जैसे कि आधुनिक चिकित्सा की वैक्सिनेशन का विधान है उसी प्रकार आयुर्वेद में लेहन कर्म (Lehan karm) के अन्तर्गत आता है। आधुनिक व आयुर्वेद में केवल सिद्धांत का अंतर है आधुनिक जीवाणु को मानते है इसलिए वैक्सिनेशन के लिए वो मृत या फिर कमजोर जीवाणु को शरीर में डाले जाते है और इससे शरीर में […]
Author: rohitgera1999
शैशवकाल में जब शिशु बोल भी नहीं सकता तोह उस समय पर शिशुओं को होने वाली पीडा का पता केसे लगा सकते है? आज कल तोह इस को देख कर आम तौर से पेट दर्द समझ कर इलाज किया जाता है, परंतु यही प्रशन एक बार वृद्ध जीवक ने भगवान कश्यप से किया था फिर […]
जिस तरह सभी राक्षसों को नाश करने के लिए भगवान् विष्णु का सुदर्शन चक्र विख्यात है, उसी तरह यह सुदर्शन चूर्ण (Sudarshan Churna) सभी ज्वरों का नाश करता हैै। त्रिफला रजनीयुग्मं कण्टकारीयगं शटी। त्रिकटु ग्रन्थिकं मू्वा गुडूची धन्वयासकः ।।१२५॥ कटुका पर्पटो मुस्तं त्रायमाणा च बालकम् । निम्बः पुष्करमूलञ्च मधुयष्टी च वत्सकः ॥१२६॥ यवानीन्द्रयवो भार्गी शिग्रुबीजं […]
द्वे पञ्चमूले भार्गी च मधुशिग्रुः शतावरी । उशीरं चन्दनं चैव श्वदंष्ट्रा मदयन्तिका ।।१३।।द्वे बले वसुकः पाठा पयस्या ह्यमृता तथा । वृषादनी सुगन्धा च तथा कार्या पुनर्नवा ।।१४।।मूर्वा गृध्रनखी मुस्ता मोरटस्तिल्वकस्तथा । इत्येतासां तु मूलानि यथालाभं समानयेत् ।। १५।।यवकोलकुलत्थानां त्रयः प्रस्थाः समास्ततः । एतान्यष्टगुणे तोये पाचयेद्धिषगुत्तमः ।।१६।।अष्टभागस्थितं तं तु परिपूतं निधापयेत् । तत्रावापमिदं दद्यान्मुष्टिकान्यौषधानि तु ।।१७।।पिप्पली […]
AFTER READING BHRINGARAJA TAIL, READ KUMKUMADI TAIL. नीलीमूलकषाये तु बीजं खदिरसारजम्। नीलीमूलाञ्जनं कल्कं यष्टी मधुकमेव च॥ मार्कवस्वरसप्रस्थं तैलप्रस्थं विपाचयेत्। अनेन लिप्ता: केशा: स्युः मृदवः षट्पदैः समाः ॥ इन्द्रलुप्तहरं चैव पालित्यं चैव नाशयेत्। तैलं रहस्यं परमं वलीपलितनाशनम् (पून्यादीय बृहतीफलसंयुक्तं गुञ्जामूलफलं तथा तल्लेपे नश्यति क्षिप्रमिन्द्रलुप्तमनेकधा॥ Ingredients :- भृंगराज मूल, खदिर सारज बीज, भृंगराज अञ्ज्जन, मुलेठी। Drav Dravaya […]
AFTER READING MANJISTHADI TAIL, READ KUMKUMADI TAIL. मञ्जिष्ठा मधुकं लाक्षा मातुलुङ्गश्च यष्टिका। कर्षप्रमाणैरेतैस्तु तैलस्य कुडवं तथा।।आज पयस्तु द्विगुणं शनैर्मद्ग्निना पचेत्। नीलिकापिटिकाव्यङ्गानभ्यङ्गादेव नाशयेत्॥ मुखं प्रसादोपचितं वलीपलितवर्जितम्। सप्तरात्रप्रयोगेण भवेत्कनकसन्निभम्।। Ingredients :- मांजिष्ठा, मुलेठी, मातुलुङ्ग, यष्टिका (प्रत्येक द्रव्य एक कलक) द्रव द्रव्य :- तिल का तैल ( 1 कुडव ), बकरी का दूध 2 कुडव Vidhi :- उपयुक्त […]
AFTER READING BHEEM RUDRA RAS, READ PRABHAVATI VATIKA. मृतं स्वर्ण शुद्धसूतं शुद्धं वै हेममाक्षिकम्। त्रयाणां गन्धकं तुल्यं मधु कन्याद्रवैर्दिनम्। तच्छुष्कं ससितक्षौद्रं माषैकं लेहयेत्सदा। बह्निमूलं शृतं क्षीरैरनुस्थाद्रनाशनम्॥ Ingredients :- मृत स्वर्ण (1 भाग) , शुद्ध पारद (1 भाग), शुद्ध स्वर्ण माक्षिक (1 भाग), गंधक शुद्ध (3 भाग) Bhawna Dravya :- घृत कुमारी स्वरस Vidhi :- पारद […]
AFTER READING PRABHAVATI VATIKA, READ BHEEM RUDRA RAS. हरिद्रा निम्बपत्राणि पिप्पली मरिचानि च। विडङ्ग भद्रमुस्ता च जीरकं विश्वभेषजम्॥ चित्रकं सैन्धवं कुष्ठं विषं पाठा हरीतकी। एतानि समभागानि ह्यजामूत्रेण पेषयेत्॥ चणप्रमाणवटिकाश्छायाशुष्काश्चकारयेत्। एकामुष्णोदकैः पीत्वा विषूची च व्यपोहति॥ लूतविस्फोटभेदं च गोमूत्रेण विलेपयेत्। अष्टौ तक्रेण सेवेत सर्पदष्ठविषं हरेत्॥ महारक्तप्रवाहे तु श्रीगन्धेन समं पिबेत्। अर्कक्षीरयुतं लेप्यं वृश्चिकादिविषं हरेत्॥ हन्ति पुष्पं च […]
AFTER READING NADI VIGYAN, READ NADI PARIKSHA. पर्याय :- हिंस्त्रा स्रायुर्वसा नाडी धमनी धामनी धरा। तन्तुकी जीवितज्ञा च शिरा पर्यायवाचकाः॥ स्नायु, हिंस्त्रा, धमनी, धारिणी, धरा, तंतुकी, जीवनज्ञाना, नाङी। नाड़ी के भेद :- तत्र कायनाडी त्रिविधा। एका युवा, अन्या मूत्र विड- स्थिर स वाहिनी, अपरा आहार वाहिनी इति ॥ नाड़ी 3 प्रकार की होती है :- […]
AFTER READING SHAT CHAKRA WITH TRICK, READ NADI VIGYAN. षट्चक्रं षोडशाधारं त्रिलक्षं व्योमपञ्चकम्।स्वदेहे यो न जानाति कथं वैद्यः स उच्यते ॥ एतानि षटू च चक्राणि यो जानाति स वैद्यराट् / वैद्यभाक् ॥ जो वैद्य अपनी देह में स्थित छ: चक्रों, 16 आधार, 3 लक्षण व्योम पंच को नहीं जानता वह वैद्य किस प्रकार का ?? […]