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Amrita Guggulu | अमृता गुग्गुलु – it’s preparation and uses

गुडूची (अमृता)गुग्गुलु इस योग के मुख्य द्रव्य होने से इस योग को अमृता गुग्गुलु ( Amrita guggulu ) कहा जाता है।

प्रस्थमेकं गुडुच्याश्च अर्द्प्रस्थं च गुग्गुलोः । प्रत्येकं त्रिफलायास्तु तत्प्रमाणं विनिर्दिशेत । सर्वमेकत्र सङ्कट्य क्वाथयेन्नल्वणेऽम्भसि ॥ पादशेषं परिस्ाव्य कषायं प्राहयेद्धिषक् । पुनः पर्चत्कयायन्तु यावत्सान्द्रत्वमागतम् ॥ दन्तीव्योषविडङ्गानि गुडूचीत्रिफलात्वचः ततःश्चान्द्धपलं चूर्णं गृहीयाच्च प्रतिप्रति ।।कर्षन्तु त्रिवृतायाश्च सर्वमेकत्र चूर्णयेत् । तस्मिन्सुसिद्धं विज्ञाय कवोष्णे प्रक्षिपेद् बुधः ॥ ततश्चाग्निबलं मत्वा खादेत्कर्षप्रमाणतः । वातरक्तं तथा कुष्ठं गुदजान्यग्निसादनम् ।।दुष्टव्रणं प्रमेहांश्च आमवातं भगन्दरम् । नाड्याढ्यवातं श्वयथुं सर्वानितान्व्यपोहति ॥ ( भाव प्रकाश मध्यम वात रक्त 29/177-182 )

सामग्री :-

गुडूची
(Tinospora cordifolia)
64 तोला ~ 640g
गुग्गुलु
(Commiphora wightii)
32 तोला ~ 320g
हरड़
(Terminalia chebula)
64 तोला ~ 640g
बहेड़ा
(Terminalia bellirica)
64 तोला ~ 640g
आंवला
(Phyllanthus emblica)
64 तोला ~ 640g
दन्ती
(Baliospermum montanum)
2 तोला ~ 20g
सोंठ
( Zingiber officinale)
2 तोला ~ 20g
मरीच
(Piper nigrum)
2 तोला ~ 20g
पिप्पली
(Piper longum)
2 तोला ~ 20g
वायविडंग
(Embelia ribes)
2 तोला ~ 20g
दालचीनी
(Cinnamomum zeylanicum)
2 तोला ~ 20g
त्रिफला6 तोला ~ 60g
निशोथ
(Operculina terpethum)
1 तोला ~ 10g

विधि-

  • गुडूची, गुग्गुलु, हरड़, बहेड़ाआंवला को एकत्र कर कूट लें तथा 1024 तोले (10240g) जल में पकाएं।
  • जब चतुर्थांश जल शेष रह जाए तब छानकर उसे पुनः गाढ़ा होने तक पकाएं।
  • इसमें दन्ती, सोंठ, मरीच, पिप्पली, वायविडंग, त्रिफला, दालचीनी, निशोथ, आदि का चूर्ण डाल दें।
  • जब यह अच्छी तरह सिद्ध हो जाए तो उतार लें।

मात्रा- इसका सेवन अग्निबल के अनुसार 1 तोले की मात्रा में सेवन करें।

उपयोग-

इसके उपयोग से अनेक रोग नष्ट होते हैं-

  • वातरक्त
  • कुष्ठ
  • अर्श
  • अग्निमान्द्य
  • दुष्टव्रण
  • प्रमेह
  • आमवात
  • भगन्दर
  • नाड़ीव्रण
  • ऊरुस्तम्भ
  • शोथ

द्वितीय अमृता गुग्गुलु :-

त्रिप्रस्थममृतायाश्च प्रस्थमेकन्तु गुग्गुलोः । प्रत्येकं त्रिफला प्रस्थं वर्षाभूप्रस्थमेव च ॥ सर्वमेकत्र सङ्कट्य साधयेन्नल्वणेऽ म्भसि । पुनः पचेत्पादशेषं यावत्सान्द्रत्वमागतम् ॥ दन्तीचित्रकमूलानां कणाविश्व फलत्रिकम् । गुडुचीत्वग्विडङ्गानां प्रत्येकापलं मतम् ॥ त्रिवृताकर्षमेकन्तु सर्वमेकत्र चूर्णयेत् । सिद्धे चोष्णे क्षिपेत्त्र अमृतागुग्गुलुं परम् ॥ अतो यथाबलं खादेदम्लपित्ती विशेषतः । वातरक्त तथा कुष्ठं गुदजान्यग्निसादनम् ॥ दुष्टव्रणं प्रमेहांश्च आमवातं भगन्दरम् | नाड्याढ्यवातं श्वयर्थुं हन्यात्सव्वामयांस्तथा ॥ अश्विभ्यां निर्मितश्चायममृताऽऽख्यो हि गुग्गुलुः ॥गुडरामठशुण्ठीनां मांसकूष्माण्डयोरपि । गुडूच्या गुग्गुलोश्चैव प्रस्थः षोडशभिः पलैः ॥ ( भाव प्रकाश मध्यम वात रक्त 29/183-190 )

Amrita guggulu
Amrita guggulu

सामग्री-

गुडूची
(Tinospora cordifolia)
192 तोला ~ 1920g
गुग्गुलु
(Commiphora wightii)
64 तोला ~ 640g
हरड़
(Terminalia chebula)
64 तोला ~ 640g
आंवला
(Phyllanthus emblica)
64 तोला ~ 640g
पुनर्नवा
(Boerhavia diffusa)
64 तोला ~ 640g
दन्ती
(Baliospermum montanum)
2 तोला ~ 20g
चित्त की जड़
(Plumbago zeylanicum)
2 तोला ~ 20g
पिप्पली
(Piper longum)
2 तोला ~ 20g
सोंठ
(Zingiber officinale)
2 तोला ~ 20g
त्रिफला6 तोला ~ 60g
दालचीनी
(Cinnamomum zeylanicum)
2 तोला ~ 20g
वायविडंग
(Embelia ribes)
2 तोला ~ 20g
निशोथ
(Operculina terpethum)
1 तोला ~ 10g

विधि-

  • गुडूची, गुग्गुलु, हरड़, आंवला व पुनर्नवा- इन सभी द्रव्यों को एकत्रित कर कूट कर 1024 तोले जल डालकर पकाएं।
  • चतुर्थांश शेष रहने पर इसे उतारकर छान लें।
  • इस क्वाथ को पुनः गाढ़ा होने तक पकाएं।
  • फिर इसमें दन्ती, चित्त की जड़, पिप्पली, हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, दालचीनी, वायविडंग- इन सभी द्रव्यों का 2-2 तोला चूर्ण व निशोथ का 1 तोला चूर्ण डालकर उसे सिद्ध कर लें।

मात्रा- अग्निबल के अनुसार मात्रा निर्धारित करें।

उपयोग-

इस गुग्गुल के उपयोग से अनेक रोग नष्ट होते हैं-

  • अम्लपित्त
  • वातरक्त
  • कुष्ठ
  • अर्श
  • अग्निमान्द्य
  • दुष्टव्रण
  • प्रमेह
  • आमवात
  • भगन्दर
  • नाड़ीव्रण
  • ऊरुस्तम्भ
  • शोथ
  • सम्पूर्ण रोग

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