नाम:- संस्कृत गौरीपाषाण हिंदी संखिया English white arsenic or vitreous Botanical name Arsenious oxide Chemical formula:- As2 O3 Hardness:- 3-4 पर्याय:- शंखमूष,सम्बल,शंखविष,फेनाशम,मल्लक,सोमल,दारुमूषा। इतिहास:- सर्वप्रथम इसका उल्लेख सुश्रुत संहिता कल्पस्थान के अध्याय 1 में ‘फेनाश्म हरितालं च द्वे धातु विषे ‘ मिलता है। ●यह पारद के बन्धन आदि में उपयोगी होने से रसशास्त्र में साधारण वर्ग […]
Month: April 2020
हिन्दी कबीला संस्कृत कम्पिल्लक लेटिन Mallotus philippinensis muell arg पर्याय:- कम्पिल्लक, रक्तचूर्णक, रेचन, कर्कश, रोचन, रक्ताङ्ग, चन्द्र। इतिहास- भारतीय चिकित्सा के प्राचीनतम ग्रन्थ चरक, सुश्रुत एवं अष्टांग हृदय आदि ग्रंथों में अनेक रोगों की चिकित्सा में प्रयोग करने का निर्देश है। रसशास्त्र के ग्रन्थों में साधारण रस वर्ग के अन्तर्गत वर्णन किया गया है इससे […]
How to use this trick :- Trick consists of 2 steps. The step 1 will let us know about class of plant and step 2 will let you know about gernal features of various classes so that we could write morphology accordingly if asked Step 1: Knowing Class लता ( Creeper ):- पीपल के नीचे […]
बस्ति- बस्ति के प्रयोग से मल का निर्धारण किया जाता है, अतएव यहाँ वमन-विरेचन के करने के बाद तदनुरूप बस्तिविधि का उपदेश किया गया है। बस्ति का प्रयोग वात-प्रधान दोषो में अथवा केवल वातदोष में करना चाहिए। बस्ति को सभी उपक्रमों (चिकित्सा विधियों ) में अग्रगण्य (प्रमुख) माना जाता है। यह विधिभेद से तीन प्रकार […]
There are total 104 Detailed Plants mentioned in syllabus. It causes a lot of worry in mind of students about how to remember them? Even if Dravya guna comes into our minds, we fear about these plants. We were also similar to most of you, faced the same problem. But then we had used our geeks […]
परिचर्या के विभिन्न कर्मों को करने का जो क्रम दिया गया है, यह सभी में अलग-अलग वर्णित है- Trick:- PSM की गर्भ पर नज़र। (चरक अनुसार) P – प्राण प्रत्यागमन S – स्नान M – मुख विशोधन गर्भ – गर्भोदक वमन पर – परिमार्जन – उल्वा परिमार्जन न – नालछेदन ज – जात कर्म र […]
विभिन्न आचार्यों ने अपने-अपने मत अनुसार अपरा (placenta) गिराने के बाद किए जाने वाले उपयुक्त कार्यों का वर्णन किया है। आचार्य चरक का मत = प्रसूता स्त्री की अपरा गिराने लिए कार्य होने के बाद कुमार लिए निम्नाङ्कित कार्य करने चाहिए। दो पत्थरों के टुकड़े को लेकर बालक के कान के मूल अर्थात् कान के […]
Raktmokshan / Leech Therapy = सुख से जीवन यापन करने वालों (सुकुमारों) का रक्तस्रावण करने के लिए जोकों का प्रयोग करना चाहिए। त्याज्य जोकों का वर्णन :– जो जोंकें दूषित जल में। अथवा मछली, मेंढक, साँप आदि प्राणियों के शवों की सड़न से अथवा उनके मल-मूत्रमिश्रित कीचड़ में से पैदा होती हैं। जो लाल, सफेद, […]
दंतोद्भेद काल व उसके लक्षण :- मास उत्पन्न हुए दांत के लक्षण बालक की आयु 4थे मास में उत्पन्न दांत दुर्बल, शीघ्र गिरने वाले, बहुत रोग युक्त हीन आयु 5 वें मास में उत्पन्न हिलने वाले, हर्ष आदि रोग युक्त 6 वें मास में उत्पन्न टेढ़े-मेढ़े, विवर्ण, कीड़ों से खाए हुए 7 वें मास में […]
ज्वर रोग : व्याधि परिचय आयुर्वेद के आचार्यों ने ज्वर (Jwar) को सबसे महत्त्वपूर्ण तथा प्रधान व्याधि माना ज्वर शब्द का प्रयोग रोग के पर्याय के अर्थ में भी किया गया है। ज्वर के प्रधान होने का एक मुख्य कारण यह भी है कि सभी प्राणियों में ज्वर जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त तक कभी न […]