उपरत्न वर्ग के पाषाणों में – रत्न की अपेक्षा काठिन्य, चमक और पारदर्शकता कम होती है। इसलिए इन्हें उपरत्न (Upratn) कहा जाता है। मूल्य भी कम होता है। संख्या :- आनन्दकन्दकार 9 उपरत्न माने आयुर्वेदप्रकाश 15 बृहद् योगतरंगिणीकार 4 रसतरंगिणीकार 6 प्रचलित परम्परा अनुसार रसतरंगिणीकार का मत अधिक प्रचलित है- वैक्रान्त सूर्यकान्त चन्द्रकान्त राजावर्त पैरोजक […]
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