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Virechan karma ( विरेचन कर्म ) : Complete Procedure

शब्द उत्पत्ति – वि + रिच् + णिच् + ल्युट् । ‘विरेचन’ (Virechan) का अर्थ है – मलादि को निष्कासित करना। आचार्य चरकानुसार :- तत्र दोषहरणमूर्च्व भागं वमन संज्ञकम, अधोभाग विरेचन संज्ञक; उभयं वा शरीरमलविरेचनाद्विरेचन संज्ञा लभते।। (च॰ क॰ अ॰ १/४) What is Virechan ? अधोमाग (गुदा) से दोष-हरण की क्रिया को विरेचन (Virechan) संज्ञा […]

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पंचकर्मों के योग्य व अयोग्य – ( Logistic tricks )

1. स्वेदन ◾ स्वेदन के योग्य – As we know, steaming cures cold so including- कास, प्रतिश्याय, हिक्का, श्वास (प्राणवह स्त्रोतस), अंग गौरव, गुरूता, स्तम्भ, सुप्रिया, शैत्य, सर्वांगजाडय। स्वेदन gives relief in शूल – कर्णशूल, मन्याशूल, शिरः शूल, जानुशूल, उरुशूल, जंघा शूल, कुक्षिशूल, अंगशूल। It gives relief in वात व्याधि – अर्दित, गृध्रसी, एकांगवात, सर्वांगवात, […]

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पंचकर्मों के सम्यग योग, अयोग और अतियोग लक्षण

1. वमन ◾सम्यग योग लक्षण – क्रमात कफः पित्तमथानिलश्च यस्यैति सम्यक् वमितः स इष्टः। हत्पा्श्वमर्धेन्द्रियमार्गशुद्धौ तथा लघुत्वेऽपि च लक्ष्यमाणे॥ (च. सि. 1/15) निर्विबंध प्रवर्तन्ते कफपित्तानिला क्रमात्। सम्यग् योगे। (अ.ह.सू. 18/25) पित्ते कफस्यानुसुखं प्रवृत्ते शुद्धेषु हत्कंठ शिरः सु चापि। लघौ च देहे कफसंस्रवे च स्थिते सुवान्तं पुरुषं व्यवस्येत्।। (सु. चि. 33/9) सम्यक् वमन में क्रम से […]