परिचय :-
मुर्गी के अण्डे के छिलके को कुक्कुटाण्डत्वक् (Kukkutanda twak) कहते हैं।
शोधन :-
अण्डे के छिलकों को सिरका या नमक और नवसादर (1/8 भाग) मिश्रित जल में भिगोये
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4 – 5 दिन में कोमल होने पर अंदर की झिल्ली को निकालकर धो कर सुखाने पर शुद्ध हो जाता है।
मारण :-
शुद्ध कुक्कुटाण्डत्वक् का चूर्ण करके घृतकुमारी स्वरस से मर्दन ➡ टिकिया बना कर सुखा दें ➡ शराव सम्पुट ➡ 5 सेर (5 kg) उपलों (cowdung cake) की अग्नि में पाक करें ➡ स्वांगशीत होने पर श्वेतवर्ण भस्म प्राप्त हो जाती है ।
मात्रा :-
2 – 4 रत्ती
अनुपान :-
मधु, मिश्री, मक्खन
गुण :-
- बल्य, हृदय, शुक्रदोषहर
- प्रमेह, वातरोग, कफरोग, स्वप्नदोष, और नपुंसकता को दूर करती है।
- प्रसूता स्त्रियों (Pregnant ladies) के लिए लाभदायक।
- सोमरोग, श्वेतप्रदर, रक्तप्रदर को दूर करती है।