आभाफलत्रिकव्योषैः सवरेतैः समांशकैः । तुल्यं गुग्गुलुना योज्यं भग्नसन्धिप्रसाधनम्।। ( भाव प्रकाश मध्यम भग्न 48/33 )
◾सामग्री-
- बबूल की छाल (Vachellia nilotica)
- सोंठ (Zingiber officinale)
- मरीच (Piper nigrum)
- पिप्पली (Piper longum)
- हरड़ (Terminalia chebula)
- बहेड़ा (Terminalia bellirica)
- आंवला (Phyllanthus emblica)
- गुग्गुल (Commiphora wightii)
विधि-
- सभी द्रव्य समान भाग लें व गुग्गुलु इन सबके समान भाग लेकर सबको कूटकर कपड़छन चूर्ण बना लें।
- अब इस मिश्रण में घृत मिला मिलाकर कूटकर 3-3 रत्ती की गोलियां बना लें।
◾मात्रा व अनुपान- 2-4 गोली प्रातः सायं गर्म जल अथवा दुुग्ध से लें।
गुण व उपयोग-
- अक्समात् थोड़ी ऊंचाई से गिर जाने पर अथवा डण्डे आदि से आघात लगने से हड्डी टूट जाने पर मोच आने पर या उरःक्षत से दूषित रक्त आमाशय में जमा होने पर आभा गुग्गुल अत्यन्त लाभकारी है।
- यह भग्न संधान कारक व पीड़ा नाशक उत्तम योग है।