रसकेन समं शंख शिखिग्रीवं च पादिकम्। गोजिह्वया जयन्त्या च तुण्डुलीयैश्च भावयेत्॥
प्रत्येकं सप्तसप्ताथ शुष्कं गुञ्जाचतुष्टयम्। जरणेन घृतेनाद्यात्त्र्याहिकज्वरशान्तये॥
Ingredients :- रसक, शंख ( दोनों की समान मात्रा )
Bhawna Dravaya :- शिखि ग्रीव, पादिक, गोजिह्वा, तंदुलिया प्रत्येक की 7-7 भावना देते है
Vidhi :- भावना देने के बाद में औषधि को सुखाकर चूर्ण करले
Dossage :- 4 गूंजा ( 500 mg ) घृत के साथ
Ussage :- त्रिरात्रज्वर, त्र्याहिक ज्वर
त्रिरात्र ज्वर के लक्ष्ण :- शरीर का काला व पीला सा पड़ जाना, कंठ में शोथ, शाफ
Catalsyt :- पान के पत्र की दली की वटी के साथ प्रयोग से जल्दी असर होता है ( रोगी के बल का विचार करके उपयोग करे) व साथ में पाशुपतास्त्र का भी उपयोग।
Refrence :- बसवराजीयम् ( प्रथम प्रकरणम् ), माधव निदान, माधव कल्पे।