Introduction: This is modified radiological technique discovered by Hounsfield & Ambrose. This technique is used to detect the abnormal structures and minor pathologies which could not be detected through other investigatory techniques, Computed tomography is a new method of forming images from X-rays. This is a multi directional scanning of the human body,By this multiple […]
Category: Rog Nidan
MRI ( MAGNETIC RESONANCE IMAGING )
MRI is an exciting advancement in Radiology. Since a few decades it occupied a significant place in advanced radiology. High resolution multi plane 3D image Superior contrast resolution. The principle is based on the that any nuclei with unpaired protons behave like magnet when they spin. When these nuclei are subjected to a strong magnetic […]
A Vaidya is never considered a Vaidya if he doesn’t know nadi pariksa. And knowledge of nadi isn’t available easily any where but vaidyanamah provides you with complete knowledge
AFTER READING 20 TYPES OF COUGH, READ PRAMEH. पूर्वकासक्षयः कासो रक्तकासश्च चिप्पिका।वातकासः पैत्तकासः क्षतकासश्च शुक्तिका॥आमकासः पाण्डुकास: कृष्णकासस्तथैव च। श्लेष्मकासो दधिकासः कासश्च श्लेष्मजिह्वकः॥ कण्ठजिह्वोपजिह्वौ च हन्ति जिह्वककासकः। ऊर्ध्वकासः श्लेष्मभङ्गः श्लेष्मकुष्ठश्च संज्ञितः।इत्येते विंशतिः कासा: वक्ष्यामि विधिवत्क्रमात्॥ (माधव निदान) कास भेद लक्षण चिकित्सा पूर्व कास जन्म प्रभृति वीर्या, सतत कास पीडन, सुबह और अन्नरॉज्ञा होने पर कास होना […]
AFTER READING MUTRA PARIKSHA, READ COMMONLY USED MEDICAL TESTS. ‘नाड्या मूत्राशय जिह्वायां लक्षणं यो न विन्दते।मारयत्याशु वै जन्तून् स वैद्यो न यशो लभेत्।। (योग चिंतामणि) अर्थात् :- जो वैद्य नाड़ी, मूत्र, जिह्वा के लक्षणों को नहीं जानता, वह कभी भी यश का भागी नहीं होता। अष्ठ विध परीक्षा में नाड़ी परीक्षा के बाद में मूत्र […]
Prameh ( प्रमेह ) : Diabetes
मेदोवह स्रोतस की दुष्टी ही प्रमेह उत्पन करती है। मेदोवह स्त्रोतस परिचय-मेद धातु का वहन करने वाले स्रोत को मेदोवह स्रोतस कहते हैं। मेदोवह स्त्रोतस का प्राकृत कर्म– शरीर में स्नेहन, स्वेदन तथा शरीर को दृढ़ता प्रदान करना है।विकृत कर्म- प्रमेह विकृत होने पर स्थौल्यादि विकारों की उत्पत्ति होती है। मेदोवह स्रोतो दुष्टी के कारण– […]
** यहां पर बताए गए भेद माधव निदान के अनुसार है और यहां पर उन्ही रोगों के भेदों के बारे में बताया है जो कि B.A.M.S. रोग निदान (Pathology) के syllabus में है। Exam time में भेद याद करने में आसानी होगी इसे। Rog Bhed/Types अरुचि 2 शारीरिक (4 वात, पित्त, कफ, सन्निपातज), मानसिक ( […]
After reading this read Strotas and diseases with Trick आचार्य चरक ने स्रोतस की चिकित्या में उपयोगिता देखते हुए उसके विवेचन के लिए अलग अध्याय में बताया है । चरक विमान स्थान अध्याय 5 स्रोतोविमानं में बताया है। स्त्रोतस दो प्रकार के होते है:- बहिर्मुख स्रोतस :- यह शरीर के बाहर के द्वार होते है […]
प्राणवह स्त्रोतस की व्याधि:- राजा की क्षत पर वार होने से शोष रोग हुआ और प्राण निकल गए। (हिक्का ,कास, श्वास) राजा – रज्यक्षमा क्षत – क्षतक्षीण शोष – शोष रोग प्राण – प्राणवह स्त्रोतस उदकवह स्त्रोतस की व्याधि:- उदर जाकर कृष्णा ने सूचिका पत्र में लिखे सार को प्रवाहित कर दिया। उदर – उदकवह […]
★विरुद्ध भोजन के सेवन से होने वाले ज्वर रक्तपित्त आदि अष्ट रोग विष के समान मृत्यु कारक होने कारण महागद कहलाते हैं। Asth Mahagadh Shaloka वातव्याधिरपस्मारी कुष्ठी शोफी तथोदरी|गुल्मी च मधुमेही च राजयक्ष्मी च यो नरः||८||अचिकित्स्या भवन्त्येते बलमांसक्षये सति|अन्येष्वपि विकारेषु तान् भिषक् परिवर्जयेत्||९|| Charak Samhita Indriya sthana 9/8-9 वातव्याधिः प्रमेहश्च कुष्ठमर्शो भगन्दरम् |अश्मरी मूढगर्भश्च तथैवोदरमष्टमम् ||४||अष्टावेते […]