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Ras Shastra Syllabus

Shankh ( शंख ) : Conch Shell – Medicinal Uses

Name :-

संस्कृतशंखः
हिन्दीशंख
EnglishConch Shell
Chemical NameCalcium carbonate

पर्याय :-

  • शंख
  • शंखक
  • त्रिरेख
  • सुनाद
  • कम्बु
  • दीर्घनाद
  • कंबोज
  • शंखनख

परिचय :-

Shankh
  • Molluscs वर्ग में उत्पन्न होने वाला प्राणी का पृष्ठ भाग ही शंख (Shankh) है।
  • यह प्राणी अपने 2 तेज पतली पंखों के द्वारा इधर से उधर मन्द गति से चलता है।
  • समुद्र की लहरों से यह किनारे पर आ जाते हैं।
  • इन्हें मछुआरे एकत्र कर लेते हैं और
  • जीवित शंख (Shankh) को उबालकर गर्म पानी में डाल देते हैं।
  • इसके अंदर का प्राणी मर कर सिकुड़ जाता है, बाहर निकाल कर खा जाते हैं।
  • शेष भाग कठिन पृष्ठ भाग शंख (Shankh) कहलाता है।
  • शंख समुद्र से उत्प्न्न होता है, लक्ष्मी के भाई होने से उसकी पूजा और बजाने पर भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
  • इसके आगे के मुख भाग को काटने पर छेद करने से ही बजाने योग्य होता है,
  • कटे मुखाग्र भाग को ‘शंखनाभि‘ कहते हैं।

प्राप्ति स्थान :-

भारत में समुद्र तट पर ।

Types :-

1. दक्षिणावर्त पूजनार्थ: श्रेष्ठ
2. वामावर्तमारणार्थ: सुलभ

शोधन :-

शंख (Shankh) के छोटे टुकड़े कर के ➡ पोटृली में बांधकर दोला यन्त्र विधि से ➡ जम्बीरी निम्बू स्वरस में 4 प्रहर =12 घण्टे या जयन्ती स्वरस या तण्डुलिय स्वरस या कांजी में 3 घण्टे तक ➡ स्वेदन कर गर्म पानी से धोने पर शुद्ध हो जाता है।

मारण :-

  • शुद्ध शंख के छोटे टुकड़े कर के शराव सम्पुट ➡ गजपुट में पाक करने पर श्वेत भस्म हो जाती है।
  • घृत कुमारी स्वरस की भावना देकर ➡ टिकिया बना कर सुखाएं ➡ शराव सम्पुट कर गजपुट में पाक करें, 2 पुट देने पर उत्तम भस्म तथा गुण वृद्धि होती है।

भस्म के गुण :-

  • शीतल,
  • बल्य, वर्ण्य,
  • ग्राही, विष दोषहर।
  • अम्लपित्त, अग्निमांद्य, उदर रोग को दूर करती है।

भस्म मात्रा :-

2 रत्ती।

अनुपान :-

उष्ण जल।

प्रमुख योग :-

  1. प्रवालपञचामृत रस
  2. ग्रहणीकपाट रस
  3. महाशंख वटी
  4. शंखद्रावक रस
  5. कफ़केतु रस

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