जब सत्रिपात का रोगी बेहोश हो, नाड़ी क्षीण हो, रुक-रुक कर नाड़ी चलती हो, देह ठण्डा हो, पसीना आता हो, हाथ-पैर शिथिल एवं ठण्डे हो, श्वास क्षीण हो, हृदय की गति निर्बल हो, मृतसञ्जीवनी सुरा, बृहद कस्तूरी भैरव आदि औषधों का कोई भी प्रभाव नहीं हो अर्थात् अन्तिम दशा है ऐसा समझकर इस सूचिकाभरण रस […]
Category: Ras Shastra
Mahalakshmivilas Ras (महालक्ष्मीविलास रस) is an Ayurvedic remedy which is an excellent Rasayana. It is the best cure for phlegm and respiratory disorders. प्रथम महालक्ष्मीविलास रस:- यह सभी शिरोरोगों का नाश करता है। लौहमभ्रं विषं मुस्तं फलत्रयकटुत्रयम् । धुस्तूरं वृद्धदारञ्च बीजमिन्द्राशनस्य च ॥५७॥ गोक्षुरकद्वयञ्चैव पिप्पलीमूलमेव च । एतत्सर्वं समं ग्राह्यं रसे धुस्तूरकस्य च ॥५८॥ भावयित्वा […]
लक्ष्मीविलास रस (Lakshmivilas Ras) सभी योगों के राजा के रूप में प्रसिद्ध है। इसके सेवन से क्षय, त्रिदोषोत्पन्न पाण्डुु (Anemia) , कामला (Jaundice) , सभी प्रकार के वातविकार, शोथ (Oedema), प्रतिश्याय (Common Cold), शुक्रक्षय, अर्श (Piles), शूल, कुष्ठ, अग्निमान्द्य, सन्निपात ज्वर, श्वास एवं कास जैसे रोगों को नष्ट कर देता है। इससे शरीर में तरुणाई […]
योगेन्द्र रस (Yogendra Ras) आयुर्वेदिक औषधियों में एक उत्कृष्ट और वीर्यवान वातशामक औषध है। यह विशेषतः ह्रदय, मस्तिष्क, वातवहानाड़ियाँ, मन और रक्त पर अपना प्रभाव दर्शाता है। इसके सेवन से वातवहानाड़ियाँ सबल होती है; अतः जीर्ण (पुराना) वातविकार के साथ पित्त प्रकोपजन्य दाह (जलन), व्याकुलता, निद्रानाश, मुखपाक (मुंह में छाले), अपचन आदि लक्षण हो, तब विशेष लाभदायक है। जीर्ण वातविकार, अपस्मार और उन्माद आदि रोगों […]
आनंद भैरव रस (Anand Bhairav Ras) बहुत ही प्रचलित आयुर्वेदिक औषधि है इसका उपयोग ज्वर (Chronic Fever), अतिसार (Diarrhoea), आमवात (Rheumatoid arthritis), जुकाम (Common cold), खांसी (Cough) आदि में करना चाहिए। हिंगुलञ्च विषं व्योषं मरिचं टंकणं कणा। जातिकोषसमं चूर्णं जम्बीरद्रवमर्दितम्।। रक्तिमानां वटीं कुर्यात् खादेदार्द्रकसंयुताम्।। (र. सा. सं. ज्वर/ 104-105) घटक द्रव्य/ Ingredients:- (1) शुद्ध हिंगुल […]
चंद्रामृत रस (Chandramrit Ras) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार, दमा (Asthma), श्वास एवं ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में मुख्य औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है । इस औषधि में शुद्ध गंधक एवं शुद्ध पारद का मिश्रण होता है जिस कारण इस औषधि को बहुत ही कम मात्रा […]
प्रताप लंकेश्वर रस (Pratap Lankeshwar Ras)– एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से प्रसव के उपरांत महिलाओं में उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं एवं रोगों में प्रयोग की जाती हैै। इसका उपयोग पुराने बुखार, निमोनिया, मानसिक आघात, अतिसार (दस्त) आदि रोगों के उपचार में किया जाता है। प्रतापलङ्केशवर एष पश्य प्रतापमत्यत्र निजप्रतापात्। गदान् धनुर्वातमुखानशेषान् […]
चन्द्रप्रभा गुटिका (Chandraprabha Gutika) को चन्द्रप्रभा वटी भी कहा जाता है। इसके नाम से ही इसकी उपयोगिता का पता चलता है। ‘चन्द्र‘ यानी चंद्रमा, ‘प्रभा‘ यानी उसकी चमक, अर्थात् चंद्रप्रभा वटी के सेवन से शरीर में चंद्रमा जैसी कांति या चमक और बल पैदा होता है। इसलिए शारीरिक कमजोरी पैदा करने वाली लगभग बीमारियों में […]
गर्भपाल रस (Garbhpal ras) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं एवं महिला के गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए ही जीवनी शक्ति के रूप में प्रयोग की जाती है । जैसा कि इस औषधि के नाम से ही पता चलता है कि यह औषधि गर्भ को पालने वाली अर्थात […]
Name:- संस्कृत यवक्षार हिन्दी जवाखार, जौखार English Mixture of Potassium salts पर्याय:- यवज यव्य याव्य पाक्य यवशूक शूकज यवनालज यवक्षार यावशूकज परिचय:- पके हुए जौ के पञ्चाङ्ग को सुखाकर➡जलाने पर क्षारपाक विधि सेे प्राप्त किया गया श्वेतक्षार है दानायुक्त चूर्णरूप श्वेतवर्ण , क्षार और तिक्त रस होता है। यवक्षार निर्माण :- पके जौ के पञ्चाङ्ग […]