आचार्य सुश्रुत ने 11 प्रकार के शिरोरोग (Shiroroga) का वर्णन किया है। Mnemonic:- सूर्य द्वारा दोषों के क्षय से आधे भाग में शंख समान अनंत कृमि उत्पन्न हुए। सूर्य – सूर्यावर्त्त रोग दोषों – (5) वात, पित्त, कफ, रक्तज, त्रिदोषज शिरोरोग क्षय – क्षयज शिरो रोग आधे – अर्धावभेदक शंख – शंखक अनंत – अनंतवात […]
Tag: tricks
Shuklagata refers to diseases of white portion of eye ( sclera). अर्जुन बल से जाल में शक्ति ( अर्म ) पकड रहा था । अर्जुन – अर्जुन बलसे – बलासग्रंथित जाल – सिराजाल शुक्ति – शुक्तिका अर्म – 5 प्रकार के अर्म (प्रस्तारी, अधिमासज, स्नायु, शुक्ल, क्षतज) पकड – सिरा पिडिका व पिष्टक Join BJP […]
पर्याय :- मधु, माक्षिक, माधवीक,क्षोद्र सारघ, माध्वीक, वरटी वांत। गुण :- शीत, लघु, स्वादिष्ट, रुक्ष, ग्राही, नेत्र हितकर, अग्नि वर्धक, स्वर हितकर, व्रण शोधक व रोपक, सुकुमार कारक, सूक्ष्म, स्रोतस शोधक, मधुर कषाय रस युक्त, वर्ण कारक, मेद्य, वृष्य, विश्द, रोचक, योगवाही, वातकारक, कुष्ठ, अर्श, कास, पित्त कफ शामक, प्रमेह, कलांती, कृमि, मेद, तृष्णा, वमन, […]
इक्षु के भेद ट्रीक :- पर्याय :- इक्षु, असिपत्र, गुढमल, मधचतृण, भूरिरस, दी्घच्छदगुण :- रस मधुर, मधुर विपाक, स्निग्ध,गुरु, शीत वीर्य, रक्तपित्त शामक, बलकारक, वृष्य, कफकारक, मूत्रकारक भेद :- 13 पांडव वंश के भीम ने शत वर्ष पहले नेपाल के नील कौशिक और मनोगुप्त के दीर्घ सूची पत्र में लिखे कांड को कंतार में टपका […]
लघु पंचमूल :- बाहर खड़ी गो के कण्ठ में पर्णी। बाहर – बृहतीगो – गोक्षुरकण्ठ – कण्टकारीपर्णी – शालपर्णी व पृश्नपर्णी बृहत पंचमूल :- पाटलिपुत्र में शयोनाक नामक सर्प के बिल पर अग्नि लगने से गम्भीर हो गया। पाटलिपुत्र – पाटलाशयोनाक – शयोनाकबिल – बिल्वअग्नि – अग्निमंथगम्भीर – गंभारी वल्ली पंचमूल :- मेष राशि की […]
सूत्र स्थान चतुष्क :- सूत्र स्थान में आचार्य ने 4-4 अध्याय के 7 चतुष्क बनाए गए और अंतिम 2 अध्याय को संग्रहअध्याय कहा गया है। औषधि, स्वस्थ मनुष्य को निर्देशानुसार ही लेनी चाहिए व कलपना करनी चहिए की रोग होने पर योजना पूर्वक अन्न संग्रह करके रखें । औषधि – औषध चतुष्क औषध प्रयोग से […]
वैरोधिक आहार (Virodhik Ahaar) आचार्य चरक ने सूत्र स्थान के 25वे अध्याय (यज्ज: पुरूषीय अध्याय) में संभाशा परिषद् में 18 प्रकार का बताया है। इनके विरूद्ध होने पर खाना, शरीर के लिए अहितकर होता है । पथ्य पथोऽनपेत यद्यच्चोक्तं मनसः प्रियम् । यच्चाप्रियमपथ्यं च नियतं तत्र लक्षयेत् ॥ ४५ ॥मात्राकालक्रियाभूमिदेहदोषगुणान्तरम् । प्राप्य तत्तद्धि दृश्यन्ते ते […]
प्राणवह स्त्रोतस की व्याधि:- राजा की क्षत पर वार होने से शोष रोग हुआ और प्राण निकल गए। (हिक्का ,कास, श्वास) राजा – रज्यक्षमा क्षत – क्षतक्षीण शोष – शोष रोग प्राण – प्राणवह स्त्रोतस उदकवह स्त्रोतस की व्याधि:- उदर जाकर कृष्णा ने सूचिका पत्र में लिखे सार को प्रवाहित कर दिया। उदर – उदकवह […]