सूत्र स्थान चतुष्क :- सूत्र स्थान में आचार्य ने 4-4 अध्याय के 7 चतुष्क बनाए गए और अंतिम 2 अध्याय को संग्रहअध्याय कहा गया है। औषधि, स्वस्थ मनुष्य को निर्देशानुसार ही लेनी चाहिए व कलपना करनी चहिए की रोग होने पर योजना पूर्वक अन्न संग्रह करके रखें । औषधि – औषध चतुष्क औषध प्रयोग से […]
Category: Charak Samhita
• 50 महाकषाय (Mahakashaya) हैं :- 1) हृदय महाकषाय: आम अमलवेतस आम्रा बेर बड़ी बेर दाड़िम करौंदा बड़हल वृक्षामल मातुलूँग 2) श्वाशहर महाकषाय: अगरु चोपचीनी तुलसी छोटी इलायची हींग जीवंती भूम्यालकि कचूर पुष्करमूल अमलवेतस 3) कासहर महाकषाय: आमलकी हरीतकी पीप्पली मुनक्का दुरालाभा कंटकारी कर्कट्श्रृंगी श्वेतपुनर्नवा रक्त पुनर्नवा भूम्यालकि 4) जीवनीय महाकषाय: जीवक ऋष्भक मेदा महामेदा […]
WAKE UP IN BRHAM MUHURAT ( 3-4 am) :- Ayurveda describes benefits of early wakeup it’s said that Brham muhurat is the time we recieve most of the dreams (good or bad) if we wake up early in the morning we won’t receive dreams and can start a day with good thoughts. We get enough […]
Dravyagun ke syllabus me ish topic ka bas pariksha wala part hai. भेषज अर्थात् :- औषध को यहां कारण कहा गया है व उसकी परीक्षा व भेदों का वर्णन इस श्लोक में किया गया है।औषध :-धतुसामय की स्थिति लेने के लिए प्रयतनशील चिकित्सक के लिए जो भी साधक साधन होता है उसे भेषज कहते है। […]
दशेमनी गण का अर्थ होता है 10-10 के जोड़ों में बताए गए गन ( महाकषाय) Dashemani gana commonly known as Mahakashays. These are mentioned in Charak Samhita Sutrasthan chapter 4.Their are total no. Of 50 Mahakashays mentioned which cover nearly 272 plants, servral plants had been mentioned in more then one Mahakashay. As part of […]
After reading this read Strotas and diseases with Trick आचार्य चरक ने स्रोतस की चिकित्या में उपयोगिता देखते हुए उसके विवेचन के लिए अलग अध्याय में बताया है । चरक विमान स्थान अध्याय 5 स्रोतोविमानं में बताया है। स्त्रोतस दो प्रकार के होते है:- बहिर्मुख स्रोतस :- यह शरीर के बाहर के द्वार होते है […]
वैरोधिक आहार (Virodhik Ahaar) आचार्य चरक ने सूत्र स्थान के 25वे अध्याय (यज्ज: पुरूषीय अध्याय) में संभाशा परिषद् में 18 प्रकार का बताया है। इनके विरूद्ध होने पर खाना, शरीर के लिए अहितकर होता है । पथ्य पथोऽनपेत यद्यच्चोक्तं मनसः प्रियम् । यच्चाप्रियमपथ्यं च नियतं तत्र लक्षयेत् ॥ ४५ ॥मात्राकालक्रियाभूमिदेहदोषगुणान्तरम् । प्राप्य तत्तद्धि दृश्यन्ते ते […]
★विरुद्ध भोजन के सेवन से होने वाले ज्वर रक्तपित्त आदि अष्ट रोग विष के समान मृत्यु कारक होने कारण महागद कहलाते हैं। Asth Mahagadh Shaloka वातव्याधिरपस्मारी कुष्ठी शोफी तथोदरी|गुल्मी च मधुमेही च राजयक्ष्मी च यो नरः||८||अचिकित्स्या भवन्त्येते बलमांसक्षये सति|अन्येष्वपि विकारेषु तान् भिषक् परिवर्जयेत्||९|| Charak Samhita Indriya sthana 9/8-9 वातव्याधिः प्रमेहश्च कुष्ठमर्शो भगन्दरम् |अश्मरी मूढगर्भश्च तथैवोदरमष्टमम् ||४||अष्टावेते […]
चरक सूत्र स्थान 21वें अध्याय मेंं अष्टनिन्दितीय पुरूष का वर्णन किया गया है। 1) अतिदीर्घश्च 2)अतिह्रस्वश्च 3)अतिलोमा 4)अलोमा 5)अतिकृष्णच 6)अतिगौरश्च 7)अतिस्थूलश्च 8)अतिकृश्च यहाँ शरीर की बनावट के अनुसार निन्दित पुरूषों का वर्णन किया गया है। अतिदीर्घ:- nowadays,it is known as Gigantism. चिकित्सा की दृष्टि के यह विशेष रूप से निन्दित नहीं है किन्तु लोक दृष्टि […]