आयुर्वेद में 3 प्रकार के देशों का वर्णन मिलता है। आज हम इन्हीं पर विस्तार से चर्चा करेंगे। देशों के बारे में बात करने से पहले यह जान लेते है कि देश भेद (Desh bhed) जानने की क्या आवश्यता है:- देश भेद जानने की आवश्यता :- यस्य देशस्य यो जन्तुस्तज्जं तस्यौषधं हितम् । देशादन्यत्र वसतस्तत्तुल्यगुणमौषधम्।। […]
Month: May 2020
Definition of आर्तव :- “शशासृक्प्रतिमं यत्तु यद्वा लाक्षारसोपमम् । तदार्त्तवं प्रशंसन्ति यद् वासो न विरञजयेत् ।। ”( सु.स. शा 2/17) आर्तव वर्ण – शशक (खरगोश) के रक्त के समान या लाक्षा के समान रंग वाला। जिससे वस्त्र रंजित न हो, इस प्रकार का आर्तव प्रशस्त माना है अर्थात् शुद्ध माना जाता है। According to चरक […]
Introduction :- योगी मत्स्येन्द्रनाथ ने इसका अविष्कार करने से इसे मत्स्येन्द्रासन कहा गया है। पूर्ण मत्स्येन्द्रासन करने के लिए श्रम और श्रद्धा चाहिए। लेकिन अर्धमत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana) सरल है और चिकित्सा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। स्थिति :- दण्डासन विधि :- दण्डासन स्थिति से बैठे। बायां पैर मोड़कर उसकी एड़ी सोवनी (मल-मूत्रेन्द्रिय के मध्य) पर […]
Shool Nidan ( शूल निदान)
उत्पत्ति :- आचार्य हारित के अनुसार जब भगवान शिवजी ने कामदेव पर क्रोधित होकर उसका विनाश करने के लिए उस पर शूल (Shool) भेजा, फिर कामदेव ने अपनी तरफ़ आते हुए शूल को देख कर भय से व्याकुल होकर भगवान विष्णु के शरीर में प्रवेश कर लिया, फिर विष्णु की हुकार से मूर्छित होकर शूल […]
आयुर्वेद में न ही केवल ‘दर्शन’ शास्त्रों से प्रभावित हुआ है अपितु वह खुद भी एक मौलिक आस्तिक दर्शन भी है। आचार्य चरक ने इसी को प्रतिपादित भी किया है और कहा है कि आयुर्वेद का ज्ञान उसे ही देना चाहिए जिसकी ईश्वर में आस्था हो, उसके साथ साथ में आयुर्वेद को अथर्व वेद का […]
दर्शन शब्द की उत्पत्ति :- दृश् धातु में ल्युट् प्रत्यय लगाने पर ‘दर्शन‘ (Darshan) शब्द बनता है। शब्द अर्थ दृश् देखना ल्युट् भाव, कारण दर्शन देखने की क्रिया या भाव दृष्टा देखने वाला आयुर्वेद में ‘दृष्टा’ आत्मा को कहा है, क्योंकि वह ही साक्षी रूप में सब कार्य को देखता है। जैसे दृष्टा होते हुए […]
Name :- संस्कृत माणिक्यम् हिन्दी माणिक्य English Ruby Chemical Formula Al2 O3 Hardness (काठिन्य)= 9 Relative density (आपेक्षिक घनत्व)= 4 पर्याय :- माणिक्य रंगमाणिक्य रविरत्न रविप्रिय लोहित शोण रत्न कुरुविन्द परिचय :- गुलाबी या रक्त वर्ण का चमकदार (lustrous) पारदर्शक (transparent) कठोर पाषाण द्रव्य। प्राप्ति स्थान :- Sri Lanka, USA, Australia, Thailand, Kashmir, Karnataka. Types […]
According to Allopathy Mutrakricha is known as Dysuria and is defined as a Symptom of pain, discomfort, or burning when urinating. Today we will cover Ayurvedic aspect regarding Dysuria (Mutrakricha Nidana). निदान :- अधिक व्यायाम करना तीक्ष्ण औषधि का सेवन अधिक मद्यपान करना रुक्ष आहार का सेवन आनुप देश प्राणियों का मांस खाना अध्यशन अजीर्ण […]
Introduction :- Turner Syndrome= बालिकाओं में Hypergonodotopic hypogonadism के कारण होनी वाला यह एक प्रमुख व्याधि है। 2500 Newborn Phenotypic female में से 1 बालक में यह विकृति पायी जाती है। ये बालिकाएँ आकार में छोटी होती है व इनमें Classical Phenotype feature पाया जाता है तथा किशोरावस्था (Puberty) विलम्ब से होता है। इसमे मुख्य […]
उत्पत्ति :- मूत्र के वेग को रोकने से प्रकूपित हुए वात आदि दोष वात कुंडलिका आदि 13 प्रकार के मुत्रघात (Mutraghat) उत्पन्न करते है। इस रोग में मूत्र मार्ग में रुकावट होने के कारण मूत्र नहीं निकल पाता परन्तु मूत्र निर्माण की क्रिया चलती रहती है और मूत्राशय भरकर फूल जाता है। According to modern, […]