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मृतं स्वर्ण शुद्धसूतं शुद्धं वै हेममाक्षिकम्। त्रयाणां गन्धकं तुल्यं मधु कन्याद्रवैर्दिनम्। तच्छुष्कं ससितक्षौद्रं माषैकं लेहयेत्सदा। बह्निमूलं शृतं क्षीरैरनुस्थाद्रनाशनम्॥
Ingredients :- मृत स्वर्ण (1 भाग) , शुद्ध पारद (1 भाग), शुद्ध स्वर्ण माक्षिक (1 भाग), गंधक शुद्ध (3 भाग)
Bhawna Dravya :- घृत कुमारी स्वरस
Vidhi :- पारद और गंधक की सर्व प्रथम कज्जली बनाए उसके बाद में स्वर्ण और स्वर्ण माक्षिक का चूर्ण / भस्म मिला दे। उसके बाद में घृत कुमारी का स्वरस की भावना देकर 1 दिन तक मर्दन करे उसके बाद में इसके सुखा दे।
मात्रा और अनुपान :- 1 माशा ( 125 mg ) with मधु व मिश्री के साथ चत्वाते है।
उपयोग / Upyog :- सर्व प्रकार के विष रोग
साथ में औषधि उपयोग :- चित्रक मूल का क्वाथ से क्षीर पाक करवाने से उद्गार का नाश हाे जाता है।
Reference :- बसवराजीयम् 23 प्रकरणम्
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