उपविष संख्या में 11 hai।
और विष (Vish) 8 hai par detail में सिर्फ 1 पढ़ना है वत्सनाभ बाकी के बस नाम hai syllabus meh।
उपविष :-
अपने भलातक की लाडली स्नेहा ने गंजे जयपाल के फूल के बीजों को कुचल कर भगा दिया।
अपने – अर्क (अ से ) पोस्ता/अहिफेन (प से)
भलातक – भलातक
लाडली – लांघली
स्नेहा – स्नुही
गंजे – गुंजा
जयपाल – जयपाल
फूल – चित्रकमूल
बीजों – धतुरबीज
कर – करवीर
भगा – भांग
उपविष | पर्याय | Botanical name | मात्रा | शोधन | गुण | उपयोग | प्रतिविष |
अर्क | रविक्षीर, सूर्यक्षीर,अर्कदुग्ध,सूर्यदुग्ध | Calotropis procera | – | – | तिक्त,उष्ण,सर,वात कफ शामक | गुल्म,कुष्ठ,उदर,कृमिदांत,भगांदर,अर्श,क्षार कर्मर्थ, रैचक,वामक | गो घृत/चींचा पत्र स्वरस |
अहिफेन | अफेन, निफेन, अहिफेनक,फणिफेन, नागफेन | Papver somniferum | ¼-1 रती | जल + गोदूध 7-21 भावना | तिक्त | निद्राजनक,दीपक,पाचक,सतंभन,वेड़नाशमक,अतिसार,गृहणी,वमन | अदरक स्वरस |
भलातक | भल्लान, तपन, अग्निक,अरुश्कर, दहन,वायुसखा, कृमिण्न | Semicarpus anacardium | 1-3 रती | ईंट का चूर्ण (तैल शोषण) उष्ण जल प्रशलन | कटु तिक्त कषाय,मधुर,उष्ण,लघु,तीक्ष्ण, वात कफ शामक | गुल्म,वृष्य,बलय,अर्श,गृहणी,शूल,श्वास,कास,शिवत्र, वात व्याधि | हरिद्रा कल्क/नारियल कल्क/धन्यक कल्क |
लांघली | हलिनी, सिरी, विशल्या,अग्नि जिह्वा, स्वर्ण पुष्पा, गर्भपातिनि | Gloriosa superba | – | पूरी रात गोमूत्र में रखना | कटु,उष्ण,सर, वात कफ शामक | सघ: प्रसवकारी,शोथ,कृमि,कुष्ठ | – |
स्नुही | सुधा क्षीर, मूवी दुग्ध,सुमन दुग्ध, सेहुण्डकषीर | Euphobia nerifolia | – | चिंचा पत्र स्वरस ( धूप में सुखाना) | कटु,उष्ण,गुरु,तीक्ष्ण | तीव्र रेचन,क्षार कर्म,जलोदर,अर्श,गुल्म,वात विकार | गो घृत |
गुंजा | रक्ता,रत्तिका, उच्चटा, शीतपाकी | Abrus precatorius | ½-1½ रती | गोदूध दौला यंत्र 2 प्रहर | मधुर,उष्ण,वात पित्त शामक | शोथ,आमवात,स्वर भेद | – |
जयपाल | जेपाल,रेचक, सारक,मलद्रावी | Croton tiglium | ⅛-¼ रती | गोदूध दौला यंत्र 4 प्रहर | तिक्त,उष्ण,सर,गुरु,वात कफ शामक | जलोदर,कृमि, नवज्वर, वृषिक विष | गो घृत/उष्ण जल |
करवीर | आश्वान्तक,अश्वहा,अश्वहन,चणडातक | Nerium indicum | – | – | – | नित्रस्त्राव, नेत्राभिशंद | – |
धतुरबीज | कितव,उन्मत्त,कनक,शठ,कष्टकफल,मदन,शिवशेखर,शिवप्रिय,महामोही.देविका,स्वदूषण | Dhattura stramonium | ¼-½ रती | गोदूध दौला यंत्र 1 प्रहर | कटु,तिक्त,कषाय,मधुर,उष्ण,गुरु | श्वास,कास,उन्माद,आक्षेप,कृमि,कुष्ठ,आंत्रविकर | शकर मिश्रित दूध/ वचा चूर्ण मिश्रित दही |
कुचला | काकनेत्र,आक्षेपकवृक्ष,कालपिलु,काकतिन्दुक,कालकूट,विषमुष्टिका,विषमुष्टी, पाक, | Strychnos nux-vomica | ¼-1 रती | गोदूध दौला यंत्र 1 प्रहर | तिक्त,कटु,कषाय,उष्ण,लघु,तीक्ष्ण | अमल्पित,मुत्रकृच्छ,गृहणी,नपुंसकता,फुसफुस शोथ,हृद्या दौर्बल्यता,वातनाडी बलय | गो घृत |
भांग | भगी, मातुलानी मदनी,मातृका, कानूनी विजया | Cannabis indica | 2-4 रती | पत्र को जल में भिगोना फिर सुखाकर गोघृत में मंदाग्नि पर भर्जन | तिक्त,उष्ण,लघु,तीक्ष्ण | स्वप्नमेह,अतिसार,वीर्यपतन,धनुस्तंब,वृक्क शूल,प्रलाप, पितशोषज शूल | दही, शूंठी मिश्रित दही |
विष :-
प्रदीप और वत्सनाभ ने सौराष्ट्र में हल चलाकर हरिद्रा निर्माण कर उचित काल में ब्रमपुत्रि सक्तू का श्रृंगार किया।
प्रदीप – प्रदीपन
वत्सनाभ – वत्सनाभ
सौराष्ट्र – सौराष्ट्रक
हल – हालाहल
हरिद्रा – हारिद्रक
काल – कालकुट
ब्रह्मपुत्र – स्कतुक
श्रृंगार – श्रृंगक
विष | Botanical name | पर्याय | शोधन | गुण | उपयोग | प्रति विष |
वत्सनाभ | Aconitum ferox | विष,अमृत,क्ष्वेड | गो दूध 6 घंटे दौला यंत्र | कटु तिक्त कषाय,उष्ण,मधुर वीपाक,विकसी | कास,कुष्ठ,गृहणी,उदर,तिमिर रोग,दंतशूल, कर्ण शूल | शुद्ध टंकण+ गो घृत/गो दूध |
3 replies on “Vish and Upvish ( उपविष व विष ) with Trick to Learn”
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