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Pathyaadi Guggulu | पथ्यादी गुग्गुलु – Preparation and Uses

पथ्याबिभीतामलकीफलानां शतं क्रमेण द्विगुणाभिवृद्धम् । प्रस्थेन युक्तञ्च पलङ्कषाणां द्रोणे जले संस्थितमेकरात्रम् ॥ अर्धावशिष्टं क्वथितं कषायं भाण्डे पचेत् पुनरेव लौहे। अमूनि वह्नेरवतार्य दद्याद् द्रव्याणि सञ्चूर्ण्य पलार्द्धकानि ॥विडङ्गदन्तीत्रिफलागुडूचीकृष्णात्रिवृन्नागरकोषणानि यथेष्टचेष्टस्य नरस्य शीघ्रं हिमाम्बुपानानि च भोजनानि ॥ निषेव्यमाणो निहन्ति रोमांस गृध्रसी नूतनखञ्जताञ्च।। प्लीहानमुग्रं जठराग्निगुल्मं पाण्डुत्वकण्डूवमिवातरक्तम् ॥ पथ्यादिको गुग्गुलुरेष नाम्ना ख्यातः क्षितावप्रमितप्रभावः । बलेन नागिन समं मनुष्यं जवेन कुर्याततरगेण तुल्यम् ॥ आयुः प्रकर्षं विदधाति चक्षुर्बलं तथा पुष्टिकरो विषघ्नः । क्षतस्य सन्धानकरो विशेषाद्रोगेषु शस्तः सकलेषु तज्ज्ञैः ॥ (भाव प्रकाश मध्यम वात व्याधि 24/145-150 )

सामग्री-

हरड़
(Terminalia chebula)
100
बहेड़ा
(Terminalia bellirica)
200
आंवला
(Phyllanthus emblica)
400
गुग्गुलु
(Commiphora wightii)
64 तोला ~ 640 ग्राम
वायविडंग
(Embelia ribes)
2 तोला ~ 20 ग्राम
दन्ती
(Baliospermum montanum)
2 तोला ~ 20 ग्राम
गुडुची
(Tinospora cordifolia)
2 तोला ~ 20 ग्राम
पिप्पली
(Piper longum)
2 तोला ~ 20 ग्राम
सोंठ
(Zingiber officinale)
2 तोला ~ 20 ग्राम
निशोथ
(Operculina terpethum)
2 तोला ~ 20 ग्राम
काली मिर्च
(Piper nigrum)
2 तोला ~ 20 ग्राम
त्रिफला6 तोला ~ 60 ग्राम

विधि-

  • हरड़, बहेड़ा, आंवला व गुग्गुलु इनको 1024 तोला (10240 ग्राम) जल में रात भर के लिए भिगो दें।
  • फिर इसे अर्धशेष रहने तक पकाएं।
  • अब इस जल को छान लें व पुनः गाढ़ा होने तक पकाएं।
  • अब इसमें दन्ती, निशोथ, सोंठ, वायविडंग, पिप्पली, मरीच, हरड़, बहेड़ा, आंवला – प्रत्येक द्रव्य का 2-2 तोला कपड़छन चूर्ण डाल दें।

इस गुग्गुलु का सेवन करते समय शीतल जल, आहार व विहार सेवन करने का निर्देश है।

गुण व उपयोग-

  • इस गुग्गुलु का सेवन करने से गृध्रसी, नूतन खञ्जता, प्लीहा, मन्दाग्नि, गुल्म, पाण्डु, कण्डू, वमन तथा वातरक्त आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।
  • यह अत्यन्त प्रभावशाली योग माना जाता है।
  • इसके सेवन से मनुष्य हाथी के समान बल वाला व घोड़े के समान वेग युक्त हो जाता है।
  • यह आयुवर्द्धक व नेत्रज्योति वर्धक है।
  • यह योग व्रणरोपक, विष नाशक व पुष्टिकारक है।
  • वैद्यों ने इसे सभी रोगों में हितकर कहा है।

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