Categories
Practice Rare collection

Ajeerna Chikitsa ( अजीर्ण चिकित्सा ) : निदान के अनुसार

आहार ही प्राण है ऐसा वर्णन हमारे उपनिषद् में मिलता है परन्तु अजीर्ण जब उत्पन्न होता है जब भोजन को मात्रा में नहीं किया जाए तो अजीर्ण का कारण होता है, ऐसा ही माधव निदान में वर्णन मिलता है और कहा गया है :-

अनात्म वंत: पशुवद् भुञ्जते येऽप्रमाणत:। रोगानीकस्य ते मूलम जीर्णं प्राप्नुवन्ति हि।।

जो व्यक्ति जिह्वा के स्वाद के कारण पशुओं की तरह मात्रा से अधिक खा जाते है, वे रोग समूह के मूल भूत अजीर्ण से त्रस्त रहते है।

लोक भाषा में पेट को सब बीमारियों की जड़ कहा जाता है, और यह भी कहा जाता है अगर पेट ठीक तो सब ठीक, इसी बात को देखते हुए अजीर्ण के ऊपर आचार्यों में स्वतंत्र ग्रंथ की रचना की जो अजीर्ण रोग को विशेष स्थान देते है। आचार्य भाव प्रकाश ने अपनी “गुणरत्नमाला” में अजीर्ण शमन स्वतंत्र वर्ग (Ajeerna Chikitsa) भी बनाया, काशीनाथ जी ने “अजीर्णामृतमञ्जरी” की रचना की आज हम Ajeerna Chikitsa के बारे में विस्तार से चर्चा करेगे।

निदान व चिकित्सा :-

To know about Ajeerna Nidan click here.

अजीर्ण का कारणचिकित्सा
नारियलचावल का पानी
आमदूध/ गर्म जल/ संचर लवण/ चावल का पानी
घृतनींबू का रस/ जो से बनी कांजी/ नींबू के साथ मरीज/ दही
केलेघृत
गेहूंककड़ी/ शोधित धतूरा बीज
मांस सेवन सेकांजी/ आम की गुठली/ उष्ण जल/ सिरका
संतरागुड
आटे के बने पदार्थजल/ लवण के साथ उबली कांजी
चिरौजी का फलहरीतकी
उड़द खांड/शोधित धतूरा बीज
बेरगर्म जल
मछलियांआम
मदिराशहद मिला पानी
पुष्करमूलसरसो का तेल
कटहलकेला/ आम की सुखी गुठली
नींबू का रसलवण/ नारंगी
लवनचावल का जल
ताल बीजचावल का जल
चावल दूध में मिलाया हुआ जल
अनार, आंवला, तेंदू, बीजपुर लवली फलबकुल फल
बकुल फलबकुल स्वरस
महुआ, बिल्व, खिरनी, फालसा, खजूर, केंथनीम के बीज में पानी मिलाकर
बीजपुरश्वेत सरसो
कमल नाल, खजूर, मुनक्का, कसेरू, सिंघाड़ानागर मोथा
लशुनगर्म करके ठंडा किया हुआ दूध
आमडा, गूलर, पीपल, प्लक्ष, बडपूर्व दिन का बासी जल
पानी आंवलाराई
फालसा, खजूर, क्षीरिचिरौंजी/ कली मिर्च
बेल, जामुनसोंठ
तेंदूशक्कर
कपित्थ फलसौंफ
कटहल, आंवलाशाल बीज की क्वाथ
पुआजल में अजवायन मिलाकर
चिवड़ाजल में अजवायन मिलाकर/पीपली/ चित्रक/ अजवयन
पालक, केमुक, करेला, बैंगन, बांस के अंकुर, मूली, पोई, घीया, परवल, चोलाईश्वेत सरसो का लवन के साथ सेवन/ पलाश दूध का सेवन
बथुआ, श्वेत सरसो, चेबुनाखदिर सार
आलूचावल का जल
चूका, सरसो, बथुआखदिर सार
सभी शाकतिल नाल क्षार
खिचड़ी व भैंस का दूधसेंधव लवण
धन्यामलदाल
श्यामक, निवार, तिल, अतिसी, निशपाव, कंगु, यव, शालिमथी हुई दही
कुल्थि, इमलीतिल का तैल
चना, जो, मटरशोधित धतूरा बीज
कपूर, सुपारी, पान, गंभारी, जयफल, जावित्री, कस्तूरी, लोहबान, नारियल का जलसमुद्र फेन
तैलकांजी
गन्ने का रसअदरक का रस/ पलक्ष का क्षार
दालकांजी
खिचड़ीलवण
भैंस का दूधशोधित सुहागा/ शंख भस्म
मछलियांमांस/ सिरका/ आम
गाय का दूधगर्म मांड
तक्रशंख भस्म
श्वधा, सेह, गोह, सूअर व कछुआ का मांसयवक्षार
खीरमूंग का युष
कांजीसमुद्र लवण
पेठा, खीरा, चिनातकशोधित करंज बीज
रस सेष अजीर्णइन्द्र वरुण की जड़ की क्वाथ
स्त्री मिश्रित केशकरंज के साथ पानी आंवला
थकानमृग मांस
मैथुनखुली हवा सेवन/ दूध, लवण, बकरी का अंडकोश
सनिग्घ पदार्थमूंग का सेवन
दस्त के साथ अजीर्ण नागर मोठ
प्रियाल, शहद का शर्बतहरीतकी
पानशक्कर, तिल का तैल, जो की कांजी
जलशहद व नागर मोठा
Ajeerna chikitsa
Ajeerna Chikitsa

अन्य आहार के लिए सामान्य सिद्धांत :-

  • शीतल खाने से अजीर्ण के लिए :- उष्ण
  • खारे भोज्य से हुए – अम्ल भोज्य पदार्थ
  • अम्ल भोज्य पदार्थ – क्षार
  • तीक्ष्ण – घृत आदि स्निग्घ पदार्थ
  • शराब – घी व शक्कर मिलाकर खिला दे

पंचकर्म औषधियों से हुए अजीर्ण :-

  • सोठ व जवासा का क्वाथ – शाम को पीना चाहिए – वमन, विरेचन, वस्ति की औषधि के पाचन के लिए
  • नस्य का अतियोग – शीतल जल
  • अंजन अतियोग – नारी का दूध
  • अति विरेचन – आंवले का प्रलेप
  • तीक्ष्ण औषधि सेवन – गुड का कवल

पुराने अजीर्ण नाशक उपाय :-

  • वेसवार चूर्ण
  • तीव्र तपाए हुए सोने व चांदी को बार बार बुझाए हुए जल का सेवन
  • सोठ व धनिया का मिश्रित कवाथ

2 replies on “Ajeerna Chikitsa ( अजीर्ण चिकित्सा ) : निदान के अनुसार”

Leave a Reply