Supari commonly known as Areca Nut or Betel nut, is an Ayurvedic herb widely cultivated in Southern states of India which is used as a masticatories and in spices. It has many medicinal properties and helps to treat and prevent mouth ulcers, diarrhoea, intestinal worms, dental cavities, chicken pox, joint pains, various skin diseases, abdominal diseases, menstrual issues etc.
Botanical Name – Areca catechu
Family – Arecaceae
Classical Mentions:
- भावप्रकाश निघण्टु : आम्रादि फल वर्ग
- धन्वन्तरी निघण्टु : चंदनादि वर्ग
- मदनपाल निघण्टु : फलादि वर्ग
- कैदेव निघण्टु : औषधि वर्ग
- राज निघण्टु : आम्रादि फल वर्ग ( इसमें सुपारी के 2 भेदों का वर्णन मिलता है।)
- चंदु निघण्टु : असनादि गण
- प्रिय निघण्टु : हरितक्यादि वर्ग
- हृदयदीप निघण्टु : Not Mentioned
• राज निघण्टु में सुपारी के 2 भेद बताएँ हैं:- 1) पूग, 2) सेरी फलम् ।
पर्याय/ Synonyms:
- संस्कृत = धोरण्ट, पूर्गो, पूग, गुबारक, चिक्कण, पूगीफल, उद्वेग
- हिन्दी = सुपारी, सोपारी, सुपाड़ी, कसली
- उर्दू = सुपारी (Supari)
- उड़िया = पुगो (Pugo), नोरुम (Tranodrum), गुआ (Gua) सुपारी (Supari)
- असमिया = ताम्बूल (Tambul)
- कोंकणी = फूफल (Fufal), मेडी (Maddi), सुपारी (Supari)
- कन्नड़ = बेट्टा (Betta) पूग (Puga), कडि (Kadi), आडिक (Adike)
- गुजराती = सोपारी (Sopari), सुपारी (Supari)
- तमिल = कमुगु (Kamugu) पाक्कूमरम (Paakkumaram)
- तेलुगु = पोका (Poka), कोलापोका (Kolapoka)
- बंगाली = गुआ (Gua), शुपारी (Shupari) सुपारी (Supari)
- नेपाली = सुपारी (Supari)
- पंजाबी = सुपारी (Supari)
- मराठी = पूंग (Pung), पोपहली (Pophali), सुपारी (Supari)
- मलयालम = अडाक्कामरम् (Adakkamaram) कुवना (Kuvangu)
- अंग्रेज़ी/English = एरेका तट (Areca nut), बीटलपाम (Betelpalm)
- अरबी = फोफाल (Fofal), फूफल (Fufal)
- फारसी = पोपल (Popal) पुपल (Pupal)
Comparative review of Synonyms:-
पर्याय | भावप्रकाश | धन्वन्तरि | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
पूग | + | + | + | + | ||
क्रमुक | + | + | + | + | + | |
पूगाफल | + | |||||
कषायफूलपुष्पक | + | |||||
पूगफल | + | |||||
स्त्रंसी | + | + | ||||
उद्वेग | + | + | ||||
घोण्टाफल | + | + | ||||
चिक्कण | + | + | + | |||
चिक्क | + | |||||
गुवाक | + | + | + | |||
खपुर | + | + | ||||
पूगक | + | |||||
केवुक | + | |||||
पूगी | + | |||||
घोरण्ट | + | |||||
चिक्कणा | + | |||||
चिक्का | + | |||||
कम्बुक | + | |||||
कषायफल | + | |||||
कषायपुष्प | + | |||||
क्रमिक | + | |||||
सुरपुष्प | + | |||||
मधुर कषाय | + | |||||
पूगवृक्ष | + | |||||
दीर्घपादक | + | |||||
वल्कवरु | + | |||||
दृढ़वल्क | + |
External Morphology:-
- Areca tree is found and cultivated for its commercial value in the southern states of Karnataka, Kerala, Andhra Pradesh and in North Eastern states of Assam.
- The tree is 10-12 m long; similar to the height of a Coconut tree. It is tall, slender and unbranched surmounted by a crown of pinnate leaves.
- Bark: straight, smooth and has circular rings on it.
- Leaves: 12-18 cm long, fan type feather like dropping, pinnate, with numerous leaflets.
- Flowers: Inflorescence- Spadix, Male flowers are small and the female flowers are big.
- Fruit: 3.8-5 cm long, smooth, ovoid or egg shaped. Orange in colour and they turn dark orange after ripening.
- Inside the fruit is a single seed. Endosperm is popularly called the (Supari) Areca nut, which is 2-4 cm in diameter, greyish brown in colour with reddish brown lines.
Chemical Constituents:-
Lauric acid, Myristic acid, Palmitic acid, Stearic acid, gallic acid, arecaidine, areolidine, guvacine, guvacoline, catechin, epi-catechin, leucocyanidin.
Wood contains catechins, aracholine, guvacoline, guvacine, arecolidin, gallic acid, leucocyanidin, beta-cytosterol, tannins, carbohydrates, proteins and fats.
Ras Panchak:-
- रस= कषाय, मधुर
- गुण= गुरु, रूक्ष
- वीर्य= शीत
- विपाक= कटु
- कर्म= कफ-पित्त शामक, त्रिदोषशामक
Comparative review of Guna:-
गुण | धन्वन्तरि | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
गुरु | + | + | + | ||
रुक्ष | + | + | |||
शीत | + | + | |||
कषाय | + | + | + | + | |
कफ-पित्त नाशक | + | + | + | ||
मधुर | + | + | + | ||
अम्ल विपाक | + | ||||
उष्ण | + | ||||
क्षार | + | ||||
वातनाशक | + | ||||
पित्तवर्धक | + |
Comparative review of Karma:-
कर्म | धन्वन्तरि | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
दीपक | + | + | |||
रुचिजनक | + | + | |||
मुखविरसता | + | + | |||
सारक | + | ||||
अरुचि | + | ||||
मोहजनन | + | + | + | ||
हृदयविकार | + | ||||
मुखदुर्गन्ध नाशक | + | + | |||
भेदन | + | + | |||
मदकारक | + | + | |||
मुख से क्लेद | + | ||||
मलकारक | + | ||||
रेचक | + | ||||
मुखमल नाशक | + |
अवस्था भेद से गुण-कर्म:-
अवस्था | मदनपाल | राज | कैदेव | भावप्रकाश |
आर्द्र पुग | गुरु, कफ प्रकोप, अग्नि शामक, नेत्र ज्योति ह्रासक | गुरु, अभिष्यंदी | ||
पक्व पुग | त्रिदोष शामक | |||
शुष्क पुग | वातजनक | कण्ठ रोग, रुचिकर, पाचक, दस्तावर | वातवर्धक, स्निग्ध, त्रिदोषशामक, | |
स्वित्र पुग | त्रिदोष शामक, अबल्य | |||
कच्ची सुपारी | कषाय, मुख मल, कण्ठ शोधक, रक्त विकार, आम दोष, कफ पित्त विकार, उदर रोग, आध्मान, दस्तावर | गुरु, दीपक, अभिष्यंदी, दृष्टि मंद कारक | ||
उबली हुई | त्रिदोष शामक | |||
कच्ची आर्द्र | कफपित्त नाशक | |||
चिकनी | त्रिदोष शामक | |||
कच्चा फल | गुरु, त्रिदोष शामक, दीपक, दृष्टि मंद कारक | |||
तैल | मधुर, लघु, त्रिदोष शामक, रूचिकारक, कण्ठ शुद्धि, दीपक, पाचक, दस्तावर | |||
गुहागर प्रदेश सुपारी | मधुर, कषाय, कटु, चिकना, लघु, पाचक, विष्टम्भकारक, उदर रोग, आध्मन, द्रावक | |||
घोण्टा सुपारी | कटु, कषाय, उष्ण, पित्त कारक, रुचिकर, विबंध, दीपक | |||
वल्लिगुल पूग | त्रिदोष शामक, आम, रुचिकर, पाचक,विष्टम्भ, दीपक | |||
चंद्रपुर पूग | कफ नाशक, कटु, मधुर, कषाय, मलशोधक, दीपक, पाचक, रुचिवर्धक | |||
आन्द्रप्रदेश पूग | मधुर, कषाय, वातरोग, कफनाशक, मुख जकड़न | |||
पान के बिना | पाण्डु रोग, वात रोग, शोष कारक | |||
पुष्प | कषाय, मधुर, गुरु |
Part used:-
Fruit, Leaves, Flower
सुपारी का फल | राज | भावप्रकाश |
पर्याय | पूग, चिक्कणी, चिक्का, चिक्कण, श्लक्ष्णक, उद्वेग, क्रमुकफल, पूगफल | पूगीफल, उद्वेग |
गुण | मधुर, कषाय, अम्ल, कटु, कफ वात नाशक, | कषाय, कटु, गुरु, शीत, रुक्ष, कफ पित्त |
कर्म | रुचिकर, दस्तावर, मुख दोष | दीपक, मोह जनन, रोचक, मुख विरसता |
Dosage:-
- चूर्ण / Powder / Cut seed = 1-3 g
- क्वाथ / Decoction = 10-15 ml
- कल्क / Paste = 10-12 gm
औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं विधि/ Medicinal uses:-
- ओष्ठक्षत= सुपारी मूल का क्वाथ बनाकर गरारा करने से ओष्ठक्षत में लाभ होता है।
- दंत-विकार (Dental disease)= सुपारी के चूर्ण को दांतों पर मलने से दंत-विकारों का शमन होता है।
- उदरकृमि (Intestinal worms)= 10-30 ml पूग-फल-क्वाथ का सेवन करने से उदरकृमियों का शमन होता है।
- उदर रोग (Abdominal diseases)= 5 ml सुपारी फल-स्वरस को पीने से विरेचन द्वारा दोषों का निर्हरण होता है।
- अतिसार (Diarrhoea)= पाँच हरे पूग-फल को मन्द आग में पकाने पर जब अन्दर की ओर जलने लगे तब इसे निकालने के पश्चात् काट कर प्रयोग करने में अतिसार में लाभ होता है।
- उदावर्त= 1-4 gm सुपारी के चूर्ण को तक्र (छाछ) के साथ सेवन करने से उदावर्त में लाभ होता है।
- शुक्रमेह (Spermatorrhoea)= 6 gm सुपारी-पुष्प-चूर्ण में 3 gm शर्करा मिलाकर धारोष्ण दुग्ध के साथ सेवन करने से शुक्रमेह में लाभ होता है।
- उपदंश (Syphilis)= प्रतिदिन उपदंशज व्रण पर सुपारी फलकल्क का लेप करने से लाभ होता है। या सुपारी के चूर्ण को व्रण पर लगाने से व्रण का शीघ्र रोपण होता है।
- आर्तव विकार (Menstrual disorders)= सुपारी पाक का सेवन करने से आर्तव-विकारों का शमन होता है।
- कटिशूल (Back pain)= सुपारी पत्र-स्वरस को तैल में मिलाकर कटि में मालिश करने से कटिशूल का शमन होता है।
- त्वचा विकार (Skin diseases)= पूग-फल को पीसकर लेप करने से व्रण तथा त्वक् विकारों का शमन होता है।
- मसूरिका (Chicken pox/ Small pox)= 1-2 gm सुपारी चूर्ण को जल के साथ सेवन करने से मसूरिका में लाभ होता है।
- विसर्प (Erysipelas)= रात्रि को सुपारी को उबलते हुए जल में भिगों दें, सुबह उस जल से विसर्प को धोने से विसर्प में लाभ होता है।
- पामा (Scabies)= सुपारी की अन्तर्धूम-भस्म में थोड़ा तिल तैल एवं थोड़ा घी मिलाकर लगाने से पामा में लाभ होता है।