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Ingredients :-
- शुण्ठी चूर्ण – १ भाग
- शुद्ध स्वर्ण गैरिक – २ भाग
भावना द्रव्य :-
नागवल्ली स्वरस (आवश्यकता अनुसार )
विधि / Vidhi :-
स्वर्ण गैरिक के सूक्ष्म चूर्ण को गौ घृत मे भ्रजन करें ꫰ भ्रजन करने के पश्चात् उसे ठंडा होने दें ꫰ शुण्ठी का सूक्ष्म चूर्ण बनाएं ꫰ उसके पश्चात् खल्व यंत्र में शुण्ठी चूर्ण व स्वर्ण गैरिक (भ्रजन किया हुआ) ꫰ उसमें नागवली स्वरस कि भावना दें ꫰२४ घण्टे तक भावना दें, (When paste gets semisolid then …) उसकी वटी बनाएं ꫰ अर्थात् जब paste हाथों पर चिपकना छोड़ दे तब तक उसको भावना दें और वटियां बनाने के बाद उन्हें सुखा दें ꫰
मात्रा / Dosage :-
एक(१) वटी [250-300] मिली ग्राम ( रोगी के बल का विचार करके उपयोग करे )
अनुपान :-
सितायुक्त दूध , मधु , पानी
उपयोग :-
१. पितज शिर: शूल
२. अर्धावभेेेदक
३. सूर्यावर्त
४. पितज उन्माद
५. दाह
६. उर्ध्वग रक्तपित
७. मुखपाक
८. ज्वर
९. अतिसार
Reference :-
रसतंत्रसार एवं सिद्ध प्रयोग संग्रह खल्वीय रसायन -३३।
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