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Pratap Lankeshwar Ras | प्रताप लङ्केश्वर रस : Uses and Benefits

प्रताप लंकेश्वर रस (Pratap Lankeshwar Ras)– एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से प्रसव के उपरांत महिलाओं में उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं एवं रोगों में प्रयोग की जाती हैै। इसका उपयोग पुराने बुखार, निमोनिया, मानसिक आघात, अतिसार (दस्त) आदि रोगों के उपचार में किया जाता है।

प्रतापलङ्केशवर एष पश्य प्रतापमत्यत्र निजप्रतापात्। गदान् धनुर्वातमुखानशेषान् लङ्केशवच्छत्रुभिरप्रसहन।। ( वैद्य जीवन )

जिस प्रकार रावण अपने सभी शत्रुओं का नाश करता है उसी प्रकार प्रताप लंकेश्वर रस, धनुर्वात, हनुस्तंभ, उन्माद, वात रोग, सूतिका रोग का नाश करता है।

एकेन्दुचन्द्रानलवार्धिदन्तीकलैक भागं क्रमशौ विमिश्रम्। सूताभ्रगन्धोषणलोहशंखवन्योत्पलाभस्मविषं च पिष्टम्।। प्रसूतिवातेऽनिलदन्तबन्धे साद्र्राम्भसावल्लममुष्य लिहयात्। वातामयै श्लेष्मगदेऽर्शंसि स्यात्पुरामृताद्द्रात्रिफलायुतोऽयम्।। सशृङ्गवेरद्वय एष हन्ति ससन्निपातं ज्वरमु ग्ररूपम् । निजानुपानैर्निजपथ्ययुक्तः सर्वातिसारान् ग्रहणीविकारान् । प्रतापलङ्केश्वरनामधेयः सूतः प्रयुक्तो गिरिराजपुत्र्याः।। (यो. र. स्त्रीरोग चि.)

घटक द्रव्य/ Ingredients:-

  1. शुद्ध पारद (Purified Mercury) – 1 भाग
  2. शुद्ध गन्धक (Purified and processed Sulphur) – 1 भाग
  3. अभ्रक भस्म (Purified and processed Mica) – 1 भाग
  4. मरिच/ Black pepper (Piper nigrum) – 3 भाग
  5. लौह भस्म (Bhasma prepared from iron) – 4 भाग
  6. शंख भस्म (Bhasma of Conch Shell) – 8 भाग
  7. वन्योत्पल भस्म (Ash of Cow dung cake) – 16 भाग
  8. शुद्ध वत्सनाभ (Aconitum ferox) – 1 भाग

निर्माण विधि/ How to make Prataplankeshwar Ras:-

  1. सर्वप्रथम शुद्ध पारद एवं शुद्ध गन्धक की कज्जली बनायें।
  2. उसमें शेष द्रव्यों के सूक्ष्म चूर्ण को खल्व में मिलाकर पीसकर सुरक्षित रखें।
Pratap Lankeshwar Ras

मात्रा/ Dosage of Pratap Lankeshwar Ras:-

125 से 375 mg (मि. ग्राम)

अनुपान:-

उपयोग/ Therapeutic Uses:-

  • प्रसूतिवात
  • दन्तबन्ध
  • अर्श (Piles)
  • सन्निपातज्वर
  • अतिसार (Diarrhoea)
  • ग्रहणी