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Amritank Ras ( अमृताङ्क रस ) : Medicine

रसगंधचत्रिकटुकं ग्रन्थिकं चव्यचित्रकम्। अमृतं लवणं तुल्यं भृङ्गस्वरसमर्दितम्॥ गुञ्जामात्राश्च वटिकाः पञ्चकासान्विनाशयेत्। अमृताङ्करसो नान्मा विंशतिश्लेष्मरोगजित्। अशीतिवातरोगांश्च नाशयेन्नात्र संशयः॥

Ingredients :- पारद, गंधक, त्रिकटु ( सोठ,‌ मरीच, पीपली), ग्रंथि, चव्य, चित्रक, अमृत ( वत्सनाभ ), लवन ( संध्व ) सभी द्रव्यो को सम मात्रा में ले।

Bhawna dravaya :- भृङ्गराज स्वरस

Vidhi :- सभी द्रव्यो को चूर्ण करके भृङ्गराज स्वरस की भावना देकर चूर्ण को मर्दन करे उसके बाद में 1-1 गूंजा ( 125 mg ) की वटिया बना ले।

Dossage :- 1 गूंजा ( 125 mg )

Ussage :- सर्व प्रकार की कास ( पांचों प्रकार की कास ), 20 तरह के कफज रोग, 80 प्रकार के वात रोग, वात कफ नाशक है।

विशेष उपयोग :- सभी प्रकार की कास।

Reference :- बसवराजीयम् 8 प्रकरणम्, माधव निदान।

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