रसभस्म त्रयो भागा भागकं हेमभस्मकम्। मित्रस्य भाग शिला गन्धक तालकम्।।प्रतिभागद्वयं शुद्धमेकीकृत्य विचूर्णयेत्। वराटिका तेन पिया चाजाक्षीरेण टंकणम्।। पिष्ट्वा तेन मुखं रुद्ध्वा मृद्भाण्डे तां निरोधयेत्।शुष्कं गजपुटे पाच्यं चूर्णयेत् स्वांग शीतलम्।। दशपिप्पलिकैः क्षौद्र्मरिचैर्वा घृतान्वितैः।गुञ्जा चतुष्ट्यशास्य क्षयरोग प्रशान्तये।। (र. सा. सं. यक्ष्मा चि. 2/3-6) घटक द्रव्य :- पारद भस्म – 3 भाग रजत भस्म – 1 भाग शुद्ध […]
![](https://i0.wp.com/vaidyanamah.com/wp-content/uploads/2020/06/images-2020-06-09T095230.003.png?fit=225%2C225&ssl=1)