Name :-
संस्कृत | वैदूर्यम् |
हिन्दी | लहसुनियाँ |
English | Beryllium aluminate |
- Hardness= 8.50
- Relative Density= 3.5 – 3.8
- Chemical Formula= BeO Al2 O3
पर्याय :-
- वैदूर्य
- केतुरत्न
- वायज
- विदूरज
- विदूररत्न
- विडालाक्ष
- विडालाख्य
परिचय :-
- बिल्ली की आँखों की तरह चमकदार, पीत हरित वर्ण,
- मध्य में शुभ्र वर्ण, रेखायुक्त होता है।
- इसलिए इसे Cat’s eye कहते है।
- केतु ग्रह को प्रसन्न करता है।
प्राप्ति स्थान :-
- Sri lanka
- Brazil
- America
- Russia
- Jammu and Kashmir.
Types :-
On the basis of वर्ग | वर्ण भेद से |
१. मरकत वर्ग | १. ब्राह्मण : नीलाभयुक्त श्वेत वर्ण |
२. स्फटिक वर्ग | २. क्षत्रिय : अरुणाभ युक्त पीत श्वेत वर्ण |
(आचार्य विश्वनाथ द्विवेदी ने माने हैं।) | ३. वैश्य : नीलाभ युक्त पीतवर्ण |
४.शूद्र : नीलवर्ण और आभायुक्त। |
ग्राह्य वैदूर्य लक्षण :-
- कृष्णाभ श्वेतवर्ण
- समान आकार
- स्वच्छ
- गुरु
- चमकदार
- मध्य में श्वेत अभ्रक के जैसे चमकीली सफ़द रेखा का घेरा हो । (र.र. स.4/57)
अग्राह्य वैदूर्य :-
- श्याम वर्ण
- जल के समान
- कान्ति हीन
- लघु, चपटा
- खुरदरा
- रक्तवर्ण की रेखा से युक्त। (र. र.स . 4/58)
शोधन :-
दोला यन्त्र ➡ त्रिफला क्वाथ में ➡ 3 घण्टे तक स्वेदन करने से वैदूर्य शुद्ध।
मारण :-
वैदूर्य (Vaidurya) को लौहे की इमामदस्ते में सूक्ष्म चूर्ण कर➡ सम भाग में शुद्ध गन्धक + शुद्ध हरताल + शुद्ब मनःशिला ➡ एक खल्व में डालकर लकुच स्वरस से मर्दन ➡ टिकिया बना कर सुखा कर ➡ शराव सम्पुट कर गजपुट की अग्नि में पाक ➡ 8 बार पुट देने से ➡ वैदूर्य की श्वेत वर्ण भस्म हो जाती है।
भस्म के गुण :-
- रस – मधुर
- वीर्य – शीत
- आयुष्य
- नेत्र की रोशनी बढ़ाने वाला
- बुद्धि वर्धक
- मेध्य, बल्य
- रक्तपित्त नाशक
- वात कफ नाशक
- गुल्म नाशक।
वैदूर्य पिष्टि :-
वैदूर्य (Vaidurya) को कूटकर सूक्ष्म चूर्ण कर ➡ सिमाक पत्थर के खल्व में ➡ गुलाब जल से 3 दिन तक मर्दन करने से पिष्टि हो जाती है।
भस्म एवं पिष्टि की मात्रा :-
1/4 – 1 रत्ती
अनुपान :-
मधु
प्रमुख योग :-
- रत्नभागोत्तर रस
- नवर्तनराजमृगाङ्गक रस
- चूर्णान्जन
- पिण्डाञ्जन
- इन्द्रयोक्त रसायन