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Amritadi Guggulu | अमृतादि गुग्गुलु – Dosage and Uses

अमृता का अर्थ है गिलोय। अमृता व अन्य द्रव्यों के साथ गुग्गुलु के जिस योग का निर्माण किया जाता है, वह अमृतादि गुग्गुलु (Amritadi Guggulu ) है

अमृतापटोल मूलत्रिकटुत्रिफलाकृमिजानाम्।
कृत्वा समलवचूर्णं तत्तुल्यं गुग्गुलु र्योज्यः ।।
प्रतिवासरमेकैकां गुटिकां खादेदथाक्षपरिमाणाम्।
जेतुं व्रणवातास्त्रंगुल्मोदरपाण्डुशोथादीन्॥ ( बसव. 11)

अमृतापटोलमूलत्रिफलात्रिकटुककृमिघ्नानाम् । समभागानां चूर्णं सर्वसमो गुग्गुलो भगः॥प्रतिवासरमेकैकां गुटिकां खादेदिहापि परिमाणाम् । जेतुं व्रणवातासृग्गुल्मोदरशोथवातरोगांश्च।। ( भाव प्रकाश मध्यम व्रण शोथ 47/98-99 )

Amritadi Guggulu
Amritadi guggulu

सामग्री-

गिलोय
(Tinospora cordifolia)
80 तोला + 2 तोला ~ 800g + 20g
गुग्गुलु
(Commiphora wightii)
40 तोला ~ 400g
आंवला
(Phyllanthus emblica)
40 तोला ~ 400g
हरड़
(Terminalia chebula)
40 तोला ~ 400g
बहेड़ा
(Terminalia bellirica)
40 तोला ~ 400g
दन्तीमूल
(Baliospermum montanum)
2 तोला ~ 20g
त्रिकटु
(Zingiber officinale
Piper nigrum
Piper longum)
6 तोला ~ 60g (20g each)
वायविडंग
(Embelia ribes)
2 तोला ~ 20g
त्रिफला चूर्ण
(Terminalia chebula
Terminalia bellirica
Phyllanthus emblica)
6 तोला ~ 60g (20g each)
दालचीनी
(Cinnamomum Verdun)
2 तोला ~ 20g
निशोथ
(Operculina turpethum)
1 तोला ~ 10g

विधि-

  • गिलोय (800g), गुग्गुलु, हरड़, बहेड़ाआंवला सबको यवकूट करके 1280 तोला (12800g) जल में पकाएं।
  • जब चतुर्थांश जल शेष रह जाए तब छानकर, गाढ़ा होने तक पुनः पकाएं।
  • अब इसमें शेष सभी द्रव्यों का चूर्ण मिला दें।
  • 4-4 रत्ती (500mg) की गोलियां बना कर सुखा लें।

मात्रा व अनुपान- 2-4 गोली प्रातः सायं गिलोय क्वाथ अथवा गर्म जल सहित दें।

गुण व उपयोग-

  • इस गुग्गुलु के सेवन से वातरक्त, कोढ़, अर्श, मन्दाग्नि, कुष्ठ, दूषित व्रण, प्रमेह, आमवात, भगन्दर, नाड़ीव्रण, आढ्यवात, सूजन आदि रोग नष्ट होते हैं।
  • यह रक्तशोधक, वात तथा बद्धकोष्ठ नाशक है।
  • वातरक्त में यह गुग्गुलु विशेष लाभकारी है।
  • यह गुग्गुलु गुल्म, उदर, पाण्डु, शोथ आदि में प्रयोग किया जाता है।

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