अयःसयष्टित्रिफलाकणानां चूर्णानि तुल्यानि पुरेण नित्यम्।सर्पिर्मधुभ्यां सह भक्षितानि शुक्राणि काचानि निहन्ति शीघ्रम् ।। ( रसचंडांशु )
सामग्री :-
- लौह भस्म (Calcined iron)
- मुलेठी चूर्ण (Glycyrriza glabra)
- त्रिफला चूर्ण (Terminalia chebula, Terminalia bellirica, Phyllanthus emblica)
- पिप्पली चूर्ण (Piper longum)
- शुद्ध गुग्गुलु (Commiphora wightii)
विधि-
- लौह भस्म, मुलेठी, त्रिफला, पिप्पली – इन सभी द्रव्यों का सम भाग कपड़छन चूर्ण लें।
- इन सभी द्रव्यों के बराबर शुद्ध गुग्गुलु लेकर सबको एकत्रित कर अच्छी प्रकार मर्दन करें।
- 3-3 रत्ती की गोलियां बना लें।
◾मात्रा व अनुपान- 1-2 गोली सुबह-शाम मधु व घृत के साथ लेें। (मधु व घृत की विषम मात्रा लें, सम मात्रा में ये विष समान हैैं।)
उपयोग-
- इस गुग्गुल के सेवन से अनेक प्रकार के शुक्र दोष नष्ट हो जाते हैं।
- इसके सेवन से कांच (नेत्ररोग) भी नष्ट हो जाता है।