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Samsharkra Guggulu | समशर्करा गुग्गुलु – Ingredients, Uses

इस योग में गुग्गुलु व शर्करा की मात्रा समान होने से इसे समशर्करा गुग्गुलु ( Samsharkra Guggulu ) की संज्ञा दी गई है।

यावशूकसुरदारुसैन्यवं मुस्तकत्रुटिवचायमानिकाः । व्योषदीप्यकनिशाफलत्रिकं जीरकद्वयविडङ्गचित्रकम् ॥ कार्षिकं सुमसृणं सुयोजितं संयुतं पुरगलैश्च पञ्जभिः । शर्करां पुरसमां सुपेषयेतप्तसर्पिषि विनिक्षिपेत्तः ॥ वातरक्तमुदरं भगन्दरं प्लीहयक्ष्मविषमज्वरं गरम् । श्वित्रकुष्ठमखिलव्रणानयं चित्तविभ्रमगदांश्च दारुणान् ॥ गृध्रसीं च गुदजाग्निमन्दतांहन्ति कोष्ठजनितं महागदम् । वज्रमिन्द्रसुकरादिव च्युतं गुप्तशैलकुलमुत्तमं द्रुतम् ॥ अन्नपानपरिहारवर्जितं सर्वकालसुखदं निरत्ययम्। सेव्यमानमिदमश्विनिर्मितं गुग्गुलोर्हि वटिका रसायनम्।। चत्वारो माषका हीने मध्यमेऽष्टौ च माषकाः। श्रेष्ठा द्वादशकाः प्रोक्ताः कोष्ठं विज्ञाय पाययेत् ॥ स्रंसनत्वाद् गुरुत्वाद्वा गुग्गुलोः करणक्रमः ॥ ( भाव प्रकाश मध्यम वात रक्त 29/170-176 )

सामग्री :-

विधि-

  • यवक्षार, देवदारु, सैंधव लवण, नागरमोथा, छोटी इलायची, वचा, अजवायन, सोंठ, मरीच, पिप्पली, हरड़, बहेड़ा, आंवला, हल्दी, श्वेत जीरक, कृष्ण जीरक, वायविडंग व चित्रक – प्रत्येक द्रव्य 1-1 तोला (10 ग्राम) लें व कपड़छन चूर्ण कर लें।
  • इसमें 20 तोले (200 ग्राम) गुग्गुलु पीसकर मिला दें।
  • इस मिश्रण में 20 तोले (200 ग्राम) शर्करा/चीनी अच्छी प्रकार मिला दें।
  • इसके पश्चात इसमें गर्म घी मिला दें।

मात्रा-

  • हीन कोष्ठ वाले ४ माशा (3.3 ग्राम)
  • मध्यम कोष्ठ वाले ८ माशा (6.6 ग्राम)
  • उत्तम कोष्ठ १२ माशा (10 ग्राम) की मात्रा में इसका उपयोग करें।

गुण व उपयोग-

  • यह गुग्गुलु वातरक्त, उदर रोग, भगन्दर, प्लीहा, राजयक्ष्मा, विषमज्वर, विष, श्वेत कुष्ठ, विभ्रम रोग, गृध्रसी, अर्शरोग, अग्निमांद्य तथा कोष्ठगत महारोगों को अतिशीघ्र नष्ट करता है।
  • यह अश्विनीकुमारों द्वारा निर्मित कहा जाता है।
  • इसका सेवन करते समय किसी प्रकार का परहेज नहीं है तथा किसी भी ऋतु में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

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