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Yashad ( यशद ) – Zinc / Zincum : Dhatu Vargha

नाम:-

संस्कृतयशदः
हिन्दीजस्ता
EnglishZinc
LatinZincum (Zn)

पर्याय:-

  • यशद
  • यसद
  • जशद
  • जसद
  • खर्परज
  • रंगसंकाश
  • रीतिहेतु

परिचय:-

  • Yashad or Zinc is bluish white in colour, smooth, shiny and heavy in nature.
  • It is generally a brittle metal.
  • On heating in open air, it burns with a bright blue flame, and becomes zinc oxide (श्वेत चूर्ण).
  • Copper+ Zinc➡ Brass
  • Various types of ointments, paints, creams and powders are made from it.

यशद के खनिज:-

  • It is not found in free form.
  • Its main mineral is खर्पर।

इसके निम्नांकित खनिज है :-

  1. Zinc Bland : ZnS (जिंक सल्फाइड)
  2. Zincite : Zno (जिंक ऑक्साइड)
  3. Calamine : ZinC, (जिंक कार्बोनेट)
  4. Hemimorphite (जिंक सिलिकेट)

यशद प्राप्ति स्थान:-

  • Rajasthan
  • Bihar
  • Uttar Pradesh
  • Madhya Pradesh
  • Punjab
  • Kashmir
  • Tamil Nadu

ग्राह्य यशद लक्षण:-

Yashad
  • जो काटने पर चमकदार, स्निग्ध, मृदु, स्वच्छ,
  • अग्नि पर शीघ्र पिघलने वाला और
  • बहुत भारी हो, उस यशद (Yashad) को औषध कार्य में श्रेष्ठ माना जाता है।

अग्राह्य यशद लक्षण:-

  • जो कठिन, देर से पिघलने वाला, रुक्ष, शुष्क चमकदारक्ष, शुष्क चमकदार,
  • लघु एवं मलिन हो, वह औषध कार्य हेतु अग्राह्य माना जाता है।

यशद शोधन का प्रयोजन:-

अशुद्ध एवं अपक्व यशद भस्म का सेवन करने पर

  • गुल्म, प्रमेह, क्षय, कुष्ठ, अजीर्ण,
  • वात व्याधि, वमन एवं भ्रम आदि विकार उत्पन्न हो जाते है।

यशद शोधन:-

आयुर्वेदप्रकाशकार ने यशद (Yashad) का शोधन एवं मारण वंग के सदृश बताया है।

यशद को लौहदर्वी में रखकर

तीव्राग्नि पर पिघलाकर

सच्छिद्र पिधान युक्त पात्र (पिठर यन्त्र) में रखे हुए

चुर्णोदक या निर्गुण्डी मूल स्वरस अथवा अर्कदुग्ध में

7 बार बुझाने पर यशद उत्तम रूप से शुद्ध हो जाता है।

यशद मारण:-

लौहे की कड़ाही में यशद को पिघलाकर

अपामार्ग चूर्ण का थोड़ा-थोड़ा डालते हुए

लड़की से रगडते हुए जारण करें।

सम्पूर्ण रूप से जारित यशद को कड़ाही के मध्य एकत्र करके

एक मिट्टी के शराव से ढककर एक दिन तीव्राग्नि दें।

जिससे यशद भस्म अङ्गारवर्ण का लाल हो जाय। तत्पश्चात् स्वाङ्गशीत होने पर यशद भस्म प्राप्त करें।

यशद भस्म वर्ण:-

पाण्डु श्वेतवर्ण।

भस्म मात्रा:-

1/2 – 1 रत्ती।

अनुपान:-

मधु, दूध, घृत।

यशद भस्म गुण:-

  • रस – तिक्त, कटु,
  • वीर्य – शीत
  • कर्म – कफपित्तहर, चक्षुष्य, बुद्धि वीर्यवर्धक, श्रम एवं श्लेष्मकला संकोचक होती है।
  • यह प्रमेह, पाण्डु, श्वास, नेत्ररोगनाशक, कास, रात्रिस्वेद, व्रणस्रावरोधक, श्रम, अवसाद, रोगों को दूर करती है।

यशद भस्म सेवनजन्य विकार शमन पाय:-

बला एवं हरीतकी चूर्ण का मिश्री के साथ 3 दिन तक सेवन ।

प्रमुख योग:

  1. लघुबसन्त मालती रस
  2. सुवर्ण बसन्त मालती रस
  3. शिलाजत्वादि लौह
  4. यशदामृत मलहर
  5. त्रिवंग भस्म

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