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Astang Hridya Charak Samhita Panchkarma

Nasya karma / नस्य कर्म : भेद, महत्व, प्रयोग विधि

नस्य (Nasya) शब्द निष्पत्ति :- भावप्रकाश ने नासा मार्ग से औषध ग्रहण करने को नस्य (Nasya) कहा है। अरुण दत्त के द्वारा कहा गया है कि नासिका से नस्य दिया जाता है। ‘नस्य’ शब्द का अर्थ है – जो नासा (नाक) के लिए हितकारी है। उर्ध्वजत्रुविकारेषु विशेषान्नस्यमिष्यते। नासा ही शिरसो द्वारं तेन तद्व्याप्य हन्ति तान्। […]

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Rog Nidan

Mutraghat Nidan ( मुत्रघात निदान ) : उत्पत्ति,भेद

उत्पत्ति :- मूत्र के वेग को रोकने से प्रकूपित हुए वात आदि दोष वात कुंडलिका आदि 13 प्रकार के मुत्रघात (Mutraghat) उत्पन्न करते है। इस रोग में मूत्र मार्ग में रुकावट होने के कारण मूत्र नहीं निकल पाता परन्तु मूत्र निर्माण की क्रिया चलती रहती है और मूत्राशय भरकर फूल जाता है। According to modern, […]

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Charak Samhita Tricks

Charak Samhita Purvad chapter Name Learn Trick

सूत्र स्थान चतुष्क :- सूत्र स्थान में आचार्य ने 4-4 अध्याय के 7 चतुष्क बनाए गए और अंतिम 2 अध्याय को संग्रहअध्याय कहा गया है। औषधि, स्वस्थ मनुष्य को निर्देशानुसार ही लेनी चाहिए व कलपना करनी चहिए की रोग होने पर योजना पूर्वक अन्न संग्रह करके रखें । औषधि – औषध चतुष्क औषध प्रयोग से […]

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Charak Samhita Dravya Guna Syllabus

Mahakashaya / महाकषाय – Acc. To B.A.M.S. Syllabus

• 50 महाकषाय (Mahakashaya) हैं :- 1) हृदय महाकषाय: आम अमलवेतस आम्रा बेर बड़ी बेर दाड़िम करौंदा बड़हल वृक्षामल मातुलूँग 2) श्वाशहर महाकषाय: अगरु चोपचीनी तुलसी छोटी इलायची हींग जीवंती भूम्यालकि कचूर पुष्करमूल अमलवेतस 3) कासहर महाकषाय: आमलकी हरीतकी पीप्पली मुनक्का दुरालाभा कंटकारी कर्कट्श्रृंगी श्वेतपुनर्नवा रक्त पुनर्नवा भूम्यालकि 4) जीवनीय महाकषाय: जीवक ऋष्भक मेदा महामेदा […]

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Charak Samhita Rog Nidan

Strotas (स्रोतस्) According to Charak Samhita

After reading this read Strotas and diseases with Trick आचार्य चरक ने स्रोतस की चिकित्या में उपयोगिता देखते हुए उसके विवेचन के लिए अलग अध्याय में बताया है । चरक विमान स्थान अध्याय 5 स्रोतोविमानं में बताया है। स्त्रोतस दो प्रकार के होते है:- बहिर्मुख स्रोतस :- यह शरीर के बाहर के द्वार होते है […]

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Charak Samhita Syllabus Tricks

Virodhik Ahaar ( वैरोधिक आहार ) with Trick to Learn

वैरोधिक आहार (Virodhik Ahaar) आचार्य चरक ने सूत्र स्थान के 25वे अध्याय (यज्ज: पुरूषीय अध्याय) में संभाशा परिषद् में 18 प्रकार का बताया है। इनके विरूद्ध होने पर खाना, शरीर के लिए अहितकर होता है । पथ्य पथोऽनपेत यद्यच्चोक्तं मनसः प्रियम् । यच्चाप्रियमपथ्यं च नियतं तत्र लक्षयेत् ॥ ४५ ॥मात्राकालक्रियाभूमिदेहदोषगुणान्तरम् । प्राप्य तत्तद्धि दृश्यन्ते ते […]