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Praval ( प्रवाल ) : Coral, मूँगा – Ratn Vargha

Names :-

संस्कृतप्रवालः
हिन्दीमूँगा
EnglishCoral
Chemical nameCalcium Carbonate
  • Hardness= 3.5
  • Relative density= 2.60 – 2.70

पर्याय :-

  • प्रवाल
  • विद्रुम
  • अङ्गारकमणि
  • अब्धिजन्तु
  • भौमरत्न

परिचय :-

Praval
Praval – Coral
  • Praval= Anthazon polyps का मृत शरीर होता है।
  • Anthazon polyps के शरीर में चूने की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाने पर ये मर जाते हैं
  • और यही मृत शरीर प्रवाल कहलाते हैं।
  • प्रवाल (Praval) श्वेत या मटमैले कृष्ण वर्ण का होता है।
  • औषध श्रेष्ठ- गुलाबी रंग का छिद्र युक्त सुषिर मोटे खण्डों के रूप में प्राप्त होता है।

प्रवाल निर्माण :-

  • Anthazon polyp नाम का कीड़ा/ जीव अंगूठी के समान गोल और छिद्र युक्त होता है और भुत पैर वाला।
  • यह उष्ण जल वाले समुद्र में मिलते हैं।
  • Female anthazon polyp एक साथ करोड़ों अंडे देती है।
  • ये जीव समुद्र में रहते हैं।
  • एक स्थान पर मधु मक्खि की तरह ये कीड़े एक लर एक अपने पैरों से पकड़कर बैठते हैं।
  • और वृक्ष की आकृति में समुद्र में फैल जाते है।
  • नीचे के कीड़े मरते हैं और चूने में परिवर्तित हो जाते हैं।
  • इन जन्तुओं का अस्थि अवशेष ही प्रवाल होता है।

प्राप्ति स्थान (Habitat):-

  • Italy
  • Mexico
  • Spain
  • Australia etc.

Types :-

On the basis of वर्ण आकृति
१. श्वेत वर्ण१. प्रवाल शाखा
२. धूसर वर्ण२. प्रवाल मूल
३. कृष्ण वर्ण
४. रक्त वर्ण

ग्राह्य प्रवाल :-

इन 7 गुण युक्त प्रवाल (Praval) को ही ग्रहण करना चाहिये। (र.र.स. 4/18)

  1. वर्ण= पके हुए बिम्बी फल सदृश रक्तवर्ण
  2. आकार= गोल
  3. सीधा
  4. लम्बे
  5. स्निग्ध
  6. व्रण रहित
  7. मोटा

अग्राह्य प्रवाल :-

इन 7 गुण वाला प्रवाल (Praval) अशुभ होता है। (र.र.स. 4/19)

  1. पाण्डु वर्ण
  2. धूसर
  3. रुक्ष
  4. व्रणयुक्त,
  5. छिद्र युक्त
  6. लघु
  7. श्वेतवर्ण

शोधन :-

तण्डूलीय पत्र स्वरस या सर्जिकाक्षारयुक्त जल मेंदोला यन्त्र विधि से स्वेदन करने पर शुद्ध हो जाता है।

मारण :-

शुद्ध प्रवाल का चूर्ण

भावना – घृत कुमारी स्वरस या शतावरी स्वरस में देकर टिकिया बना सुखाये

शराव सम्पुट कर गजपुट में पाक करें

3 बार ऐसे करने से प्रवाल की – श्वेत भस्म प्राप्त होती है।

भस्म के गुण :-

  • रस – मधुर
  • शीत वीर्य एवं लघु
  • दीपन, पाचन,
  • त्रिदोषघ्न
  • कफ-वातनाशक।

प्रवाल पिष्टि :-

Praval
Praval Pishti

शुद्ध प्रवाल को साफ जल से धो कर सुखाएं ➡ लोहे के इमामदस्ते में कूट कर सूक्ष्म चूर्ण कर ➡ सिमक खल्व में ➡ गुलाब जल के साथ 3 दिन तक मर्दन कर सुखाएं ।

हल्की गुलाबी वर्ण की पिष्टि प्राप्त होती है।

चन्द्र पुटी प्रवाल पिष्टि :-

  • शुद्ध प्रवाल के चूर्ण को सिमाक पत्थर की खल्व में ➡ गुलाब जल के साथ रात के समय चन्द्रमा के उजाले में ➡ 21 दिन तक मर्दन करने पर पिष्टि बनती है।
  • इसी को चन्द्र पुटी प्रवाल कहते हैं।
  • गुण –
  1. मेध्य,
  2. वृष्य,
  3. बल्य,
  4. रक्त पित्त नाशक ,
  5. क्षय रोग नाशक।

प्रवाल भस्म या पिष्टि की मात्रा :-

1/2 – 2 रत्ती ।

अनुपान :-

मधु

प्रमुख योग :-

  1. प्रवाल पञ्चामृत
  2. मुक्ता पञ्चामृत
  3. बसन्ततिलक रस
  4. कस्तूरीभैरव रस
  5. अपूर्वमालिनिबसन्त

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