि – अग्निजार
सिंदूर – गिरि सिंदूर
कपड़े – कपर्द
ही – हिंगूल
मुख से संख – मृद्श्रृंग
साधारण रस | पर्याय | भेद | शोधन | मारण | मात्रा |
कम्पिल्लक | कम्पिल्लक, रेचन,कर्कश,रोचन,रक्तांग,रक्तफला, चन्द्र | नहीं होते | पानी में घोलकर ऊपर का भाग हटाकर सुखाना | पानी में घोलकर ऊपर का भाग हटा कर सुखाना | 4-6 रती |
गौरीपाषाण | शंखविष,शंखमूष, गौरीपायाण | 3 स्फाटिकाभ (श्वेत), शंखाभ (पाण्डुर), पीताभ | सोमल पोटली अजदुध/मासरस 1 दिन दौला यंत्र स्वेदन | सोमल पोटली अजदुध/मासरस 1 दिन दौला यंत्र स्वेदन | 1/120-1/30 रती |
नवसादर | नवसार, नव्यसार, नवसादर, नसादर,नसार | 2 योगांबारी, चुलिक्का लवण | 3 गुना जल में घोलकर चंकर सुखाना | 3 गुना जल में घोलकर चंकर सुखाना | 2-8 रती |
कपर्दिका | वराटिका, कपर्दक, कपर्द,कपदी,कप्दिका | 3 पीत, श्वेत, धूसर | कांजी/अमल द्रव | कांजी/अमल द्रव | 2 रती |
वद्विजार | अग्निज, अग्निगर्भ, अग्नि-निर्यास,समुद्र-जरायु,अग्नि-ज्वाला | नहीं होते | नहीं होता | नहीं होता | ¼-½ रती |
गीरिसिंदूर | रक्त रेणु, सिन्दूर,गणेश भूषण, नागज,नाग गर्भ, मंगल्य, | नहीं होते | नहीं होता | नहीं होता | 1-2 रती |
हिंगुल | हिंगल, हिंगुल,सुरंग,चूर्णपारद, रसोद्धव, रंजन | 2 शुक्तुंड, हंसपाद | अदरक स्वरस 7 बार भावना | अदरक स्वरस 7 बार भावना | ½-1 रती |
मृढ़श्रृंग | मृदारश्रृंगक,बोदारश्रृंग, मुर्दाशंख,मुर्दाशंखक | 2 खनिज, क्रित्रिम | मतुलुइंग स्वरस+ अदरक स्वरस 3 दिन | मतुलुइंग स्वरस+ अदरक स्वरस 3 दिन | 2-5 रती |
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