शोथ (Shotha) या ‘श्वयथ्‘ शब्द ‘टुओश्वि-गतिवृद्ध्योः‘ से ‘टुओ’ की इत्संज्ञा कर शिव से वृद्धि अर्थ में अथुच् प्रत्यय लगाने पर ‘श्वयथु‘ शब्द बनता है, जिसका अर्थ= बढ़ा हुआ होता है। शोथ किसे कहते हैं:- शोथ/Shotha (swelling/ oedema) के समान कारणों वाले जो ग्रन्थि, विद्रधि, अलजी आदि रोग हैं तथा जिनकी आकृतियाँ भी अनेक प्रकार की […]
Category: Sushrut Samhita
Adhimantha also known as Glaucoma, is a group of conditions that have a characteristic optic neuropathy associated with visual field defects and elevated intraocular pressure. संहिताओं में इसका वर्णन निम्न आचार्यों ने किया है:- सुश्रुत संहिता उत्तरतंत्र – 6 (सर्वगतरोगविज्ञानीयध्याय) 9 (वाताभिष्यन्द- अधिमन्थप्रतिषेध) 10 (पित्ताभिष्यन्दप्रतिषेध) 11 (श्लेष्माभिष्यन्दप्रतिषेध) 12 (रक्ताभिष्यन्दप्रतिषेध) अष्टांग हृदय उत्तरतंत्र – 15 “वृद्धैरेतैरभिष्यदैर्नराणामक्रियावताम् […]
दुष्ट त्वचा, मांस आदि को स्वस्थान से दूर करता, काट कर हटाता है, उसे क्षार (Kshar) कहते हैं। बहुत से आचार्यों ने इसका वर्णन अपनी संहिताओं में किया है:- सुश्रुत संहिता = सूत्र स्थान 11, उत्तर तंत्र 42, गुल्म चिकित्सा अध्याय अष्टांग संग्रह = सूत्र स्थान 39 अष्टांग हृदय = सूत्र स्थान 30 चक्रदत्त अध्याय […]
अक्षिपाक (Akshipaka) also known as Uveitis; is defined as the inflammation of uveal tissue. इसका वर्णन सुश्रुत संहिता उत्तरतंत्र अध्याय 6 और अध्याय 12 व अष्टांग हृदय उत्तरतंत्र अध्याय 15 में किया है। सशोफ अक्षिपाक:- “कुण्डूपदेहाश्रुयुतः पक्वोदुम्बरसन्निभः। दाहसंघर्षताम्रत्वशोफनिस्तोदगौरवैः। जुष्टो मुहुः स्रवेच्चास्त्रमुष्णशीताम्बु पिच्छिलम्। संरम्भी पच्यते यश्च नेत्रपाकः स शोफजः।।” (सु.उ. 6/21) नेत्र में खुजली होना, मल […]
इंद्रलुप्त (Indralupta), वह रोग जिसमें रोम की उत्पत्ति बंद हो जाती है। इसे Alopecia के नाम से भी जाना जाता है। निदान व सम्प्राप्ति/ Cause and Pathogenesis:- रोमकूपानुगं पित्तं वातेन सह मूर्च्छितम् । प्रच्यावयति रोमाणि ततः श्लेष्मा सशोणितः ।। रूणद्धि रोमकूपांस्तु ततोऽन्येषामसम्भवः । तदिन्द्रलुप्तं खालित्यं रुज्येति च विभाव्यते ।। (सु.नि. 13 / 32-33) वात, पित्त […]
दारुणक (Darunaka) को Dandruff के नाम से भी जाना जाता है। जिस रोग में केश भूमि कठिन हो जाए, उसे दारुणक कहते है। इसका वर्णन निम्न आचार्यों ने किया है। दारुणेति कठिना। (माधव निदान क्षुद्र रोग 55/30) दारुण का अर्थ होता है कठिन। व जिस रोग में केश भूमि कठिन हो जाए, उसे दारुणक (Darunaka) […]
ओष्ठगत रोग (Oshtagata Roga) दो शब्दों से मिलकर बना है: ओष्ठ – lips और रोग – disease; i.e diseases of lips. Let’s study each of the Oshtagata Rogas in detail with their treatment. ओष्ठगत रोग की संख्या:- “तत्रौष्ठप्रकोपा वातपित्तश्लेष्मसन्निपात रक्तमांसमेदोऽभिघातनिमिताः॥” (सु.नि. 16/ 5) ओष्ठगत (Oshtagata) 8 रोग होते हैं। वातिक (Cracked lips) पैत्तिक (Aphthous ulcer/ […]
सुश्रुत संहिता उत्तर स्थान में 11 प्रकार के शिरोरोग का वर्णन मिलता है। अन्तवात शिरोरोग (Anantavata Shiroroga) उनमें से एक है। इसमें पृष्ट व ग्रीवा में तीव्र वेदना और कम्प होता है, साथ ही नेत्र रोग व हनुग्रह भी हो सकता है। निदान व संप्राप्ति:- उपवासातिशोकातिरूप शीताल्पभोजनैः । दुष्टा दोषासयो मन्यापश्चाद्धाटासु वेदनाम् ।। तीव्रां कुर्वन्ति […]
क्षयज शिरोरोग (Kshayaja Shiroroga) का वर्णन सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता उत्तर तंत्र में किया है। निदान/ Etiology :- वसावलासक्षतसम्भावना शिरोगतानामिह संक्षयेण क्षयप्रवृत्तः शिरसोऽभितापः कष्टो भवेदुग्ररूजो ऽतिमात्रम । संस्वेदनच्छर्दन धूम नस्यैरसृग्विमोक्षैश्च विवृद्धिमेति ।। (सु.उ. 25/9) शिर पर आघात लगने से वसा (शरीर का नियमित स्नेहांश यथा मेद, मज्जा, मस्तिष्क), बलास (कफ) व रक्त के क्षीण होने […]
A burn is an injury to the skin or other organic tissue primarily caused by heat or due to radiation, radioactivity, electricity, friction or contact with chemicals. Skin injuries due to ultraviolet radiation, radioactivity, electricity or chemicals, as well as respiratory damage resulting from smoke inhalation, are also considered to be burns. अग्नि स्निग्ध अथवा […]