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Gokshuradi Guggulu | गोक्षुरादि गुग्गुलु – it’s dosage and uses

Gokshuradi Guggulu is commonly used to treat urinary/ Kidney disorders.

अष्टाविंशति संख्या पलान्यानीय गोक्षुरा।
विपचेत् षड्गुणे नीरे क्वाथ ग्राह्योऽर्धशेषितः।।
ततः पुनः पचेत् तत्र पुरं सप्तपलं क्षषिपेत।
गुडपाकसमाकारं ज्ञात्वा तत्र विनिक्षिपेत्।।
त्रिकटु त्रिफला मुस्तं चूर्ण पल सप्तकम्।
ततः पिण्डीकृतस्यास्य गुटिकामुपयोजयेत्।।
हन्यात् प्रमेह कृच्छ्र च प्रदरं मूत्रघातकम्।
वातास्त्रं वातरोगांश्च शुक्रदोषं तथाश्मरीम्।। ( शा.‌ सं. मं 7/84-87)

गोक्षुर
(Tribulus terrestris)
112 तोला ~ 1120g
शुद्ध गुग्गुलु
(Commiphora wightii)
28 तोला ~ 280g
सोंठ
(Zingiber officinale)
4 तोला ~ 40g
मरीच
(Piper nigrum)
4 तोला ~ 40g
पिप्पली
(Piper longum)
4 तोला ~ 40g
हरड़
(Terminalia chebula)
4 तोला ~ 40g
बहेड़ा
(Terminalia bellirica)
4 तोला ~ 40g
आंवला
(Phyllanthus emblica)
4 तोला ~ 40g
नागरमोथा
(Cyprus rotundus)
4 तोला ~ 40g

विधि-

  • गोक्षुर के पंचांग को कूटकर छः गुने जल में पकाएं तथा अर्धशेष रहने पर छान लें।
  • अब इसमें गुग्गुल (28 तोला) मिलाकर गुडपाक के समान गाढ़ा कर लें।
  • अब इसमें प्रक्षेप द्रव्यों (शेष द्रव्यों) का कपड़छन चूर्ण मिलाकर (4-4 तोला), घी अथवा एरण्ड के साथ कूटकर 3-3 रत्ती की गोलियां बना लें।
Gokshuradi Guggulu
Gokshuradi guggulu

मात्रा व अनुपान- 1-1 गोली सुबह-शाम गोक्षुर क्वाथ अथवा प्रमेहहर क्वाथ से देें।

गुण व उपयोग-

  • इसके सेवन से मूत्रकृच्छ, मूत्राघात, अश्मरी, प्रदर, वातरक्त, शुक्र दोष व मूत्राशय गत अनेक विकार नष्ट होते हैं।
  • यह औषध मूत्राशय, मूत्रनली व वीर्यवाहिनी शिराओं पर अधिक प्रभावशाली है।
  • यह वृष्य व रसायन भी है।
  • गोदुग्ध के साथ इसका नियमित रूप से सेवन करने से शरीर में शुक्र की वृद्धि होती है।

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