Names :-
संस्कृत | स्फटिकः |
हिन्दी | स्फटिक |
English | Rock crystal |
- Hardness= 7
- Relative Density= 2.65
- Chemical Formula= SiO2
पर्याय :-
- शिवरत्न
- स्फटिक
- निर्मलोपल
- सितोपल
- स्वच्छ
- स्वच्छमणि
- अम्लरत्न
- शिवप्रिय
- शालीपिष्ट
परिचय :-
- स्फटिक (Sphatik) पारदर्शक, बिना किसी रंग के, स्वच्छ, श्वेतवर्ण का पाषाण।
- माला, बर्तन शिवलिङ्ग, मूर्ति आदि बनाये जाते हैं।
- शुद्ध स्फटिक (Sphatik) रंगहीन, निर्मल होता है परन्तु अशुद्धियों के कारण रंग युक्त दिखाई देता है।
प्राप्ति स्थान :-
- भारत में जबलपुर, बाँदा, खम्भात आदि स्थानों पर मिलता है।
ग्राह्य स्फटिक :-
- गंगा जल के समान स्वच्छ
- छिलका रहित, अति निर्मल
- नेत्र, हृदय के लिए हितकारी
- पत्थर आदि पर रगड़ने से जिसकी स्वछता बनी रहे
- यह दुर्लभ, भगवान शिव को अति प्रिय ।
शोधन और मारण :-
राजावर्त की समान होता है।
भस्म मात्रा :-
2 – 4 रत्ती
स्फटिक भस्म के गुण:-
- रस – मधुर
- वीर्य – शीत
- विपाक – मधुर
- ज्वरघ्न, रक्तपितघ्न आदि नष्ट करता है।
अनुपान :-
मधु।
प्रमुख योग :-
- स्फटिक पिष्टि
- नागरसायन
- इन्द्रयोक्त रसायन
- स्फटिक भस्म
- सर्वनेत्ररोगहर अञ्जन