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Sudarshan Churna| सुदर्शन चूर्ण : Types, Ingredients, Uses, Dosage

जिस तरह सभी राक्षसों को नाश करने के लिए भगवान् विष्णु का सुदर्शन चक्र विख्यात है, उसी तरह यह सुदर्शन चूर्ण (Sudarshan Churna) सभी ज्वरों का नाश करता हैै।

त्रिफला रजनीयुग्मं कण्टकारीयगं शटी। त्रिकटु ग्रन्थिकं मू्वा गुडूची धन्वयासकः ।।१२५॥ कटुका पर्पटो मुस्तं त्रायमाणा च बालकम् । निम्बः पुष्करमूलञ्च मधुयष्टी च वत्सकः ॥१२६॥ यवानीन्द्रयवो भार्गी शिग्रुबीजं सुराष्ट्रजा। वचात्वक्पाकोशीरचन्दनातिविषावलाः ।।१२७॥ शालिपर्णी पृश्निपी विडङ्गं तगरं तथा चित्रकं देवकाष्ठञ्च चव्यं पत्रं पटोलजम् ।। १ २८॥ जीवनकर्षभको चैव लवङ्गं वंशलोचनम् । पुण्डरीकञ्च काकोली पत्रकं जातिपत्रकम् ।।१२९।। तालीसपत्रमेतानि समभागानि चूर्णयेत् । अद्द्धाशं सर्वचूर्णस्य किरातं प्रक्षिपेत्सुधीः ।।१३०॥ एतत्सुदर्शनं नाम.चूर्ण दोषत्रयापहम् । ज्वरांश्च निखिलान् हन्ति नात्र कार्या विचारणा ।।१३१॥ दोषजागन्तुकांश्चापि धातुस्थान्विषमज्वरान् । सन्निपातोद्भवांश्चापि मानसानपि नाशयेत् ॥१३२॥ शीतादीनपि दाहादीन्मेहं तन्द्रां भ्रमं तृषाम् । कासं श्वासञ्च पाण्डुञ्च दोगं कामलामपि ।।१३३॥ त्रिकपृष्ठकटीजानुपावशूलं निवारयेत् । शीताम्बुना पिबेदेतत्सर्वज्वरनिवृत्तये ।। १३४॥ सुदर्शनं यथा चक्रं दानवानां विनाशनम् । तथा ज्वाराणां सर्वेषां चूर्णमेतत्प्रणाशनम् ।। १३५।।*पुष्करमूलाभावे तु कुष्ठमपि दद्यात्। भार्यभावे कण्टकारीमूलम्। सौराष्ट्रयभावे स्फटिकां दद्यात्। तगरालाभे कुष्ठं देयम्। जीवकर्षभकयोरलाभे विदारीकन्दस्य भागद्वयं दद्यात्। पुण्डरीकं = श्वेतकमलम्। काकोल्यभावे ऐश्वर्या मूलम्। (भाव प्रकाश चिकित्साधिकार 1/124-135 )

घटक द्रव्य/ Ingredients of Sudarshan Churna:-

  1. त्रिफला (आमला, बहेड़ा, हरितकी) / Emblica officinalis, Terminalia bellerica, Terminalia chebula
  2. दोनों हल्दी (हल्दी, दारूहल्दी) / Curcuma longa, Berberis aristata
  3. दोनों कटेरी (छोटी, बड़ी कटेरी) / Solanum surattense
  4. कचुर / Curcuma zedoaria
  5. त्रिकटु (सोंठ, मारीच, पीपली) / Zingiber officinale, Piper nigrum, Piper longum
  6. पीपरामूल / Root of Piper longum
  7. मूर्वा / Marsdenia tenacissima
  8. गुरूच / Tinospora cordifolia
  9. धमासा / Fagonia arabica
  10. कुटकी / Picrorhiza kurroa
  11. पित्त पापडा / Fumaria indica
  12. नागरमोथा / Cyperus rotundus
  13. त्रायमनण / Gentiana kurroo
  14. सुगंधबाला / Veleriana wallichi
  15. नीम की छाल / Azadirachta indica
  16. पुहकरमूल / Inula racemosa
  17. मुलहठी / Glycyrrhiza glabra
  18. कूड़े की छाल / Bark of Holarrhena antidysenterica
  19. अजवायन / Trachyspermum ammi
  20. इन्द्र जो / Holarrhena Antidysenterica
  21. भारंगी / Clerodendrum serratum
  22. सहिजन के बीज / Moringa oleifera
  23. सोरठ की मिट्टी
  24. बाल वच / Acorus calamus
  25. दालचीनी / Cinnamomum zeylanicum
  26. पद्माख / Prumus cerasoides
  27. खस / Chrysopogon zizanioides
  28. सफेद चंदन का बुरादा / Santalum album
  29. अतीस / Aconitum heterophyllum
  30. खरेटी / Abutilon indicum
  31. शालपर्णी / Desmodium gangeticum
  32. पृश्नपर्णी / Uraria picta
  33. वायविडंग / Emblica ribes
  34. तगर / Tabernaemontana divaricata
  35. चीता / Plumbago zeylanica
  36. देवदार / Cedrus deodara
  37. चव्य / Piper retrofractum
  38. परवल के पत्ते / Trichosanthes dioica
  39. जीवक / Malaxis acuminata
  40. ऋषबक / Malaxis muscifera
  41. लोंग / Syzygium aromaticum
  42. वंश लोचन / Silica
  43. सफेद कमल / Nymphaea lotus
  44. काकोली / Roscea procera
  45. तेजपत्र / Cinnamomum tamala
  46. जावित्री / Myristica fragrans
  47. तालसी पात्र / Abies webbiana ( सभी द्रव्य सम भाग में लेे )
  48. चिरायता / Swertia chirayata ( सम्पूर्ण का आधा भाग )

Alternative :- पुष्करमूल के स्थान पर कूठ, भारंगी के स्थान पर कटेरी का मूल, सोराठ मिट्टी के स्थान पर फिटकरी, तगर के स्थान पर कुठ, जीवक व ऋषभक के स्थान पर विदरी कंद, काकोली की स्थान पर असगंध की जड़, तालीस पात्र के स्थान पर कटेरी।

निर्माण विधि/ Preparation of Sudarshan Churna:-

सम्पूर्ण दर्व्यो को मिलाकर रख दे।

मात्रा/ Dosage:-

1-3 gm (ग्राम)

अनुपान:-

शीतल जल

उपयोग/ Therapeutic Uses:-

  • सर्व प्रकार के ज्वर (आगंतुक ज्वर, विषम ज्वर, सन्निपात ज्वर, मानस ज्वर, सौम्य तीक्ष्ण ज्वर, प्राकृत वैकृत ज्वर, अंतर्गत- बहिरस्थ ज्वर, निराम – साम ज्वर, अष्ठ विद्ध ज्वर, साध्य – आसाध्य ज्वर, नाना दोशोभद ज्वर, वारी दोष ओद्धभिड ज्वर, विरूद्ध भैष्य ओद्भित ज्वर शीत ज्वर) / All types of fever
  • तीनो दोषों को दूर करने वाला
  • दाह (Inflammation)
  • प्रमेह (Diabetes mellitus)
  • तंद्रा
  • भ्रम (Hallucination)
  • तृष्णा (Polydypsia)
  • खासी (Cough)
  • दमा (Asthma)
  • पांडु (Anemia)
  • हृदय रोग (Heart disease)
  • कामला (Jaundice)
  • प्लीहा, यकृत वृद्धि (Splenomegaly, Hepatomegaly)
  • गुल्म त्रिक स्थान, पीठ, कमर, जानू, पंसली में होने वाला शूल

Praise :- जैसे भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र सम्पूर्ण दानवों को नष्ट कर देता है उसी प्रकार यह चूर्ण (Sudarshan Churna) सब ज्वर को नाश करने वाला है।

Reference :- शा. संंहिता मध्यम 6/31-39, भाव प्रकाश चिकित्सा धिकार 1/124-135, बसवराजीयम् 1 प्रकरणम्

Sudarshan churna
Sudarshan Churna

द्वितीय सुदर्शन चूर्ण:

कालीयकन्तु रजनी देवदारु वचा घनम्। अभया धन्वयाच शृङ्गी क्षुद्रा महौषधम् ॥४३६॥ त्रायन्ती पर्पट निम्बं ग्रन्थिकं बालकं शटी । पौष्करं मागधी मूर्वा कुटजं मधुयष्टिका ॥४३७।। शिग्रुद्धवं सैन्द्रयवं वरी दार्वी कुचन्दनम् | पद्मकं सरलोशीरं त्वचं सौराष्ट्रिका स्थिरा ॥४३८॥ यमान्यतिविषा बिल्वं मरिचं गन्धपत्रकम् |धात्री गुडूची कटुकं सचित्रकपटोलकम् ॥४३९॥ कलसी चैव सर्वाणि समभागानि कारयेत् |सर्वद्रव्यस्य चार्द्धन्तु कैरातं सम्प्रकल्पयेत् ॥४४०॥ एतत् सुदर्शनं नाम ज्वरान् हान्ति न संशयः । पृथग्दोषांश्च विविधान् समस्तान्विषमज्वरान् ॥४४१॥ प्राकृतं वैकृतञ्चापि सौम्यं तीक्ष्णमथापि वा । अन्तर्गतम् बहिःस्थञ्च निरामं साममेव च || ४४२ ॥ ज्वरमष्टविधं हन्ति साध्यासाध्यमथापि वा। नानादोषोद्भवञ्चैव वारिदोषभवन्तथा ॥४४३॥॥ विरुद्धभेषजभवं ज्वरमाशु व्यपोहति| प्लीहानं यकृतं गुल्मं हन्त्यवश्यं न संशयः ||४४४॥ यथा सुदर्शन चक्रं दानवानां निषूदनम् । तथा ज्वराणां सर्वेषामिदमेव निगद्यते ॥४४५॥

Ingredients/ घटक द्रव्य:-

  1. पीतकाष्ठ चन्दन (Santalum album) = 50 ग्राम
  2. हल्दी (Curcuma longa) = 50 ग्राम
  3. देवदारु (Cedrus deodara) = 50 ग्राम
  4. वच (Acorus calamus) = 50 ग्राम
  5. नागरमोथा (Cyperus scariosus) = 50 ग्राम
  6. हरीतकी (Terminalia chebula) = 50 ग्राम
  7. धमासा (Fagonia arabica) = 50 ग्राम
  8. काकडासिंगी (Pistacia integerrima Strew) = 50 ग्राम
  9. कण्टकारी (Solanum virginianum) = 50 ग्राम
  10. शुण्ठी (Zingiber officinale) = 50 ग्राम
  11. त्रायमाण (Gentiana kurroo) = 50 ग्राम
  12. पित्तपापड़ा (Fumaria parviflora) = 50 ग्राम
  13. नीम की छाल (Azadirachta indica) = 50 ग्राम
  14. पिपरामूल (Root of Piper longum) = 50 ग्राम
  15. सुगन्धबाला (Valeriana wallichii) = 50 ग्राम
  16. कचूर (Curcuma zedoaria) = 50 ग्राम
  17. पुष्करमूल (Inula racemosa) = 50 ग्राम
  18. पीपर (Piper longum) = 50 ग्राम
  19. मूर्वा (Marsedenia tenacissima) = 50 ग्राम
  20. कुटजत्वकू (Wrightia antidysenterica) = 50 ग्राम
  21. मुलेठी (Glycyrrhiza glabra) = 50 ग्राम
  22. शिग्रु (Moringa oleifera) = 50 ग्राम
  23. नीलकमलफूल (Nymphaea lotus) = 50 ग्राम
  24. इन्द्रयव (Holarrhena Antidysenterica) = 50 ग्राम
  25. शतावर (Asparagus racemosus) = 50 ग्राम
  26. दारुहल्दी (Berberis aristata) = 50 ग्राम
  27. पतङ्गचन्दन = 50 ग्राम
  28. पद्मकाष्ठ (Prunus dulcis) = 50 ग्राम
  29. सरल वृक्षकाष्ठ = 50 ग्राम
  30. खस (Chrysopogon zizanioides) = 50 ग्राम
  31. दालचीनी (Cinnamomum verum) = 50 ग्राम
  32. शुद्ध फिटकरी (Pure potash alum) = 50 ग्राम
  33. शालपर्णी (Desmodium gangeticum) = 50 ग्राम
  34. अजवायन (Trachyspermum ammi) = 50 ग्राम
  35. अतीस (Annona squamosa) = 50 ग्राम
  36. बिल्व त्वक् (Aegle marmelos) = 50 ग्राम
  37. मरिच (Piper nigrum) = 50 ग्राम
  38. तेजपत्र (Cinnamomum tamala) = 50 ग्राम
  39. आँवला (Emblica officinalis) = 50 ग्राम
  40. गुडूची (Tinospora cordifolia) = 50 ग्राम
  41. कुटकी (Picrorhiza kurrooa) = 50 ग्राम
  42. चित्रकमूल (Plumbago zeylanica) = 50 ग्राम
  43. परवलपत्र (Trichosanthes dioica) = 50 ग्राम
  44. पृश्निपर्णी (Hedysarum pictum) = 50 ग्राम
  45. चिरायता (Swertia Chirata) = 1100 ग्राम

निर्माण विधि/ How to make Sudarshan Churna:-

सभी घटक द्रव्यों को सुखाकर वस्त्रपूत सूक्ष्म चूर्ण कर शीशे के जार में सुरक्षित रख लें।

मात्रा/ Dosage:-

3 – 5 gm (ग्राम)

अनुपान:-

उष्ण जल या मधु

उपयोग/ Therapeutic Uses:-

  • सभी प्रकार के ज्वर / Fever
  • वात-पित्त-कफ, सत्रिपातज, द्वन्द्वज, विषम, प्राकृत, विकृत, सौम्यवेगी, तीक्ष्ण वेगी, अन्तवेंगी, बहिवेंगी, निराम-साम, साध्य-आसाध्य, अष्ट विध अनेक दोषोद्भव, वारिदोषज तथा विरुद्धभेषज जन्य सभी प्रकार के ज्वरों को शीघ्र नाश करता है।
  • वृद्धि यकृत्वृद्धिजन्य ज्वर
  • गुल्मदोष

Praise: जिस तरह सभी राक्षसों को नाश करने के लिए भगवान् विष्णु का चक्र सुदर्शन विख्यात है, उसी तरह यह चूर्ण (Sudarshan Churna) सभी ज्वरों का नाश करता हैै।

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