विमल (Vimal) के नाम :-
हिंदी | विमल |
संस्कृत | विमल |
English | Iron pyrite |
Chemical Formula= Fe2 S3
काठिन्य (Hardness)= 6 – 6.5
विशिष्ट गुरुत्व= 5 – 5.2
प्राप्ति स्थान (Habitat):-
आसाम, मद्रास, उड़ीसा, बंगाल, झारखण्ड तथा तापी नदी के समीप के पर्वतों से प्राप्त होता है।
Types :-
हेम विमल | पीतवर्ण का हेमक्रिया हेतु श्रेष्ठतम |
रौप्य विमल | शवेतवर्ण का रजतकर्म हेतु श्रेष्ठतर |
कांस्य विमल | रक्तवर्ण का औषधि कार्य हेतु श्रेष्ठ |
ग्राह्य विमल :-
विमल वर्तुल, स्निग्ध, कोण तथा फलयुक्त श्रेष्ठ होता है। यह वातपितनाशक, वृष्य एवं रसायन में श्रेष्ठ होता है।
शोधन :-
विमल (Vimal) के छोटे-छोटे टुकड़े करके वासा स्वरस या क्वाथ, जम्बीरी नींबू स्वरस, मेषश्रृंगी स्वरस में से किसी भी एक द्रव्य में दोला यन्त्र विधि से स्वेदन करने पर विमल (Vimal) शुद्ध हो जाता है।
विमल मारण :–
शुद्ध विमल के वस्त्रपूत चूर्ण में समान मात्रा में गन्धक मिलाकर।
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बड़हल (लकुच फल) के स्वरस की भावना देकर चक्रिका बनाकर सुखाएं।
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फिर शराव सम्पुट में बन्द करके 10 गजपुट में पाक करने से विमल की भस्म बन जाती है।
विमल भस्म वर्ण :-
रक्त वर्ण की
भस्म गुण :-
- वातपितनाशक
- वृष्य
- अति रसायन
- पाण्डु, प्रमेह, अरुचि, ज्वर, अर्श आदि स्वर्णमाक्षिक के सभी गुण कुछ न्यून रूप में होते है।
मात्रा :-
1/2 to 2 रत्ती।
विमल भस्म सेवनजन्य विकार शमनोपय :-
उत्पन्न विकारों का – मेषश्रृंगी चूर्ण में शर्करा मिलाकर 3 दिन खिलाने पर शमन होता है।
विमल सत्वपातन :-
समान भाग टंकण एवं मेषश्रृंगी भस्म मिलाकर लकुच स्वरस की भावना देकर मर्दन करें।
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मूषा में लेप करके सुखाएं ।
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मूषा को बन्द कर 6 प्रस्थ कोयले की अग्नि द्वारा तीव्र धमन करने पर सीसा के समान सत्व प्राप्त होता है। जो रसायन में श्रेष्ठ होता है।
प्रमुख योग :-
- क्षय केसरी रस
- रसेन्द्रचूड़ामणि रस
- मदनसनजीव न रस
- क्षय संहार रस
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One reply on “Vimal ( विमल ) : Iron Pyrite – Maha Ras”
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