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Tryodashang Guggulu | त्रयोदशांग गुग्गुलु – Dosage and Indications

13 द्रव्यों से सम्मिलित होने के कारण इस योग को त्रयोदशांग संज्ञा दी गई है। इन द्रव्यों में प्रधान मात्रा में गुग्गुल है, अतः इस योग का नाम त्रयोदशांग गुग्गुलु ( Tryodashang Guggulu ) पड़ा।

आभाऽश्वगन्धा हपुषा गुडूची शतावरी गोक्षुरकश्च रास्ना। श्यामा शताह्वा च शटी यवानी सनागरा चेति समं विचूर्ण्य ॥ सर्वैः समं गुग्गुलु मंत्र दद्यात् क्षिपेदिहाज्यञ्च तदर्द्धभागम् । तद्धक्षयेद्द्वपिचुप्रमाणं प्रभातकाले पयसाऽथ यूषैः ॥ मद्येन वा कोष्णजलेन चापि क्षीरेण वा मांसरसेन वाऽपि ।त्रिकग्रहे जानुहनुग्रहे च वाते भुजस्थे चरणस्थिते च।। सन्धिस्थिते चास्थिगते च तस्मिन्मज्जस्थिते स्नायुगते च कोष्ठे। रोगान् हरेद्वातकफानुविद्धान् वातेरितान् हृद्ग्रहयोनिदोषान् ॥भग्नास्थिविद्धेषु च खञ्जतायां सगृध्रसीके खलु पक्षघाते । महौषधं गुग्गुलुमेतमाहुस्त्रयोदशाङ्गं भिषजः पुराणाः ॥ ( भाव प्रकाश मध्यम वात व्याधि 24/117-121 )

Tryodashang Guggulu
Tryodashang guggulu

सामग्री-

  1. बबूल की फली या छाल (Vachellia nilotica)
  2. असगन्ध (Withania somnifera)
  3. हाऊबेर (Juniper berry)
  4. गिलोय (Tinospora cordifolia)
  5. शतावर (Asparagus racemosus)
  6. गोखरू (Tribulus terrestris)
  7. काला निशोथ (Operculina terpethum)
  8. रास्ना (Pluchea lanceolata)
  9. सौंफ (Foeniculum vulgare)
  10. कचूर (Curcuma zedoaria)
  11. अजवायन (Trachyspermum ammi)
  12. सोंठ (Zingiber officinale)
  13. गुग्गुलु (Commiphora wightii)

विधि-

  • बबूल की फली या छाल, अश्वगन्धा, हाऊबेर, गिलोय, शतावरी, गोक्षुर, काला निशोथ, रास्ना, सौंफ, कचूर, अजवायन व सोंठ का कपड़छन चूर्ण समान भाग लें।
  • अब इनके समान भाग शुद्ध गुग्गुलु लेकर थोड़ा-थोड़ा घी लेकर सबको कूटकर मिश्रण कर लें।
  • 3-3 रत्ती की गोलियां बना लें व सुखा लें।

मात्रा व अनुपान- 2-4 गोली प्रातः सायं गर्म जल अथवा दुग्ध के साथ लेें।

गुण व उपयोग-

  • इस गुग्गुलु के सेवन से वातज शूल, आमवात, पक्षाघात, गृध्रसी (वातज), अस्थि-सन्धि-मज्जागत तथा स्नायु व कोष्ठाश्रित वात रोग नष्ट हो जाते हैं।
  • इस गुग्गुलु के नियमित सेवन से पंगु रोग भी नष्ट हो सकता है।
  • इस औषध का वातनाशक क्वाथ के साथ सेवन करने से अनेक वातव्याधियों का नाश होता है।

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